उत्तर प्रदेश में खेती को आधुनिक और मुनाफे वाला बनाने के लिए सरकार लगातार नए कदम उठा रही है। हाल ही में प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने कई बड़ी घोषणाएँ की हैं, जो किसानों के लिए बड़ी राहत लेकर आई हैं। उन्होंने बताया कि 5 मई 2025 को पूरे उत्तर प्रदेश में एक विशेष अभियान चलाया जाएगा, जिसमें कृषि विभाग के अधिकारी गाँव-गाँव जाकर किसानों के खेतों से मिट्टी के नमूने जुटाएँगे।
इस अभियान का मकसद खेतों की उर्वरता की जाँच करना और सही उर्वरक की सलाह देना है, ताकि फसल की लागत कम हो और पैदावार बढ़े। इसके साथ ही, शाही ने डिजिटल क्रॉप सर्वे, वेदर स्टेशन और जैविक खेती को बढ़ावा देने की बात कही।
मिट्टी जाँच से बढ़ेगी पैदावार
कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने बताया कि मिट्टी की जाँच से यह पता चलता है कि खेत में कौन से पोषक तत्व की कमी है और कौन सा उर्वरक डालना चाहिए। गाँव में कई बार किसान बिना जाँच के ज्यादा खाद डाल देते हैं, जिससे मिट्टी खराब होती है और लागत बढ़ती है। लेकिन इस अभियान से किसानों को सही सलाह मिलेगी, जिससे वे कम खाद में ज्यादा पैदावार ले सकेंगे।
5 मई को शुरू होने वाला यह अभियान पूरे प्रदेश में एक साथ चलेगा। कृषि विभाग के अधिकारी खेतों से मिट्टी के नमूने लेंगे और उसकी जाँच करवाकर किसानों को जरूरी सुझाव देंगे। शाही ने कहा कि इससे न सिर्फ पैदावार बढ़ेगी, बल्कि किसानों की मेहनत का सही फल भी मिलेगा।
डिजिटल पहल से किसानों को राहत
उत्तर प्रदेश में खेती को आधुनिक बनाने के लिए डिजिटल तकनीक का सहारा लिया जा रहा है। सूर्य प्रताप शाही ने बताया कि फार्मर रजिस्ट्री पोर्टल और डिजिटल क्रॉप सर्वे का काम तेजी से चल रहा है। इसके साथ ही, प्रदेश में वेदर स्टेशन लगाए जाएँगे, जो किसानों को मौसम की सही जानकारी देंगे। इन स्टेशनों से मौसम पूर्वानुमान, फसल की सेहत, बाजार के भाव और सरकारी योजनाओं की जानकारी तुरंत मिलेगी।
गाँव में कई बार मौसम की सही जानकारी न होने से किसानों को नुकसान हो जाता है, लेकिन अब यह तकनीक उनकी मुश्किलें आसान करेगी। शाही ने कहा कि डिजिटल तकनीक से किसानों को खेती में मदद मिलेगी और उनकी आमदनी बढ़ेगी। यह पहल गाँव की खेती को नई दिशा देगी।
जैविक और प्राकृतिक खेती को बढ़ावा
रासायनिक खाद और कीटनाशकों से मिट्टी और सेहत को होने वाले नुकसान को देखते हुए सरकार अब जैविक और प्राकृतिक खेती पर जोर दे रही है। सूर्य प्रताप शाही ने बताया कि इसके लिए जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। किसानों को गोबर खाद, जीवामृत, हरी खाद और देसी तकनीकों का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। गाँव में कई किसान रासायनिक खाद छोड़कर जैविक खेती की ओर बढ़ रहे हैं, जिससे उनकी फसल की गुणवत्ता बढ़ी है।
शाही ने कहा कि जैविक खेती से न सिर्फ मिट्टी स्वस्थ रहेगी, बल्कि किसानों को बाजार में बेहतर दाम भी मिलेगा। इसके साथ ही, धान-गेहूँ की पारंपरिक फसलों के अलावा दलहन, तिलहन और मोटे अनाज की खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है, ताकि किसानों की आय बढ़े और पोषण सुरक्षा भी बनी रहे।
सरकारी योजनाओं का लाभ पहुँचाने की कोशिश
कृषि मंत्री ने बताया कि प्रदेश भर में गोष्ठियाँ, मेले और प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं, ताकि किसानों को सरकारी योजनाओं की जानकारी मिल सके। इनमें प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, किसान सम्मान निधि, पीएम-कृषि सिंचाई योजना और प्राकृतिक खेती योजना शामिल हैं। खरीफ मौसम में बरसात से प्रभावित जिलों में फसल बीमा योजना से जोड़ने के लिए पंजीकरण पर जोर दिया जा रहा है, ताकि प्राकृतिक आपदा से होने वाले नुकसान की भरपाई हो सके। इसके अलावा, हर दो मंडलों पर खरीफ उत्पादकता गोष्ठियाँ होंगी, जिसमें किसानों, वैज्ञानिकों और अधिकारियों को जोड़कर नई तकनीकों की जानकारी दी जाएगी। गाँव के किसान भाई इन कार्यक्रमों में हिस्सा लेकर नई तकनीक सीख सकते हैं।
नई पीढ़ी को खेती से जोड़ने की पहल
सूर्य प्रताप शाही ने यह भी बताया कि प्रदेश के कई स्कूलों में अब खेती से जुड़े विषय पढ़ाए जा रहे हैं। इसका मकसद नई पीढ़ी में खेती-किसानी के प्रति रुचि जगाना है। बच्चे आधुनिक तकनीकों को सीखेंगे, जिससे भविष्य में वे खेती को एक अच्छा करियर मानें। शाही ने ‘जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान, जय अनुसंधान’ का नारा देते हुए कहा कि वैज्ञानिक सोच और अनुसंधान से खेती को नई ऊँचाइयों तक ले जाया जाएगा। जलवायु परिवर्तन को देखते हुए सरकार ने अनुसंधान और नई फसलों के लिए बजट बढ़ाया है। साथ ही, कम पानी में ज्यादा पैदावार वाली फसलों और ड्रिप-स्प्रिंकलर जैसी सिंचाई तकनीकों को बढ़ावा दिया जा रहा है।
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