किसान भाइयों, गेहूँ की कटाई दंवाई जारी है, और अप्रैल का महीना शुरू हो गया। खेत खाली होंगे, लेकिन ये मौका है फिर से फसल उगाने का। गेहूँ कटाई के तुरंत बाद कई फसलें बोई जा सकती हैं, जो मिट्टी को ताकत देंगी और आपकी कमाई बढ़ाएँगी। खरीफ का सीजन शुरू होने वाला है, और गर्मी-बारिश का मेल इन फसलों के लिए बेस्ट है। आइए, देसी अंदाज में जानें कि गेहूँ के बाद क्या-क्या बो सकते हैं।
खेत का हाल और मौसम का मिजाज
गेहूँ की कटाई मार्च-अप्रैल में पूरी होती है। अभी खेत में नमी बची है, और अप्रैल में गर्मी के साथ हल्की बारिश की संभावना भी है। मिट्टी में गेहूँ की जड़ों से थोड़ा पोषण बचा रहता है, जो नई फसल के लिए फायदेमंद है। गाँव में कहते हैं, “खेत को आराम न दो, वरना सोना हाथ से जाएगा।” अप्रैल से जून तक का वक्त छोटी और तेजी से बढ़ने वाली फसलों के लिए सही है। मिट्टी की जाँच करें, अगर नाइट्रोजन कम हो, तो ऐसी फसल चुनें जो मिट्टी को ताकत दे।
मूँग और उड़द : हरी दालों का कमाल
गेहूँ के बाद मूँग और उड़द की बुवाई बढ़िया रहती है। ये दालें 60-70 दिन में तैयार हो जाती हैं। प्रति हेक्टेयर 15-20 किलो बीज चाहिए। कतार से कतार 30 सेमी और पौधे से पौधे 10 सेमी की दूरी रखें। मूँग की ‘पुसा विशाल’ और उड़द की ‘पंत उ-19’ किस्में जल्दी बढ़ती हैं। हल्की बारिश और गर्मी इनके लिए सही है। एक हेक्टेयर से 8-12 क्विंटल उपज मिलती है, जो 60-80 रुपये किलो बिकती है। ये मिट्टी में नाइट्रोजन बढ़ाती हैं, जो अगली फसल के लिए फायदा देती है। बुवाई के बाद हल्का पानी दें, और 20-25 दिन बाद गुड़ाई करें।
मक्का और बाजरा : गर्मी की शान
मक्का और बाजरा गेहूँ के बाद बोने के लिए शानदार हैं। अप्रैल में शुरूआती बुवाई कर सकते हैं, खासकर अगर बारिश का इंतजाम हो। मक्का के लिए 20-25 किलो बीज और बाजरे के लिए 4-5 किलो बीज प्रति हेक्टेयर चाहिए। मक्का की ‘अफ्रीकन टॉल’ और बाजरे की ‘HHB-67’ किस्में गर्मी में अच्छी उपज देती हैं। मक्का को 90-100 दिन और बाजरे को 70-80 दिन लगते हैं। मक्का से 40-50 क्विंटल और बाजरे से 20-25 क्विंटल उपज मिलती है। मक्का 20-30 रुपये किलो और बाजरा 25-35 रुपये किलो बिकता है। दोनों पशुओं के लिए चारा भी देते हैं। मिट्टी में गोबर की खाद (5-8 टन) डालें और ड्रिप से पानी दें।
सब्जियाँ : तुरंत कमाई का जुगाड़
गेहूँ के बाद सब्जियाँ जैसे भिंडी, लौकी, तुरई, और खीरा बो सकते हैं। ये 40-60 दिन में तैयार हो जाती हैं। भिंडी के लिए 10-15 किलो बीज, लौकी और तुरई के लिए 2-3 किलो बीज प्रति हेक्टेयर लें। ‘पुसा सावनी’ (भिंडी) और ‘पुसा संदेश’ (लौकी) किस्में बढ़िया हैं। कतार से कतार 45 सेमी और पौधे से पौधे 30 सेमी की दूरी रखें। एक हेक्टेयर से भिंडी 80-100 क्विंटल और लौकी 100-120 क्विंटल देती है। बाजार में भिंडी 30-50 रुपये किलो और लौकी 20-40 रुपये किलो बिकती है। हफ्ते में 1-2 बार पानी दें और नीम का तेल छिड़कें, ताकि कीट न लगें। ये तुरंत कमाई देती हैं।
कमाई का हिसाब और सावधानी
मूँग-उड़द से 50,000-1 लाख, मक्का-बाजरे से 1-1.5 लाख, और सब्जियों से 2-3 लाख रुपये प्रति हेक्टेयर की कमाई हो सकती है। लागत 15,000-25,000 रुपये रहती है। मगर सावधानी बरतें, अप्रैल में बारिश की खबर है (1-3 तारीख), तो जल निकासी ठीक रखें। फसल चुनते वक्त मौसम और बाजार देखें। गाँव में कहते हैं, “खेत को समझो, फसल को संभालो।” बीज अच्छे लें और खेत को खाली न छोड़ें। ये फसलें मिट्टी को भी फायदा देंगी और आपकी जेब को भी।
तो, किसान भाइयों, गेहूँ कटाई के बाद मूँग, उड़द, मक्का, बाजरा, या सब्जियाँ बोएँ। खेतों को हरा-भरा रखें और मेहनत का पूरा फल पाएँ।
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