खेते में उगाएं ये चमत्कारी घास, पूरी गर्मी गाय-भैंस को मिलेगा हरा चारा, दूध की नदियां बहेंगी

Animal Food Farming: गाँव में पशुपालन करने वाले हर किसान को पता है कि गर्मी का मौसम आते ही हरे चारे की दिक्कत शुरू हो जाती है। जब खेत और मैदान सूखने लगते हैं, तो गाय-भैंस को खिलाने के लिए कुछ नहीं मिलता। इससे दूध भी कम हो जाता है और मेहनत पर पानी फिर जाता है। लेकिन आप अभी से सतर्क हो जाएँ, तो ये परेशानी दूर हो सकती है। वसंत का महीना चल रहा है, और ये सही वक्त है कि आप अपने खेत में ऐसी घास बो दें, जो गर्मी भर आपके पशुओं का पेट भरे। खास बात ये कि इसे एक बार लगाओ, फिर काटने के बाद भी ये अपने आप उगती रहेगी।

नेपियर घास: गर्मियों का सबसे बढ़िया चारा

अगर आप गर्मियों में हरे चारे की चिंता से बचना चाहते हैं, तो नेपियर घास आपके लिए सबसे बेहतर है। इसे हाथी घास या हाइब्रिड घास भी कहते हैं। ये घास गाय-भैंस के लिए बहुत पौष्टिक होती है और इतनी तेज़ी से उगती है कि आपको बार-बार बोने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी। बस मार्च में इसे खेत में लगा दें। एक बार काटने के बाद थोड़ा पानी और खाद डालें, ये फिर से हरी-भरी हो जाएगी। ये पशुओं को ताकत देती है और दूध बढ़ाने में भी मदद करती है। गाँव के कई किसान इसे आज़मा चुके हैं और इसके फायदे देख चुके हैं। आप भी इसे आज़माएँ, फिर देखें कैसे गर्मी में भी चारा भरपूर मिलता है।

ज्वार घास: पशुओं के लिए देसी तोहफा

नेपियर के अलावा ज्वार की घास भी गर्मियों के लिए शानदार है। इसमें पानी और फाइबर खूब होता है, जो आपके पशुओं को गर्मी से राहत देता है। इसे भी एक बार काटने के बाद दोबारा उगाया जा सकता है। ज्वार घास खाने से पशुओं का दूध अच्छा बढ़ता है, और उनकी सेहत भी दुरुस्त रहती है। आप इसे अपने खेत के एक कोने में अभी से बो दें, ताकि अप्रैल-मई की तपती गर्मी में आपके मवेशियों को भूखा न रहना पड़े। ये दोनों घासें ऐसी हैं, जो कम मेहनत में बड़ा फायदा देती हैं।

अभी करें तैयारी, गर्मी में मिलेगी राहत

गर्मी का मौसम मुश्किल भरा होता है, लेकिन आप अभी से थोड़ी तैयारी कर लें, तो सब आसान हो जाएगा। फरवरी-मार्च में खेत में घास बोना शुरू करें। थोड़ा पानी और देखभाल करें, फिर देखें कैसे आपके पशु गर्मी में भी हरे-भरे चारे से तंदुरुस्त रहते हैं। इससे न सिर्फ चारे की कमी दूर होगी, बल्कि दूध की बाल्टियाँ भी भरी रहेंगी। मेहनत आपकी, फायदा आपका!

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  • Shashikant

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