राजस्थान की हर ग्राम पंचायत में खुलेगा पशु अस्पताल, कैबिनेट मंत्री ने दी मंजूरी

पशुपालकों के लिए अब बड़ी खुशखबरी है। पहले जब गाय, भैंस, बकरी या किसी पशु को कोई तकलीफ होती थी, तो पशुपालकों को सैकड़ों किलोमीटर दूर शहर के पशु चिकित्सालयों का चक्कर लगाना पड़ता था। लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। राजस्थान सरकार ने हर ग्राम पंचायत में पशु चिकित्सालय खोलने का फैसला किया है, और सुमेरपुर विधानसभा क्षेत्र में इसकी मंजूरी मिल चुकी है। अब गाँव में ही पशुओं का इलाज होगा, जिससे समय, मेहनत और पैसों की बचत होगी।

पशुपालकों की पुरानी मुसीबत होगी खत्म

गाँवों में पशुपालन सिर्फ आजीविका का साधन नहीं, बल्कि जिंदगी का हिस्सा है। लेकिन जब पशु बीमार पड़ता था, तो उसे शहर ले जाना पशुपालकों के लिए बड़ी मुसीबत बन जाता था। रास्ते की दूरी, खर्चा, और समय की कमी के चलते कई बार पशुओं का इलाज ठीक से नहीं हो पाता था। अब सुमेरपुर विधानसभा की हर ग्राम पंचायत में पशु चिकित्सालय खुलने से ये दिक्कतें खत्म हो जाएँगी। गाँव के पास ही डॉक्टर और दवाइयाँ मिलेंगी, जिससे पशुओं की सेहत का ख्याल रखना आसान हो जाएगा। ये योजना पशुपालकों के लिए किसी वरदान से कम नहीं।

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राजस्थान पशुधन का दूसरा बड़ा गढ़

राजस्थान देश में पशुधन के मामले में दूसरे नंबर पर आता है। रेगिस्तान के इलाकों में, जहाँ खेती मुश्किल है, वहाँ पशुपालन गाँव वालों की रीढ़ है। गाय, भैंस, बकरी, ऊँट जैसे पशु न सिर्फ दूध और खेती में मदद देते हैं, बल्कि परिवार की आमदनी का बड़ा जरिया भी हैं। कैबिनेट मंत्री जोराराम कुमावत ने पाली जिले के सुमेरपुर विधानसभा के गाँव रोजड़ा में ये बात बताई। उन्होंने कहा कि पशुपालन न सिर्फ रोजगार देता है, बल्कि गाँवों की आर्थिक और सामाजिक तरक्की में भी बड़ा रोल अदा करता है। इसीलिए सरकार पशुपालकों के लिए दिन-रात काम कर रही है।

मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के नेतृत्व में राजस्थान सरकार ने पशुपालकों की मुश्किलें समझीं और बड़ा फैसला लिया। सुमेरपुर विधानसभा की हर ग्राम पंचायत मुख्यालय पर पशु चिकित्सालय खोलने की मंजूरी दे दी गई है। जहाँ ग्राम पंचायतों ने भूमि के पट्टे जारी कर दिए हैं, वहाँ चिकित्सालयों के भवनों का निर्माण शुरू हो चुका है। जिन गाँवों में पट्टे अभी बाकी हैं, वहाँ काम को तेज करने के निर्देश दिए गए हैं। इसके अलावा, राज्य में 25 प्रथम श्रेणी पशु चिकित्सालयों को बहु-उद्देश्यीय चिकित्सालयों में बदला गया है, 19 को प्रथम श्रेणी का दर्जा मिला है, और 101 पशु चिकित्सा उप-केंद्रों को पूर्ण चिकित्सालय बनाया गया है। ये सारे कदम पशुपालकों को बड़ी राहत देंगे।

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पशु चिकित्सालयों का फायदा

हर ग्राम पंचायत में पशु चिकित्सालय खुलने से पशुपालकों को कई फायदे होंगे। सबसे बड़ी बात, अब बीमार पशुओं को दूर शहर ले जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। गाँव में ही पशु डॉक्टर, दवाइयाँ, और इलाज की सुविधा मिलेगी। इससे समय और पैसे की बचत होगी। पशुओं का इलाज सही समय पर होगा, जिससे उनकी सेहत बेहतर रहेगी और दूध या अन्य उत्पादन बढ़ेगा। साथ ही, इन चिकित्सालयों में नई तकनीक और प्रशिक्षित कर्मचारी होंगे, जो पशुपालकों को बीमारियों से बचाव के तरीके भी सिखाएँगे। गाँव की अर्थव्यवस्था को भी इससे बल मिलेगा, क्योंकि स्वस्थ पशु ज्यादा मुनाफा देंगे।

सरकार का साथ

कैबिनेट मंत्री जोराराम कुमावत ने पाली के दौरे पर बताया कि राजस्थान सरकार पशुपालकों की हर मुश्किल को दूर करने के लिए प्रतिबद्ध है। सुमेरपुर जैसे इलाकों में पशु चिकित्सालय खोलना इसी दिशा में बड़ा कदम है। सरकार ने पहले भी कई योजनाएँ शुरू की हैं, जैसे राजस्थान पशु चिकित्सा रिलीफ सोसाइटी, जिसके तहत हर पशु चिकित्सालय में आधुनिक सुविधाएँ दी जा रही हैं। इसके अलावा, पशुपालकों को उन्नत नस्ल के पशु, सस्ते लोन, और प्रशिक्षण की सुविधा भी दी जा रही है। गाँव के पशुपालक अपने नजदीकी पशु चिकित्सालय या कृषि केंद्र से संपर्क करके इन योजनाओं का फायदा उठा सकते हैं।

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  • Shashikant

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