अप्रैल में धान की नर्सरी तैयार करने की विधि: सही तरीके और सावधानियाँ

April Mein Dhan ki Nursery Taiyar Karne Ki Vidhi: धान की खेती में नर्सरी तैयार करना सबसे बड़ा कदम है, और अप्रैल का महीना इसके लिए बिल्कुल सही वक्त है। इस समय तापमान 25-35°C के बीच रहता है, जो बीजों के अंकुरण और पौधों की बढ़त के लिए मुफीद है। अगर “धान नर्सरी तैयार करने की विधि” को सही ढंग से अपनाया जाए, तो पैदावार 20-25% तक बढ़ सकती है। अप्रैल में “धान की बुवाई” का सही तरीका और “धान की क्यारी प्रबंधन” की सावधानियाँ अपनाने से मई-जून तक पौधे रोपाई के लिए तैयार हो जाते हैं। आइए, इसे विस्तार से समझते हैं।

नर्सरी का सही समय और बीज का चुनाव

अप्रैल में “धान की बुवाई” शुरू करने का सबसे बड़ा फायदा है कि गर्मी शुरू होते ही पौधे तैयार हो जाते हैं। लेकिन बीज चुनते वक्त मौसम और इलाके का ध्यान रखें। उत्तर भारत में पूसा बासमती 1509, पूसा 44 या स्वर्णा जैसी किस्में बढ़िया हैं। दक्षिण भारत में एमटीयू 1010 या बीपीटी 5204 अच्छी पैदावार देती हैं। बीज प्रमाणित हों और अंकुरण क्षमता 80% से ज्यादा हो। बीज की जाँच के लिए पानी में डालें – जो डूब जाएँ, वो ठीक हैं, तैरने वाले निकाल दें। सही किस्म और सही समय से नर्सरी की शुरुआत मजबूत होती है।

नर्सरी के लिए खेत की तैयारी

“धान की क्यारी प्रबंधन” के लिए खेत का ऐसा हिस्सा चुनें, जहाँ पानी का निकास अच्छा हो और धूप खुलकर आए। खेत को 2-3 बार हल से जोतकर मिट्टी को भुरभुरा बनाएँ। प्रति वर्ग मीटर में 5-6 किलो सड़ी गोबर की खाद डालें। फिर खेत को समतल करके 1 मीटर चौड़ी और 10-15 सेमी ऊँची क्यारियाँ बनाएँ। क्यारियों के बीच 30-40 सेमी की नाली छोड़ें, ताकि पानी आसानी से निकल सके। अगर कीटों का डर हो, तो नीम की खली या ट्राइकोडर्मा 5 किलो प्रति एकड़ मिलाएँ। ये तैयारी नर्सरी को मजबूत बनाती है।

बीजोपचार और बुवाई का तरीका

“धान नर्सरी तैयार करने की विधि” में बीजोपचार बहुत जरूरी है। 1 किलो बीज को 2 ग्राम कार्बेन्डाजिम या 10 ग्राम ट्राइकोडर्मा से उपचारित करें, ताकि फंगस न लगे। फिर बीजों को 12 घंटे पानी में भिगोएँ और 24 घंटे नम कपड़े में रखकर अंकुरित करें। जब 1-2 मिमी का सफेद अंकुर निकले, तो बुवाई शुरू करें। दो तरीके हैं – गीली नर्सरी में क्यारियों में 2-3 सेमी पानी भरकर बीज छिड़कें, ये पानी वाले इलाकों के लिए ठीक है। सूखी नर्सरी में क्यारियाँ हल्की गीली करके बीज बोएँ और मिट्टी से ढक दें, इसमें पानी कम लगता है। प्रति हेक्टेयर के लिए 20-25 किलो बीज काफी है।

