UP का आगरा बना आलू का अंतरराष्ट्रीय केंद्र, किसानों के लिए खुशखबरी

आगरा के सिंगना में एक बड़ी खबर आई है। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने अंतर्राष्ट्रीय आलू केंद्र (सीआईपी) के दक्षिण एशिया क्षेत्रीय केंद्र की स्थापना को मंजूरी दी है, जो आगरा के सिंगना में बनेगा। यह केंद्र आलू और शकरकंद की उत्पादकता बढ़ाने, किसानों की आय दोगुनी करने, और रोजगार सृजन का वादा करता है। तस्वीर में श्री अश्विनी वैष्णव मंत्रालय की प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस पहल की जानकारी दे रहे हैं, यह कदम उत्तर प्रदेश, खासकर आगरा के खेतिहर समुदाय के लिए एक नई उम्मीद लेकर आया है। यह केंद्र फसलों को हरा-भरा बनाने का रास्ता दिखाएगा। आइए, इस पहल की खासियत और फायदों को विस्तार से समझें।

आलू और शकरकंद की नई ऊँचाई

भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा आलू उत्पादक है, और उत्तर प्रदेश इसकी अगुआई करता है। आगरा के सिंगना में बनने वाला यह केंद्र रिसर्च, सीड प्रोडक्शन, पेस्ट मैनेजमेंट, और वैल्यू एडिशन पर फोकस करेगा। तस्वीर में दिखाए गए स्लाइड के मुताबिक, यह केंद्र किसानों को ग्लोबल बेस्ट प्रैक्टिसेस सिखाएगा, जिससे उनकी फसल की गुणवत्ता और मात्रा दोनों बढ़ेगी। शकरकंद, जो पोषण और आय का नया स्रोत बन सकता है, भी इस केंद्र की प्राथमिकता होगी। यह रिसर्च किसानों की मेहनत को मुनाफे में बदलने का मौका देगी।

Agra Potato Center:

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इसमें होगा 111.5 करोड़ रुपये का निवेश

इस परियोजना के लिए सरकार 111.5 करोड़ रुपये का निवेश कर रही है, जो उत्तर प्रदेश सरकार और अन्य अंतरराष्ट्रीय निकायों के साथ मिलकर काम करेगी। तस्वीर में श्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि 10 हेक्टेयर जमीन मुफ्त में दी गई है, जो इस केंद्र को स्थापित करने में मदद करेगी। यह निवेश न सिर्फ आगरा, बल्कि पूरे दक्षिण एशिया के लिए फायदेमंद होगा। किसानों को आधुनिक तकनीक, ट्रेनिंग, और मार्केटिंग की सुविधा मिलेगी, जो उनकी आय बढ़ाएगी। मॉनसून की इस मौसम में यह मदद फसलों को मजबूत बनाने में कारगर साबित होगी।

किसान और देश दोनों को लाभ

इस केंद्र से किसानों को कई फायदे मिलेंगे। आलू और शकरकंद की उत्पादकता बढ़ने से उनकी आय दोगुनी हो सकती है। पोस्ट-हार्वेस्ट मैनेजमेंट से फसलों की बर्बादी रुकेगी, और वैल्यू एडिशन से नए उत्पाद जैसे चिप्स, फ्लेक्स, और पाउडर बनाए जा सकेंगे, जो बाजार में मांग बढ़ाएँगे। ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे, जो आर्थिक स्थिति को मजबूत करेंगे। मॉनसून 2025 में यह पहल फसलों को नमी से बचाने और उपज बढ़ाने में मदद करेगी। देश को भी फायदा होगा, क्योंकि निर्यात बढ़ेगा और खाद्य सुरक्षा मजबूत होगी।

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आलू और शकरकंद की फसल को समृद्ध करें

आलू और शकरकंद की फसल के लिए कुछ व्यावहारिक तरीके अपनाएँ। बीजों को ट्राइकोडर्मा से शोधित करें, जो रोगों से बचाएगा। मॉनसून में खेत में ज्यादा पानी जमा न होने दें मेड़ बनाएँ। आलू की फसल के लिए 15-20 सेमी की दूरी पर बुवाई करें और प्रति हेक्टेयर 10-15 टन गोबर की खाद डालें। शकरकंद के लिए कटिंग्स को 2-3 दिन छाया में सुखाएँ और फिर बुवाई करें। नियमित रूप से खरपतवार हटाएँ और नीम का तेल (5 मिली प्रति लीटर पानी) का छिड़काव करें, जो कीटों से बचाव करेगा। यह मेहनत आपकी फसल को मुनाफे का स्रोत बना सकती है।

आगरा के सिंगना में बनने वाला यह केंद्र दक्षिण एशिया के लिए एक मील का पत्थर साबित होगा। तस्वीर में दिखाए गए स्लाइड के मुताबिक, यह केंद्र न सिर्फ रिसर्च करेगा, बल्कि किसानों को ट्रेनिंग और मार्केटिंग की सुविधा भी देगा। मॉनसून 2025 में यह पहल फसलों को हरा-भरा बनाने और किसानों की जिंदगी को समृद्ध करने का वादा करती है। सरकार का 111.5 करोड़ रुपये का निवेश इस क्षेत्र को नई दिशा देगा, जहाँ आलू और शकरकंद की फसलें न सिर्फ भारत, बल्कि दुनिया में अपनी पहचान बनाएँगी।

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  • Dharmendra

    मै धर्मेन्द्र एक कृषि विशेषज्ञ हूं जिसे खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी साझा करना और नई-नई तकनीकों को समझना बेहद पसंद है। कृषि से संबंधित लेख पढ़ना और लिखना मेरा जुनून है। मेरा उद्देश्य है कि किसानों तक सही और उपयोगी जानकारी पहुंचे ताकि वे अधिक उत्पादन कर सकें और खेती को एक लाभकारी व्यवसाय बना सकें।

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