Mustard Farming Tips: सर्दियों की फसल सरसों के खेतों में हरियाली छाने लगी है, लेकिन किसान भाइयों को अभी से एक खतरे की घंटी बजानी चाहिए। देश के कई इलाकों में सरसों की बुवाई जोरों पर है, और दिसंबर के आखिरी हफ्ते से माहू कीट का हमला शुरू हो सकता है। यह छोटा सा कीट सरसों के साथ-साथ मक्का जैसी फसलों को भी भारी नुकसान पहुंचा चुका है। पिछले सालों में इसके प्रकोप से हजारों किसानों की मेहनत पर पानी फिर गया था। अगर समय रहते पहचान और बचाव के उपाय अपनाए जाएं, तो फसल को बचाया जा सकता है। सरसों की खेती से अच्छी कमाई का सपना टूटने न पाए, इसके लिए खेतों का नियमित दौरा जरूरी है।
माहू कीट कैसे पहचानें
माहू कीट को देखते ही किसान समझ जाएंगे कि खतरा मंडरा रहा है। ये कीट छोटे-छोटे, सलेटी या हरे रंग के होते हैं, जिनका आकार मुश्किल से 1 से 2 मिलीमीटर का होता है। ये पत्तियों की निचली सतह, तनों और फूलों पर झुंड बनाकर चिपक जाते हैं। इनका मुख्य काम पौधे का रस चूसना है, जिससे पौधा कमजोर पड़ जाता है। फलियां छोटी रह जाती हैं, दाने ठीक से नहीं भरते, और पैदावार में भारी गिरावट आ जाती है। सबसे साफ निशान यह है कि प्रभावित जगहों पर चिपचिपा पदार्थ जमा हो जाता है, जो बाद में काली फफूंद की परत बन जाता है। इससे पत्तियां काली पड़ जाती हैं और पौधा सूखने लगता है। अगर 10 फूलों में से 5 पर भी ये कीट दिखें, तो तुरंत कार्रवाई करें, वरना पूरी फसल खतरे में पड़ सकती है।
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दिसंबर से मार्च तक रहता है सबसे ज्यादा खतरा, देर बुवाई से बढ़ती मुसीबत
सरसों की फसल पर माहू का असली हमला दिसंबर के अंत से शुरू होता है और मार्च तक चलता रहता है। ठंड से गर्मी की ओर बढ़ते तापमान के साथ ये कीट तेजी से फैलते हैं। एक मादा माहू 24 घंटे में सैकड़ों अंडे दे सकती है, जिससे समस्या रातोंरात विकराल हो जाती है। जो किसान देर से बुवाई करते हैं, उनकी फसल पर खतरा दोगुना हो जाता है, क्योंकि पौधे कमजोर अवस्था में होते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि समय पर बुवाई और नाइट्रोजन खाद का संतुलित इस्तेमाल इससे बचाव के पहले कदम हैं। खेतों में घूम-घूमकर रोजाना जांच करें, ताकि शुरुआती दौर में ही कीट को रोका जा सके।
रासायनिक तरीकों से करें प्रभावी नियंत्रण, सलाह लें विशेषज्ञ से
अगर माहू का प्रकोप दिखे, तो रासायनिक उपायों से जल्दी काबू पाया जा सकता है। कृषि विशेषज्ञों की सलाह है कि मैलाथियान 50 ईसी या डाइमिथोएट 30 ईसी का इस्तेमाल करें। प्रति हेक्टेयर एक लीटर दवा को 500 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें। थियामेथोक्सम 25% डब्ल्यूजी भी रामबाण साबित होता है – 40 से 80 ग्राम प्रति एकड़ का छिड़काव पर्याप्त है। ड्रोन के जरिए स्प्रे करवाने से काम तेज और सुरक्षित हो जाता है। याद रखें, शाम के समय छिड़काव करें ताकि दवा अच्छे से असर करे। लेकिन हमेशा स्थानीय कृषि केंद्र से सलाह लें, क्योंकि गलत मात्रा से फसल को नुकसान हो सकता है।
जैविक खेती के शौकीनों के लिए नीम आधारित आसान उपाय
जैविक तरीके अपनाने वाले किसानों के लिए भी समाधान मौजूद हैं। नीम की निंबोली का सत 5 फीसदी घोल बनाकर पानी में मिलाएं और छिड़काव करें। यह न केवल माहू को मारता है, बल्कि पौधे को मजबूत भी बनाता है। सल्फर युक्त जैविक कीटनाशक भी प्रभावी हैं, खासकर शुरुआती चरण में। इसके अलावा, खेत में पक्षियों को आकर्षित करने के लिए घोंसले लगाएं – ये प्राकृतिक शत्रु कीटों को खा जाते हैं। जैविक उपाय थोड़े धीमे असर करते हैं, लेकिन लंबे समय तक फसल को सुरक्षित रखते हैं। ऐसे में मिट्टी की सेहत भी बनी रहती है और बाजार में जैविक सरसों का अच्छा दाम मिलता है।
सावधानी से बचाएं फसल
माहू कीट सरसों की फसल का सबसे बड़ा दुश्मन है, लेकिन सतर्कता से इसे हराया जा सकता है। समय पर बुवाई, नियमित जांच और सही उपाय अपनाने से नुकसान न्यूनतम रहता है। देशभर के किसान भाई इस मौसम में खेतों को कीट-रहित रखें, ताकि सरसों के सुनहरे दाने बाजार में चमकें। अगर आपके इलाके में भी समस्या दिखे, तो नजदीकी कृषि विशेषज्ञ से संपर्क करें। एक मजबूत फसल से न केवल आपकी कमाई बढ़ेगी, बल्कि आने वाले सीजन के लिए आत्मविश्वास भी मिलेगा।
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