Best potato varieties: किसान साथियों के लिए आलू की खेती हमेशा से कमाई का एक भरोसेमंद ज़रिया रही है। हमारे खेतों में आलू की कई ऐसी किस्में हैं, जो न सिर्फ़ अच्छी पैदावार देती हैं, बल्कि अलग-अलग ज़रूरतों, जैसे चिप्स, फ्रेंच फ्राइज़, या लंबे समय तक स्टोरेज, के लिए भी मुफ़ीद हैं। कुफरी चिपसोना, पुखराज, ज्योति, और सिंधुरी जैसी किस्मों ने भारतीय खेती में अपनी खास जगह बनाई है। ये किस्में उत्तर भारत, मध्य भारत, और यहाँ तक कि पहाड़ी इलाकों में भी अच्छी पैदावार देती हैं। आइए, इन किस्मों और इनसे खेती के तरीकों को करीब से समझें, ताकि आप अपने खेतों में ज़्यादा मुनाफा कमा सकें।
कुफरी चिपसोना-1, चिप्स और फ्राइज़ का बादशाह
कुफरी चिपसोना-1 उन किसान भाइयों के लिए वरदान है, जो आलू को प्रोसेसिंग के लिए उगाना चाहते हैं। इस किस्म में शर्करा की मात्रा कम होती है, जिसके चलते ये चिप्स और फ्रेंच फ्राइज़ बनाने के लिए बहुत अच्छी है। ये 90 से 100 दिन में पककर तैयार हो जाती है और उत्तर प्रदेश, पंजाब, और बिहार जैसे राज्यों में खूब उगाई जाती है। इसकी पैदावार 300 से 350 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक होती है। अगर आप बाज़ार में चिप्स कंपनियों को आलू बेचना चाहते हैं, तो ये किस्म आपके लिए सबसे अच्छी है। बस, खेत में पानी की अच्छी व्यवस्था रखें और मिट्टी की जाँच करवाएँ, ताकि पोषक तत्वों की कमी न हो।
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कुफरी पुखराज, जल्दी तैयार, बंपर पैदावार
कुफरी पुखराज उन किसानों के लिए मुफ़ीद है, जो जल्दी पकने वाली और ज़्यादा पैदावार देने वाली किस्म चाहते हैं। ये आलू 70 से 90 दिन में तैयार हो जाता है और इसके कंद बड़े और हल्के पीले रंग के होते हैं। ये पूरे भारत में, चाहे मैदानी इलाके हों या पहाड़, हर जगह अच्छी पैदावार देता है। इसकी पैदावार 400 से 500 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक हो सकती है, जो इसे बहुत लोकप्रिय बनाती है। अगर आपके खेत में मिट्टी अच्छी है और आप जल्दी खेती का चक्र पूरा करना चाहते हैं, तो कुफरी पुखराज चुनें। इसके लिए नियमित सिंचाई और गोबर की खाद का इस्तेमाल करें, ताकि पैदावार और बढ़े।
कुफरी ज्योति, रोगों से लड़ने वाली किस्म
कुफरी ज्योति उन किसान भाइयों के लिए बेहतरीन है, जो ऐसी किस्म चाहते हैं जो रोगों से लड़े। ये खास तौर पर झुलसा रोग (लेट ब्लाइट) के खिलाफ मज़बूत है। ये 90 से 110 दिन में पकती है और उत्तर भारत के मैदानी इलाकों के साथ-साथ पहाड़ी क्षेत्रों में भी अच्छी पैदावार देती है। इसकी पैदावार 250 से 300 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है। अगर आपके खेत में पहले झुलसा रोग की समस्या रही है, तो ये किस्म आपके लिए सही रहेगी। इसके लिए नीम के तेल को पानी में मिलाकर छिड़काव करें और मिट्टी में नमी बनाए रखें, ताकि फसल स्वस्थ रहे।
कुफरी सिंधुरी, लंबे स्टोरेज का साथी
कुफरी सिंधुरी उन किसानों के लिए खास है, जो आलू को लंबे समय तक स्टोर करना चाहते हैं। इसके लाल छिलके वाले कंद न सिर्फ़ आकर्षक होते हैं, बल्कि कई महीनों तक खराब नहीं होते। ये 110 से 120 दिन में पककर तैयार हो जाती है और उत्तर भारत व मध्य भारत में अच्छी पैदावार देती है। इसकी पैदावार 350 से 400 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक होती है। अगर आप आलू को बाज़ार में बाद में बेचना चाहते हैं, जब दाम अच्छे हों, तो कुफरी सिंधुरी चुनें। स्टोरेज के लिए ठंडी और सूखी जगह का ध्यान रखें और गोबर खाद या जैविक खाद का इस्तेमाल करें, ताकि कंद स्वस्थ रहें।
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कुफरी चिपसोना-3, प्रोसेसिंग की नई पसंद
कुफरी चिपसोना-3 भी चिप्स और फ्रेंच फ्राइज़ के लिए बेहतरीन है, क्योंकि इसमें सूखी सामग्री (ड्राई मैटर) की मात्रा ज़्यादा होती है। ये 100 से 110 दिन में तैयार हो जाती है और पंजाब, उत्तर प्रदेश, और बिहार जैसे राज्यों में खूब उगाई जाती है। इसकी पैदावार 300 से 350 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक होती है। अगर आप प्रोसेसिंग इंडस्ट्री के लिए आलू उगाना चाहते हैं, तो ये किस्म आपके लिए मुफ़ीद है। इसके लिए खेत में अच्छी ड्रेनेज व्यवस्था रखें और समय-समय पर मिट्टी की जाँच करवाएँ, ताकि पोषण की कमी न हो।
आलू की इन किस्मों ने हमारे खेतों में नई क्रांति ला दी है। चाहे आप चिप्स के लिए कुफरी चिपसोना चुनें, जल्दी पैदावार के लिए कुफरी पुखराज, या लंबे स्टोरेज के लिए कुफरी सिंधुरी, हर किस्म आपके लिए मुनाफा ला सकती है। बस, सही किस्म का चयन करें, मिट्टी की जाँच करवाएँ, और देसी नुस्खों का इस्तेमाल करें। अगर आपको इन किस्मों के बीज चाहिए, तो नज़दीकी कृषि केंद्र या मंडी से संपर्क करें।
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