कृषि क्षेत्र में बड़ी छलांग! 2025 में 4.6% की विकास दर, 2026 में क्या है सरकार की रणनीति?

हमारे देश की खेती ने इस साल कमाल कर दिखाया है। 2024-25 की जनवरी-मार्च तिमाही में कृषि क्षेत्र ने 5.4 प्रतिशत की शानदार वृद्धि दर्ज की है। पिछले साल की इसी तिमाही में ये आँकड़ा सिर्फ 0.9 प्रतिशत था। इस मजबूत प्रदर्शन की वजह से पूरे साल का कृषि और संबद्ध गतिविधियों का सकल मूल्य वर्धन (जीवीए) 2.7 प्रतिशत से बढ़कर 4.6 प्रतिशत होने की उम्मीद है। ये वृद्धि महंगाई का असर हटाकर मापी गई है। इसका मतलब है कि खेती ने इस साल न सिर्फ अपनी ताकत दिखाई, बल्कि विनिर्माण जैसे क्षेत्रों को भी पीछे छोड़ दिया। इस लेख में हम बताएंगे कि ये वृद्धि कैसे हुई और चावल, गेहूं, मक्का जैसी फसलों ने इसमें क्या भूमिका निभाई।

मजबूत मॉनसून ने बढ़ाया उत्साह

2024 का मॉनसून किसानों के लिए किसी वरदान से कम नहीं रहा। जून से सितंबर 2024 के बीच बारिश 935 मिलीमीटर हुई, जो सामान्य 870 मिलीमीटर से 8 प्रतिशत ज्यादा है। ये 2020 के बाद का सबसे अच्छा मॉनसून था। इस मजबूत मॉनसून ने खरीफ और रबी फसलों को खूब सहारा दिया। पिछले साल 2023 में मॉनसून कमज़ोर था और गर्मी का प्रकोप भी लंबा रहा, जिससे खेती की रफ्तार धीमी पड़ गई थी। लेकिन इस साल बारिश ने किसानों की मेहनत को रंग दिखाया। विशेषज्ञों का कहना है कि 2025 का मॉनसून भी अच्छा रहने की उम्मीद है, जिससे अगले साल भी खेती की रफ्तार बनी रह सकती है।

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खाद्यान्न उत्पादन में रिकॉर्ड बढ़ोतरी

इस साल खेती ने खाद्यान्न उत्पादन में नया कीर्तिमान बनाया। तीसरे अग्रिम अनुमानों के मुताबिक, 2024-25 में कुल खाद्यान्न उत्पादन 353.95 मिलियन टन तक पहुंच गया, जो पिछले साल के 332.3 मिलियन टन से 22 मिलियन टन ज्यादा है। चावल का उत्पादन 8.2 प्रतिशत बढ़कर 149.07 मिलियन टन हो गया। इसकी वजह से भारत अब दुनिया का सबसे बड़ा चावल उत्पादक बन गया है, जो चीन को भी पीछे छोड़ चुका है।

गेहूं का उत्पादन भी 117.50 मिलियन टन के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा, जो पिछले अनुमानों से भी ज्यादा है। मक्का का उत्पादन 12.3 प्रतिशत बढ़कर 42.28 मिलियन टन हो गया। तिलहन का उत्पादन भी 7.4 प्रतिशत बढ़कर 42.60 मिलियन टन रहा। हालांकि, गन्ना उत्पादन में 0.7 प्रतिशत और कपास में 5.6 प्रतिशत की मामूली कमी देखी गई।

कृषि क्षेत्र की आर्थिक ताकत

कृषि क्षेत्र की इस वृद्धि ने देश की अर्थव्यवस्था को भी मज़बूती दी। अगर महंगाई का असर न हटाया जाए, तो जनवरी-मार्च तिमाही में कृषि और संबद्ध गतिविधियों की वृद्धि 8.7 प्रतिशत रही, जो पिछले साल की समान तिमाही में 7.9 प्रतिशत थी। पूरे साल के लिए ये वृद्धि 9.6 प्रतिशत से बढ़कर 10.4 प्रतिशत हो गई। इसका बड़ा कारण फसलों की अच्छी कीमतें और मजबूत मॉनसून रहे। पिछले साल कमज़ोर मॉनसून और गर्मी की वजह से खेती की रफ्तार कम थी, लेकिन इस साल का बेस इफेक्ट भी इन आँकड़ों को और बेहतर दिखा रहा है। यानी पिछले साल की कम वृद्धि की तुलना में इस साल के आँकड़े ज़्यादा चमक रहे हैं।

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  • Rahul Maurya

    मेरा नाम राहुल है। मैं उत्तर प्रदेश से हूं और मैंने संभावना इंस्टीट्यूट से पत्रकारिता में शिक्षा प्राप्त की है। मैं Krishitak.com का संस्थापक और प्रमुख लेखक हूं। पिछले 3 वर्षों से मैं खेती-किसानी, कृषि योजनाएं, और ग्रामीण भारत से जुड़े विषयों पर लेखन कर रहा हूं।

    Krishitak.com के माध्यम से मेरा उद्देश्य है कि देशभर के किसानों तक सटीक, व्यावहारिक और नई कृषि जानकारी आसान भाषा में पहुँचे। मेरी कोशिश रहती है कि हर लेख पाठकों के लिए ज्ञानवर्धक और उपयोगी साबित हो, जिससे वे खेती में आधुनिकता और आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ सकें।

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