दिसंबर में खेती के लिए बेस्ट है मिर्च की ये वैरायटी, सस्ते में आपको यहां से मिलेंगे बीज

दिसंबर जब बाजारों में हरी मिर्च का भाव 50 से 70 रुपये किलो चल रहा हो, तब यह नकदी फसल किसानों के लिए बड़ी कमाई का अवसर बन जाती है। हरी मिर्च मसालों, अचार, दवाइयों से लेकर रोजमर्रा की सब्जियों तक में इस्तेमाल होती है और विटामिन C तथा एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होने के कारण सेहत के लिए भी बेहद फायदेमंद है। मिर्च की खेती जायद, खरीफ और रबी तीनों सीजन में संभव है, लेकिन दिसंबर की रबी बुवाई सबसे लाभदायक मानी जाती है क्योंकि ठंड के मौसम में फल मोटे, चमकदार और अधिक समय तक ताज़ा रहते हैं। इसी वजह से उनका बाजार मूल्य बढ़ जाता है।

भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान (IIHR) बैंगलोर के विशेषज्ञों के अनुसार अर्का मेघना हाइब्रिड किस्म से प्रति हेक्टेयर 30 से 35 टन हरी मिर्च और लगभग 5 टन सूखी मिर्च की उपज मिल रही है। छोटे आकार का पौधा, तेजी से बढ़वार और रोगों के प्रति सहनशीलता के कारण यह किस्म छोटे किसानों और सीमित जगह में खेती करने वालों के लिए भी बेहतरीन विकल्प बन गई है। राष्ट्रीय बीज निगम ने इसे ऑनलाइन उपलब्ध किया है और 10 ग्राम पैकेट की कीमत 325 रुपये (10 प्रतिशत छूट के बाद) रखी गई है। अगर किसान अभी दिसंबर में नर्सरी तैयार कर लें तो फरवरी और मार्च में कटाई शुरू हो जाएगी।

अर्का मेघना की पूरी विशेषताएँ

अर्का मेघना कोई साधारण किस्म नहीं, बल्कि IIHR द्वारा विकसित CMS आधारित F1 हाइब्रिड है, जो अपनी उच्च उपज, तेजी से बढ़ने की क्षमता, मजबूत पौधे और रोगों के प्रति सहनशीलता के कारण बेहद लोकप्रिय हो रही है। इसके पौधे झाड़ीदार होते हैं और लगभग 81 सेंटीमीटर ऊँचाई तथा 69 सेंटीमीटर फैलाव तक बढ़ते हैं। इस वजह से इन पौधों को सहारे की आवश्यकता बहुत कम होती है। इस किस्म के हरे फल लगभग 9 से 10 सेंटीमीटर लंबे और पतले होते हैं।

पकने पर इनका रंग गहरा लाल हो जाता है और तीखापन मध्यम रहता है, इसलिए यह मिर्च मसाला उद्योग, ताजी सब्जियों और अचार जैसे सभी उपयोगों में पसंद की जाती है। पौधे वायरस, पाउडरी मिल्ड्यू और थ्रिप्स तथा एफिड्स जैसे चूषक कीटों के प्रति सहनशील होते हैं, जिससे कीटनाशक का खर्च 20 से 30 प्रतिशत तक घट जाता है। यही वजह है कि छोटे किसान भी इस किस्म को कम लागत में आसानी से लगा सकते हैं।

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बीज खरीदने का सबसे आसान तरीका

राष्ट्रीय बीज निगम (NSC) ने अर्का मेघना के प्रमाणित बीज ऑनलाइन उपलब्ध कराए हैं। 10 ग्राम पैकेट की कीमत 325 रुपये है और यह सीधे घर पहुँच जाता है। NSC का यह लाभ है कि बीज अंकुरण क्षमता में मजबूत होते हैं और नर्सरी में 90 प्रतिशत तक पौधे निकल आते हैं। किसान चाहे तो छोटे पैमाने के लिए 5 ग्राम पैकेट भी मँगवा सकते हैं। ऑनलाइन ऑर्डर करने से उन्हें बाजार की मेहनत नहीं करनी पड़ती और बीज सीधे गाँव तक पहुँच जाते हैं। NSC की वेबसाइट और ONDC प्लेटफॉर्म दोनों पर बीज उपलब्ध है और किसान UPI, कार्ड और कैश ऑन डिलीवरी तीनों तरीकों से भुगतान कर सकते हैं।

