Agro Tourism And Organic Farming: किसान भाइयों, क्या आपने कभी सोचा कि आपके खेत न सिर्फ अनाज और फल उगाने का जरिया बन सकते हैं, बल्कि पर्यटकों को आकर्षित करने का केंद्र भी बन सकते हैं? जैविक खेती और एग्रो टूरिज्म का मेल एक ऐसा सुनहरा रास्ता है, जो कम मेहनत में बंपर कमाई दे सकता है। श्रीगंगानगर जैसे इलाकों में कई किसान इस राह पर चलकर अपने खेतों को पर्यटक स्थल बना रहे हैं। एक ऐसी ही प्रेरक कहानी है एक किसान की, जिन्होंने विदेश की नौकरी छोड़कर अपने खेत में जैविक खेती और एग्रो टूरिज्म शुरू किया। आइए जानें कि कैसे आप भी अपने खेत को जैविक खेती और एग्रो टूरिज्म से समृद्ध बना सकते हैं।
जैविक खेती की ताकत
जैविक खेती का मतलब है प्रकृति के साथ मिलकर खेती करना। इसमें रासायनिक खाद और कीटनाशकों की जगह गोबर की खाद, वर्मी कंपोस्ट, और नीम जैसे प्राकृतिक उपायों का उपयोग होता है। श्रीगंगानगर के एक किसान ने अपने खेत में जामुन, आम, नींबू, अमरूद, चीकू और बादाम जैसे फलदार पेड़ लगाए। ये फल न सिर्फ सेहतमंद हैं, बल्कि बाजार में इनकी अच्छी कीमत भी मिलती है। जैविक फल और सब्जियाँ आजकल शहरों में खूब बिक रही हैं, क्योंकि लोग रासायनिक खेती से होने वाले नुकसान को समझने लगे हैं। जैविक खेती न सिर्फ मिट्टी की उर्वरता बढ़ाती है, बल्कि पर्यटकों को भी आकर्षित करती है, जो प्राकृतिक खेती का अनुभव लेना चाहते हैं।
एग्रो टूरिज्म का अनोखा अंदाज
एग्रो टूरिज्म का मतलब है अपने खेत को पर्यटकों के लिए एक अनुभव का केंद्र बनाना। श्रीगंगानगर के पास एक किसान ने अपने खेत में मिट्टी और गोबर से बने कच्चे मकान बनाए, जो गर्मियों में ठंडे और सर्दियों में गर्म रहते हैं। इन मकानों में पुरानी चारपाइयों, मिट्टी के बर्तनों, और देसी सजावट का उपयोग किया गया, जो पर्यटकों को पुराने जमाने की याद दिलाता है। यहाँ आने वाले लोग खेतों में घूमते हैं, जैविक फल तोड़ते हैं, और गायों का दूध निकालने जैसे कामों में हिस्सा लेते हैं। ये अनुभव शहर के लोगों के लिए ताजी हवा की सैर जैसा है, और वे इसके लिए अच्छा पैसा देने को तैयार रहते हैं।
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खेत में पर्यटक सुविधाएँ
एग्रो टूरिज्म को सफल बनाने के लिए कुछ खास सुविधाएँ चाहिए। किसान ने अपने खेत में मिट्टी के कमरे बनाए, जिनमें प्राकृतिक रोशनदान हैं। इन कमरों को गोबर और मिट्टी से लिपा गया, जो गर्मी में ठंडक देता है। सजावट के लिए पुराने बर्तन, लकड़ी की चारपाइयाँ, और दुर्लभ बैलगाड़ी जैसी चीजें रखी गईं, जो पर्यटकों को आकर्षित करती हैं। खाने के लिए तांबे और कांसे के बर्तनों का उपयोग होता है, और साबुन की जगह दही-बेसन का पेस्ट दिया जाता है। रात में मच्छरों से बचने के लिए तारामीरा तेल का इस्तेमाल होता है। ये छोटी-छोटी चीजें पर्यटकों को देसी संस्कृति का अनुभव देती हैं, जो उन्हें खूब पसंद आता है।
