गन्ने के साथ अब उगेगा धान! कृषि वैज्ञानिकों की नई खोज से खेती में आएगी क्रांति

बांग्लादेश शुगरक्रॉप रिसर्च इंस्टीट्यूट ने किसानों के लिए एक गजब की खेती की तकनीक निकाली है, जिसमें गन्ना और धान को एक ही खेत में एक साथ उगाया जा सकता है। ये नई दोहरी फसल प्रणाली पानी, उर्वरक और ईंधन की भारी बचत करती है। गन्ना लंबे समय में तैयार होने वाली फसल है, जो ढेर सारी पूंजी मांगती है। दूसरी तरफ, धान को खूब सारा पानी और ज्यादा खर्च चाहिए। इस तकनीक ने दोनों फसलों की खासियतों को मिलाकर खेती को सस्ता और मुनाफे का धंधा बना दिया। कम लागत में ज्यादा पैदावार का ये तरीका किसानों की जिंदगी बदल सकता है।

तकनीक एक खेत में दो फसलें

इस मिश्रित खेती में धान को गन्ने की पंक्तियों के बीच उगाया जाता है। बेड प्लांटिंग या डायरेक्ट सीडिंग जैसे आसान तरीकों से धान की बुवाई होती है। गन्ना कम पानी में भी पलने वाली मजबूत फसल है, जबकि धान को पानी की भारी जरूरत पड़ती है। इन दोनों को एक साथ उगाने से पानी की खपत अपने आप कम हो जाती है। शोधकर्ताओं का कहना है कि इस विधि से धान की सिंचाई और ईंधन की लागत पुराने तरीकों की तुलना में एक-चौथाई तक घट जाती है। और तो और, धान के लिए डाली गई खाद गन्ने को भी ताकत देती है। यानी एक ही उर्वरक से दोनों फसलें लहलहाती हैं।

पानी और खाद की बचत का कमाल

इंस्टीट्यूट के बड़े वैज्ञानिक डॉ. शम्स तबरीज बताते हैं कि बोरो धान का 1 किलो उगाने में पुराने तरीके से 2,500 लीटर पानी लगता है। लेकिन गन्ना-धान की मिश्रित खेती में दोनों फसलों की अलग-अलग खूबियां पानी की जरूरत को कम कर देती हैं। धान की सिंचाई से गन्ने को भी नमी मिलती है, और एक ही खाद दोनों को पोषण देती है। इससे सिंचाई का सिस्टम स्मार्ट हो जाता है, लागत घटती है और मुनाफा बढ़ता है। तीन साल तक चले प्रयोगों के बाद ये तकनीक अब अपने आखिरी ट्रायल में है। वैज्ञानिकों को यकीन है कि बड़े पैमाने पर लागू होने के बाद ये खेती का चेहरा बदल देगी।

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खेती का आसान तरीका

खेती शुरू करने के लिए खेत को अच्छे से जोतकर समतल करना पड़ता है। प्रति हेक्टेयर 10-15 टन गोबर की खाद या वर्मीकंपोस्ट डालें। मिट्टी का pH 6.0 से 7.5 के बीच रखें। गन्ने की कटिंग्स को 75-90 सेंटीमीटर की दूरी पर पंक्तियों में लगाएं। प्रति हेक्टेयर 35,000-40,000 कटिंग्स काफी हैं। गन्ने की पंक्तियों के बीच 30-40 सेंटीमीटर की जगह छोड़कर धान की बेड प्लांटिंग या डायरेक्ट सीडिंग करें। बोरो धान की किस्में जैसे BRRI धान 28 या 29 चुनें।

बुवाई से पहले 50 किलो डीएपी और 80 किलो एनपीके प्रति हेक्टेयर डालें। धान के लिए 30-40 दिन बाद 20 किलो नाइट्रोजन की खुराक दें, जो गन्ने को भी फायदा देगी। धान की जरूरत के हिसाब से 10-12 दिन में पानी दें, गन्ना उसी से काम चला लेगा। धान में ब्लास्ट रोग और गन्ने में रेड रॉट से बचने के लिए फंगीसाइड छिड़कें। नीम का तेल कीटों से बचाव के लिए बढ़िया है।

लागत कम, कमाई ज्यादा

पुराने तरीके से धान की खेती में 50,000-60,000 रुपये और गन्ने में 80,000-1,00,000 रुपये प्रति हेक्टेयर खर्च आता है। इस मिश्रित खेती में कुल लागत 1,00,000-1,20,000 रुपये रहती है। लेकिन दो फसलों की पैदावार से मुनाफा कहीं ज्यादा है। एक हेक्टेयर से 3-4 टन धान और 50-60 टन गन्ना मिल सकता है। धान 2,000 रुपये प्रति क्विंटल और गन्ना 350 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से 80,000-1,00,000 रुपये धान से और 1,75,000-2,10,000 रुपये गन्ने से मिल सकते हैं। यानी कुल 2,55,000-3,10,000 रुपये की कमाई। लागत घटाने के बाद 1,35,000-1,90,000 रुपये का शुद्ध मुनाफा। ये धान की अकेली खेती से 30-40 फीसदी और गन्ने से 20-25 फीसदी ज्यादा है।

पर्यावरण और जेब दोनों को फायदा

ये तकनीक पानी और उर्वरक की बचत करके पर्यावरण को भी संवारती है। कम उर्वरक से मिट्टी की सेहत बनी रहती है। ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन कम होता है। किसानों की आय बढ़ने से बांग्लादेश जैसे देश की अर्थव्यवस्था को बल मिलेगा। ट्रायल में इस तकनीक ने लागत 30 फीसदी तक कम की और मुनाफा 20-25 फीसदी बढ़ाया। भारतीय किसानों के लिए भी ये तकनीक फायदेमंद हो सकती है, खासकर बिहार, यूपी और पश्चिम बंगाल में।

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  • Rahul Maurya

    मेरा नाम राहुल है। मैं उत्तर प्रदेश से हूं और मैंने संभावना इंस्टीट्यूट से पत्रकारिता में शिक्षा प्राप्त की है। मैं Krishitak.com का संस्थापक और प्रमुख लेखक हूं। पिछले 3 वर्षों से मैं खेती-किसानी, कृषि योजनाएं, और ग्रामीण भारत से जुड़े विषयों पर लेखन कर रहा हूं।

    Krishitak.com के माध्यम से मेरा उद्देश्य है कि देशभर के किसानों तक सटीक, व्यावहारिक और नई कृषि जानकारी आसान भाषा में पहुँचे। मेरी कोशिश रहती है कि हर लेख पाठकों के लिए ज्ञानवर्धक और उपयोगी साबित हो, जिससे वे खेती में आधुनिकता और आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ सकें।

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