अलीगढ़ का चिप्सोना आलू बना इंटरनेशनल स्टार! दुबई से मिली बंपर डिमांड, किसान हुए मालामाल

अलीगढ़ का आलू अब सिर्फ मंडियों या हमारे रसोईघरों तक सीमित नहीं है। यह अब दुबई और खाड़ी देशों के बाजारों में धूम मचा रहा है। जी हाँ, हमारे अलीगढ़ के आलू की खुशबू अब विदेशों तक पहुँच रही है। वित्तीय वर्ष 2023-24 में भारत से 2 लाख टन आलू खाड़ी देशों को निर्यात हुआ, और इसमें अलीगढ़ के किसानों का बड़ा हाथ है। आइए, जानते हैं कि अलीगढ़ का आलू इतना खास क्यों है और यह कैसे किसानों की जेबें भर रहा है।

अलीगढ़ के आलू की बढ़ती मांग

अलीगढ़ का आलू अब स्थानीय मंडियों से निकलकर अंतरराष्ट्रीय बाजारों में अपनी जगह बना रहा है। खासकर दुबई, कतर, और मलेशिया जैसे देशों में इसकी मांग तेजी से बढ़ रही है। पिछले साल की तुलना में 2023-24 में भारत से 50 हजार टन ज्यादा आलू निर्यात हुआ। अलीगढ़ की उपजाऊ मिट्टी और यहाँ की अनुकूल जलवायु इसकी गुणवत्ता को और बेहतर बनाती है। यहाँ करीब 25 हजार हेक्टेयर जमीन पर आलू की खेती होती है, और पिछले साल 11 लाख टन आलू का उत्पादन हुआ, जिसमें से 4.4 लाख टन विदेशों को भेजा गया। यह आलू न सिर्फ स्वाद में लाजवाब है, बल्कि चिप्स और प्रोसेस्ड फूड इंडस्ट्री के लिए भी बहुत पसंद किया जाता है।

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चिप्सोना: मुनाफे की चमक

अलीगढ़ में सबसे ज्यादा ‘कुफरी चिप्सोना’ किस्म का आलू उगाया जाता है, जो चिप्स बनाने और प्रोसेस्ड फूड के लिए सबसे अच्छा माना जाता है। इसकी खासियत यह है कि यह कम चीनी और ज्यादा स्टार्च वाला होता है, जो चिप्स को कुरकुरा और स्वादिष्ट बनाता है। विदेशी कंपनियाँ, खासकर खाड़ी देशों की, इसे खूब पसंद करती हैं। अलीगढ़ की मिट्टी में बलुई दोमट और दोमट का मिश्रण है, जो आलू की गुणवत्ता को और निखारता है। यही वजह है कि यहाँ का आलू न सिर्फ भारत में, बल्कि विदेशों में भी अपनी अलग पहचान बना रहा है।

खेती का आसान तरीका

अलीगढ़ में आलू की खेती करना कोई जटिल काम नहीं है। यहाँ की जलवायु और मिट्टी आलू के लिए बहुत अनुकूल है। किसान भाई अगर सही समय पर बुवाई करें और अच्छी किस्म के बीज इस्तेमाल करें, तो मुनाफा पक्का है। कुफरी चिप्सोना के अलावा कुफरी ज्योति, कुफरी बहार, और कुफरी पुखराज जैसी किस्में भी यहाँ उगाई जाती हैं। बुवाई के लिए अक्टूबर-नवंबर का समय सबसे अच्छा है। खेत में पानी की निकासी का अच्छा इंतजाम होना चाहिए, और गोबर की खाद या वर्मी कंपोस्ट का इस्तेमाल करें। प्रति हेक्टेयर 20-25 क्विंटल बीज और सही मात्रा में खाद डालने से अच्छी पैदावार मिलती है।

मुनाफा और निर्यात

2023-24 में भारत ने 3.57 मिलियन किलोग्राम आलू निर्यात किया, जिससे करीब 4.89 बिलियन डॉलर की विदेशी मुद्रा प्राप्त हुई। अलीगढ़ का इसमें बड़ा योगदान रहा। यहाँ से निर्यात होने वाला आलू न सिर्फ दुबई, बल्कि नेपाल, अमेरिका, जापान, और वियतनाम जैसे देशों में भी जा रहा है। अलीगढ़ के किसानों ने इस मौके को अच्छे से भुनाया है। अगर एक एकड़ में 100-120 क्विंटल आलू पैदा होता है और बाजार में इसका दाम 20-30 रुपये प्रति किलो भी मिले, तो किसान भाई लाखों रुपये कमा सकते हैं। खास बात यह है कि विदेशी बाजारों में इसकी कीमत और भी ज्यादा होती है।

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AMU का शोध और किसानों का भविष्य

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (AMU) के कृषि सूक्ष्म जीव विज्ञान विभाग के शोधकर्ता इस दिशा में लगातार काम कर रहे हैं। असिस्टेंट प्रोफेसर ताहिर मोहम्मद चौहान और उनके साथी प्रोफेसर इकबाल अहमद और डीन इकराम अहमद के मार्गदर्शन में आलू की गुणवत्ता और उत्पादन को बेहतर करने के लिए नए-नए प्रयोग हो रहे हैं। यहाँ 11 किस्मों के आलू की खेती होती है, जिनमें कुफरी श्रेणी की किस्में सबसे ज्यादा लोकप्रिय हैं। इन शोधों की वजह से अलीगढ़ का आलू न सिर्फ गुणवत्ता में बल्कि निर्यात में भी आगे निकल रहा है।

अलीगढ़ के किसान भाइयों के लिए यह सुनहरा मौका है। अगर आप आलू की खेती शुरू करना चाहते हैं, तो कुफरी चिप्सोना या कुफरी ज्योति जैसी किस्में चुनें। अपने खेत की मिट्टी की जाँच करवाएँ और सही समय पर खाद व पानी का इंतजाम करें। विदेशी बाजारों में डिमांड बढ़ रही है, इसलिए निर्यातकों या प्रोसेसिंग कंपनियों से संपर्क करें। अलीगढ़ का आलू अब सिर्फ खेतों की शान नहीं, बल्कि विदेशों में भारत का नाम रोशन कर रहा है।

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  • Rahul Maurya

    मेरा नाम राहुल है। मैं उत्तर प्रदेश से हूं और मैंने संभावना इंस्टीट्यूट से पत्रकारिता में शिक्षा प्राप्त की है। मैं Krishitak.com का संस्थापक और प्रमुख लेखक हूं। पिछले 3 वर्षों से मैं खेती-किसानी, कृषि योजनाएं, और ग्रामीण भारत से जुड़े विषयों पर लेखन कर रहा हूं।

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