कीजिए ये जबदस्त उपाय, अमरुद के फूल, फल में तेजी से बदलेंगे, लद जाएंगी सभी डालियाँ

प्यारे किसान भाइयों, आपके खेतों की मेहनत ही हर फल में मिठास भरती है। अमरूद का पेड़ जब फूलों से लद जाता है, तो उम्मीदें बढ़ती हैं, मगर कई बार ये फूल झड़ जाते हैं और फल कम लगते हैं। अगर आपके अमरूद के पेड़ में अभी फूल खिल रहे हैं, तो ये सही मौका है कुछ देसी उपाय आजमाने का। इन आसान तरीकों से हर फूल फल बन सकता है और डालियाँ फलों से झुक सकती हैं। गाँव में इन्हें अपनाएँ, तो फसल भी बढ़ेगी और कमाई भी। आइए जानते हैं कि फूलों से अधिक फल कैसे लाएँ।

फूलों का फल बनना क्यों जरूरी

अमरूद में फूल दो बार आते हैं-बरसाती मौसम में अप्रैल-मई और सर्दी में अगस्त-सितंबर। मगर फूलों का फल में बदलना मिट्टी, पानी, और देखभाल पर टिका है। अगर फूल झड़ गए, तो फसल हाथ से निकल जाती है। सही तरीके अपनाएँ, तो 50-70% फूल फल बन सकते हैं। एक पेड़ से 50-100 किलो फल मिल सकते हैं, जिसका मतलब है बंपर कमाई।

पानी का सही इंतजाम

फूल आने पर पानी का संतुलन बहुत जरूरी है। ज्यादा पानी फूल झड़ा देता है, और कम पानी से फल छोटे रहते हैं। फूल खिलने के दौरान हफ्ते में एक बार 15-20 लीटर पानी दें, ताकि मिट्टी नम रहे, लेकिन गीली न हो। ड्रिप सिस्टम से जड़ों तक पानी पहुँचाना आसान है। गर्मी में जड़ों के पास पुआल या सूखी घास डालें, तो नमी बनी रहेगी। फूल आने के बाद 15-20 दिन तक पानी कम करें, वरना फूल कमजोर पड़ सकते हैं। गाँव में कहते हैं कि पानी सही हो, तो फूल फल में बदलने को तैयार रहता है।

खाद से फूलों को ताकत

फूलों को फल में बदलने के लिए पेड़ को पोषण देना जरूरी है। देसी खाद इस काम में कमाल करती है। 2 किलो गोबर को 10 लीटर पानी में घोलकर प्रति पेड़ जड़ों पर डालें—महीने में एक बार काफी है। फूल आने पर 200 ग्राम यूरिया, 300 ग्राम सिंगल सुपर फॉस्फेट, और 200 ग्राम म्यूरेट ऑफ पोटाश प्रति पेड़ डालें। इसे जड़ों से 1-2 फीट दूर गोलाई में डालकर मिट्टी में मिलाएँ। 1 किलो नीम की खली भी डालें, इससे फूल मजबूत होंगे और झड़ेंगे नहीं। ये खुराक फूलों को ताकत देती है और फलन बढ़ाती है।

फूल झड़ने से रोकथाम

फूलों का झड़ना फल कम होने की बड़ी वजह है। इसके लिए कीटों से लड़ना पड़ता है। फल मक्खी और तना भेदक फूलों को नुकसान पहुँचाते हैं, तो नीम का तेल (5 मिली प्रति लीटर पानी) का छिड़काव करें। NAA (नैफ्थलिक एसिटिक एसिड) 20 ppm का घोल बनाकर फूलों पर हल्का छिड़कें, इससे फूल पकने में मदद मिलती है—50 रुपये की शीशी 10-15 पेड़ों के लिए काफी है। तेज हवा से फूल झड़ सकते हैं, इसलिए पेड़ के चारों तरफ बाँस या जाल से हल्की दीवार बनाएँ। गाँव में नीम की टहनियों का धुआँ भी कीटों को भगाने में कारगर है।

छंटाई और हवा-धूप का कमाल

फूल आने से पहले हल्की छंटाई फलन बढ़ाने में मदद करती है। फरवरी या जुलाई में सूखी और टेढ़ी टहनियाँ काटें, ताकि हवा और धूप अंदर तक जाए। पेड़ को 2-3 मीटर ऊँचाई तक रखें। इससे फूलों को जगह मिलती है और फल ज्यादा लगते हैं। कैंची से साफ कट करें, पेड़ को चोट न लगे।

देसी टोटकों का जादू

कुछ पुराने देसी टोटके भी फूलों को फल में बदलने में कमाल करते हैं। पेड़ की छाल पर जड़ से 1 फीट ऊपर 1-2 सेमी की पतली गोलाई काटें—ये रिंगिंग कहलाती है और पोषण फूलों तक भेजती है, लेकिन सावधानी से करें। 1 किलो गुड़ को 10 लीटर पानी में घोलकर जड़ों पर डालें, फलन की ताकत बढ़ेगी। 500 ग्राम लकड़ी की राख जड़ों पर छिड़कें, ये पोटाश की कमी पूरी करती है। ये टोटके गाँव में आजमाए हुए हैं और नतीजे शानदार देते हैं।

फल पकने की देखभाल

जब फूल फल बनने लगें, तो पानी को 10-15 दिन में एक बार बढ़ाएँ। फल मक्खी से बचाने के लिए फेरोमोन ट्रैप (50 रुपये प्रति) लगाएँ। फल भारी हों, तो टहनियों को बाँस से सहारा दें, ताकि न टूटें।

कमाई का हिसाब

एक पेड़ से 50-100 किलो फल मिल सकते हैं। 10 पेड़ों से 5-10 क्विंटल उपज होगी, जो 20-40 रुपये किलो बिकती है। यानी 10,000-40,000 रुपये की कमाई। लागत 2,000-5,000 रुपये। बड़े बगीचे में ये लाखों तक जा सकती है।

ये भी पढ़ें – अरहर की खेती करने से पहले जान लें ये 6 बेहतरीन किस्में, पैदावार होगी दोगुनी और मुनाफा शानदार!

Author

  • Dharmendra

    मै धर्मेन्द्र एक कृषि विशेषज्ञ हूं जिसे खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी साझा करना और नई-नई तकनीकों को समझना बेहद पसंद है। कृषि से संबंधित लेख पढ़ना और लिखना मेरा जुनून है। मेरा उद्देश्य है कि किसानों तक सही और उपयोगी जानकारी पहुंचे ताकि वे अधिक उत्पादन कर सकें और खेती को एक लाभकारी व्यवसाय बना सकें।

    View all posts

Leave a Comment