देश के कई हिस्सों में इन दिनों जबरदस्त गर्मी पड़ रही है। इसी गर्मी के कारण कई जगहों पर पशुओं में कर्रा रोग फैलने लगा है। खासतौर पर राजस्थान के जैसलमेर जिले में इस बीमारी का काफी ज्यादा असर देखने को मिल रहा है। कर्रा रोग की वजह से कई गायों की मौत भी हो चुकी है, जिससे पशुपालकों की चिंता बढ़ गई है।
सरकार ने कर्रा रोग को लेकर क्या कदम उठाए?
राजस्थान के पशुपालन एवं डेयरी मंत्री जोराराम कुमावत ने बताया कि राज्य सरकार और जिला प्रशासन मिलकर इस बीमारी की रोकथाम के लिए पूरी गंभीरता से काम कर रहे हैं। उन्होंने यह भी साफ कर दिया कि फिलहाल कर्रा रोग की कोई दवाई या वैक्सीन उपलब्ध नहीं है। इसलिए सबसे जरूरी बात यह है कि पशुपालक अपने पशुओं की सही देखभाल करें और उन्हें खुले में न छोड़ें। इसके अलावा, अधिकारियों को भी निर्देश दिए गए हैं कि योजनाबद्ध तरीके से काम करें ताकि ज्यादा से ज्यादा पशुओं को इस बीमारी से बचाया जा सके।
24 अप्रैल को जैसलमेर कलेक्ट्रेट सभागार में हुई बैठक में मंत्री ने पशुपालन विभाग के अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए कि गांव-गांव और पंचायत स्तर पर इस बीमारी को लेकर जागरूकता फैलाई जाए। इसके लिए विज्ञापन, होर्डिंग, एलईडी वॉल और सोशल मीडिया ग्रुप्स जैसे साधनों का भरपूर इस्तेमाल करने को कहा गया है। सरकार का कहना है कि कर्रा रोग से बचाव ही इसका सबसे अच्छा इलाज है, इसलिए लोगों को समय रहते इसके बारे में पूरी जानकारी दी जानी चाहिए।
अगर बात करें कर्रा रोग की, तो यह बीमारी तब फैलती है जब पशुओं के आहार में हरे चारे, कैल्शियम और फॉस्फोरस की भारी कमी हो जाती है। इस वजह से पशु अक्सर मृत जानवरों की हड्डियां खाने लगते हैं और इन हड्डियों से बोटुलिज्म नामक खतरनाक कीटाणु उनके शरीर में चले जाते हैं। यही कीटाणु कर्रा रोग का कारण बनते हैं। समय पर इलाज न मिलने पर यह बीमारी जानलेवा भी साबित हो सकती है।
कर्रा रोग से अपने पशुओं को बचाने के लिए पशुपालकों को चाहिए कि वे अपने पशुओं को हमेशा पोषण युक्त हरा चारा खिलाएं और उनके आहार में कैल्शियम और फॉस्फोरस की पर्याप्त मात्रा का ध्यान रखें। साथ ही पशुओं को किसी भी हाल में मृत जानवरों के अवशेष खाने से रोकना चाहिए। गर्मी के मौसम में पशुओं को ठंडी और स्वच्छ जगह पर रखना भी बहुत जरूरी है। साथ ही समय-समय पर पशुओं का स्वास्थ्य परीक्षण भी कराना चाहिए ताकि कोई भी बीमारी समय रहते पकड़ में आ जाए।
गर्मी के इस मुश्किल समय में पशुपालकों को विशेष सतर्कता बरतने की जरूरत है। सरकार अपनी तरफ से पूरी कोशिश कर रही है कि कर्रा रोग का प्रभाव कम से कम हो। लेकिन अगर सभी लोग मिलकर जागरूकता बढ़ाएं और जरूरी सावधानियां अपनाएं, तो इस बीमारी से बड़े नुकसान से बचा जा सकता है।
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