पानी और खाद का हिसाब

नर्सरी में पानी का प्रबंधन बारीकी का काम है। बुवाई के बाद 3-4 दिन तक क्यारियाँ हल्की नम रखें। पौधों में 2-3 पत्तियाँ आने पर 1-2 सेमी पानी भरें, मगर खड़ा पानी न छोड़ें, वरना जड़ें सड़ सकती हैं। सुबह पानी दें, ताकि धूप से मिट्टी ज्यादा गर्म न हो। खाद के लिए 10 दिन बाद 10 ग्राम यूरिया प्रति वर्ग मीटर घोलकर छिड़कें। 5 ग्राम पोटाश और 5 ग्राम जिंक सल्फेट भी डालें। जैविक खेती वाले गोमूत्र या वर्मीवाश का इस्तेमाल करें। ये प्रबंधन नर्सरी की सेहत बढ़ाता है।

रोग और कीटों से बचाव

अप्रैल की गर्मी-नमी में झुलसा रोग (ब्लास्ट) का खतरा रहता है। बीजोपचार से इसे रोका जा सकता है। अगर पत्तियों पर भूरे धब्बे दिखें, तो 2 ग्राम कॉपर ऑक्सीक्लोराइड प्रति लीटर पानी में छिड़कें। नींदा के लिए हाथ से निराई करें या बुवाई के 3 दिन बाद पेंडीमेथालिन हर्बिसाइड डालें। थ्रिप्स और ग्रास हॉपर जैसे कीटों से बचाव के लिए 5 मिली नीम तेल या 0.5 मिली इमिडाक्लोप्रिड प्रति लीटर पानी में डालें। चिड़ियों से बचाने के लिए क्यारियों के पास धागे या पुराने कपड़े बाँधें।

पौध तैयार होने तक की देखभाल

25-30 दिन में पौधे रोपाई के लिए तैयार हो जाते हैं। स्वस्थ पौधे की ऊँचाई 18-22 सेमी, 4-5 हरी पत्तियाँ, मोटा तना और सफेद मजबूत जड़ें होती हैं। रोपाई से 2-3 दिन पहले नर्सरी को सूखने दें, ताकि पौधे आसानी से उखड़ें। जड़ों सहित पौधों को धीरे से निकालें और गीले बोरे में लपेटकर खेत ले जाएँ। ये देखभाल पैदावार की नींव मजबूत करती है।

क्षेत्रवार खास टिप्स

पंजाब-हरियाणा में अप्रैल के अंत तक नर्सरी तैयार करें, क्योंकि मई में गर्मी बढ़ती है। पश्चिम बंगाल में तेज धूप से बचाने के लिए चावल के पुआल से क्यारियाँ ढकें। तमिलनाडु में सूखी नर्सरी विधि और ड्रिप सिस्टम अपनाएँ। ये टिप्स हर क्षेत्र में कारगर हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQ)

प्रश्न 1: अप्रैल में अचानक बारिश हो जाए तो क्या करें?
बारिश का पानी तुरंत निकालें और क्यारियों को प्लास्टिक शीट से ढक दें। अंकुरित बीजों को पानी से बचाएँ।

प्रश्न 2: नर्सरी में पौधे पीले क्यों पड़ जाते हैं?
ये नाइट्रोजन की कमी या जड़ सड़न की निशानी है। यूरिया छिड़कें और जल निकासी ठीक करें।

प्रश्न 3: अप्रैल में नर्सरी फेल हो जाए तो क्या करें?
हाँ, जल्दी पकने वाली किस्म (जैसे धान 106) बोएँ और बीज 10% ज्यादा डालें।

समय और तकनीक से बंपर पैदावार

अप्रैल में “धान की क्यारी प्रबंधन” और सही तकनीक से नर्सरी तैयार करना सफलता की कुंजी है। पंजाब के संगरूर के किसान हरप्रीत सिंह ने पिछले साल इन टिप्स से 35% ज्यादा पैदावार ली। एक मजबूत नर्सरी से प्रति हेक्टेयर 50-60 क्विंटल तक धान मिल सकता है। बाजार में भाव 2000-2500 रुपये प्रति क्विंटल रहता है, जिससे अच्छी कमाई होती है।

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  • Shashikant

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