भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) ने 28 मई 2025 तक के लिए किसानों को खरीफ सीजन की तैयारी के लिए जरूरी सलाह दी है। 17 से 23 मई 2025 के दौरान दिल्ली और आसपास के इलाकों में आसमान साफ रहा। इस हफ्ते अधिकतम तापमान 39.6 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 24.5 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। धूप औसतन 7.6 घंटे प्रतिदिन रही, और हवा की गति 6.1 किलोमीटर प्रति घंटा थी।
गाँवों में खेती करने वाले किसानों के लिए ये मौसम बुवाई और फसल प्रबंधन के लिए अनुकूल है। IARI के वैज्ञानिकों ने सलाह दी है कि बुवाई से पहले मिट्टी की जाँच किसी प्रमाणित स्रोत से कराई जाए। मिट्टी में पोषक तत्वों की कमी का पता लगाने से सही खाद का इस्तेमाल हो सकता है। साथ ही, खेत को समतल करके नमी बनाए रखने की सलाह दी गई है, ताकि फसल का अंकुरण बेहतर हो।
हरी खाद और मोटे अनाज की बुवाई
मई का मौसम हरी खाद और मोटे अनाजों की बुवाई के लिए उपयुक्त है। IARI के वैज्ञानिकों ने सनई और ढैंचा जैसी हरी खाद वाली फसलों की बुवाई की सलाह दी है। सनई के लिए 60-70 किलो और ढैंचा के लिए 50-60 किलो बीज प्रति हेक्टेयर इस्तेमाल करना चाहिए। बुवाई से पहले खेत में पर्याप्त नमी सुनिश्चित करना जरूरी है, ताकि अंकुरण अच्छा हो। कई किसान हरी खाद का इस्तेमाल कर मिट्टी की उर्वरता बढ़ा रहे हैं, जिससे फसल की पैदावार में इजाफा होता है।
इसके अलावा, मक्का, बाजरा, और ग्वार जैसी चारा फसलों की बुवाई का भी सही समय है। बीजों को 3-4 सेमी गहराई पर बोना चाहिए, और पंक्ति से पंक्ति की दूरी 25-30 सेमी रखनी चाहिए। IARI ने बीजों को प्रमाणित स्रोत से लेने की सलाह दी है, ताकि अच्छी गुणवत्ता की फसल मिले। ये नुस्खे गाँव के छोटे किसानों के लिए खासे फायदेमंद हैं।
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सब्जियों की तुड़ाई और नमी प्रबंधन
गर्मी के मौसम में सब्जियों की तुड़ाई और देखभाल का खास ध्यान रखना जरूरी है। IARI ने सलाह दी है कि सब्जियों की तुड़ाई सुबह जल्दी या शाम को की जाए, जब तापमान कम हो। इससे सब्जियाँ ताजी रहती हैं और उनकी गुणवत्ता बनी रहती है। गाँव में कई किसान इस तरीके को अपनाकर अपनी सब्जियों का बाजार मूल्य बढ़ा रहे हैं। साथ ही, बेलवाली फसलों और सब्जियों में मिट्टी की नमी बनाए रखने की सलाह दी गई है।
कम अंतराल पर हल्की सिंचाई करने से पराग कणों का उत्पादन सही रहता है, और फसल की पैदावार बढ़ती है। भिंडी की फसल में तुड़ाई के बाद 5-10 किलो यूरिया प्रति एकड़ डालने से पौधों को ताकत मिलती है। गाँव में कई किसान इस नुस्खे को आजमाकर अच्छी पैदावार ले रहे हैं।
कीट प्रबंधन के देसी और वैज्ञानिक तरीके
गर्मी में कीटों का प्रकोप बढ़ जाता है, जिससे फसलों को नुकसान हो सकता है। IARI ने भिंडी की फसल में माइट्स कीट की निगरानी की सलाह दी है। अगर कीटों की संख्या ज्यादा हो, तो ईथियांन की 1.5-2 मिली मात्रा को 1 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करना चाहिए। बैंगन और टमाटर की फसल में प्ररोह और फल छेदक कीट से बचाव के लिए IARI ने सुझाव दिया है कि संक्रमित फलों को इकट्ठा करके नष्ट कर देना चाहिए।
अगर कीटों की संख्या बढ़ जाए, तो स्पिनोसैड 48 ईसी की 1 मिली मात्रा को 4 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करना चाहिए। गाँव में कई किसान इन वैज्ञानिक तरीकों के साथ देसी नुस्खे, जैसे नीम का तेल, भी आजमा रहे हैं। नीम का तेल 1 चम्मच प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़कने से कीट भाग जाते हैं। छिड़काव सुबह या शाम को करना चाहिए, ताकि पौधों को नुकसान न हो।
किसानों के लिए राहत भरी सलाह
IARI की ये सलाहें छोटे और सीमांत किसानों के लिए वरदान हैं। मिट्टी की जाँच, नमी प्रबंधन, और सही समय पर बुवाई से फसल की पैदावार बढ़ सकती है। हरी खाद और मोटे अनाजों की बुवाई से मिट्टी की उर्वरता बनी रहेगी, और कीट प्रबंधन के तरीकों से फसल सुरक्षित रहेगी। गाँव में कई किसान इन सलाहों को अपनाकर अपनी फसल को बचा रहे हैं और मुनाफा कमा रहे हैं। अगर कोई परेशानी हो, तो नजदीकी कृषि विज्ञान केंद्र या IARI की व्हाट्सएप हेल्पलाइन (9560297502) पर संपर्क किया जा सकता है। इन आसान नुस्खों से खरीफ सीजन में फसल की बहार लाई जा सकती है।
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