जैविक खेती और पर्यटन का मेल
जैविक खेती और एग्रो टूरिज्म का मेल किसानों के लिए डबल फायदा लाता है। एक तरफ, जैविक फल और सब्जियाँ बाजार में अच्छे दाम पर बिकती हैं। दूसरी तरफ, पर्यटक खेत में रहने, खाने, और देसी अनुभव के लिए पैसे देते हैं। श्रीगंगानगर के किसान ने अपनी देशी गायों की डेयरी से शुद्ध घी बनाया, जो बाजार में अच्छी कीमत पर बिका। इसके साथ ही, पर्यटकों को गायों के साथ समय बिताने और दूध निकालने का मौका दिया, जो उनके लिए नया और मजेदार अनुभव था। कुछ पर्यटक घोड़ों की सवारी का आनंद लेते हैं, तो कुछ खेतों में घूमकर जैविक खेती के गुर सीखते हैं। ये अनुभव पर्यटकों को प्रकृति के करीब लाता है और किसानों की कमाई बढ़ाता है।
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शुरू करने के लिए प्रैक्टिकल टिप्स
अगर आप अपने खेत में एग्रो टूरिज्म शुरू करना चाहते हैं, तो कुछ आसान कदम उठा सकते हैं। सबसे पहले, अपने खेत में जैविक खेती शुरू करें। फलदार पेड़ जैसे जामुन, आम, या नींबू लगाएं, जो कम मेहनत में अच्छी पैदावार दें। इसके बाद, भारत सरकार की एग्रो टूरिज्म योजना के तहत जानकारी लें, जिसमें सब्सिडी और प्रशिक्षण मिल सकता है। खेत में 2-3 कच्चे कमरे बनाएँ, जो मिट्टी और गोबर से बने हों। इनमें देसी सजावट, जैसे चारपाइयाँ, मिट्टी के बर्तन, और पुराने कृषि यंत्र रखें। खाने के लिए जैविक फल, सब्जियाँ, और देसी व्यंजन जैसे बाजरे की रोटी या दाल-बाटी परोसें। पर्यटकों के लिए गाय, भैंस, या घोड़ों जैसी गतिविधियाँ शुरू करें। सोशल मीडिया और स्थानीय पर्यटन विभाग से अपने खेत को प्रचारित करें।
कमाई और पर्यावरण का डबल फायदा
जैविक खेती और एग्रो टूरिज्म से कमाई के साथ-साथ पर्यावरण को भी फायदा होता है। जैविक खेती मिट्टी की उर्वरता बढ़ाती है और रासायनिक प्रदूषण कम करती है। पर्यटक खेत में आकर प्रकृति के महत्व को समझते हैं और जैविक खेती को बढ़ावा देते हैं। एक एकड़ में जैविक फल बेचकर 50,000 से 1,00,000 रुपये सालाना कमाए जा सकते हैं, और एग्रो टूरिज्म से प्रति पर्यटक 1000-2000 रुपये प्रतिदिन की अतिरिक्त कमाई हो सकती है। अगर साल में 100 पर्यटक भी आएँ, तो 1-2 लाख रुपये की अतिरिक्त आय हो सकती है।
किसानों के लिए प्रेरणा
श्रीगंगानगर के इस किसान की तरह आप भी अपने खेत को जैविक खेती और एग्रो टूरिज्म का केंद्र बना सकते हैं। ये न सिर्फ आपकी कमाई बढ़ाएगा, बल्कि आपके खेत को देश-विदेश में मशहूर भी करेगा। अपने स्थानीय कृषि केंद्र या पर्यटन विभाग से संपर्क करें और इस नई राह पर कदम बढ़ाएँ। जैविक खेती और एग्रो टूरिज्म आपके खेत को नया जीवन दे सकता है।
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