गमले में उगाने का आसान तरीका

अगर किसान गमले में मिर्च उगाना चाहते हैं तो अर्का मेघना सबसे आसान विकल्प है। गमले की खेती के लिए 12 से 15 इंच का बड़ा गमला लें जिसमें नीचे पानी निकास का छेद हो। मिट्टी में 50 प्रतिशत बागवानी मिट्टी, 30 प्रतिशत वर्मीकम्पोस्ट और 20 प्रतिशत रेत मिलाकर मिश्रण तैयार करें। बीजों को 1 इंच की गहराई पर बोकर हल्का पानी दें और गमले को धूप वाली जगह रखें। 10 से 15 दिन में अंकुर निकल आएँगे और 40 से 45 दिन में पौधे मजबूत होकर फल देना शुरू कर देंगे। गमले में एक पौधा सालभर में 1 से 2 किलो तक मिर्च आसानी से दे देता है।

खेती का तरीका

अगर किसान व्यावसायिक खेती करना चाहते हैं तो दिसंबर में नर्सरी तैयार करना सबसे सही समय है। लगभग 200 से 250 ग्राम बीज एक हेक्टेयर की नर्सरी के लिए पर्याप्त हैं। नर्सरी तैयार करने के लिए खेत को ढेले रहित और भुरभुरा करें। क्यारियाँ 3×1 मीटर आकार की बनाएं और उनमें वर्मीकम्पोस्ट तथा थोड़ी मात्रा में फोरेट मिलाएँ।

बीजों को बोने से पहले 1 किलो बीज पर 6 ग्राम थीरम से बीज उपचार करना जरूरी है। इससे नर्सरी में फफूंद और शुरुआती रोग लगने का खतरा काफी कम हो जाता है। बीजों को लगभग 1 सेंटीमीटर गहराई में बोकर हल्की सिंचाई करें। 25 से 30 दिन में पौधे 15 से 20 सेंटीमीटर ऊँचाई तक पहुँच जाते हैं और रोपाई के लिए तैयार हो जाते हैं।

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सिंचाई और उर्वरक प्रबंधन

अर्का मेघना को पानी की बहुत अधिक जरूरत नहीं होती। पहली सिंचाई रोपाई के बाद करें और फिर हर 7 से 10 दिन में हल्का पानी दें। ज्यादा पानी देने से जड़ों के सड़ने का खतरा रहता है। ड्रिप सिंचाई प्रणाली अपनाने से पानी की बचत 40 प्रतिशत तक हो जाती है और पौधों की ग्रोथ भी अच्छी रहती है। पौधों की खाद आवश्यकता के लिए बेसल डोज में 50 किलो नाइट्रोजन, 100 किलो फॉस्फोरस और 50 किलो पोटाश प्रति हेक्टेयर डालें। रोपाई के 30 दिन बाद 50 किलो नाइट्रोजन की टॉप ड्रेसिंग दें और 45 दिन बाद दूसरी ड्रेसिंग करें। अगर पत्तियों में पीला पन नजर आए तो 5 किलो जिंक सल्फेट मिलाना लाभदायक रहता है।

रोग और कीट नियंत्रण

रोग और कीट नियंत्रण में इस किस्म की खासियत यह है कि यह कई सामान्य रोगों से खुद ही लड़ लेती है। फिर भी शुरुआती सावधानी जरूरी है। यदि वायरस के लक्षण दिखें तो इमिडाक्लोप्रिड 0.3 मिली प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें। पाउडरी मिल्ड्यू के लिए सल्फर 80 प्रतिशत का 2 ग्राम प्रति लीटर घोल प्रभावी है। थ्रिप्स और एफिड्स जैसे कीटों से बचाव के लिए नीम तेल 5 मिली प्रति लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें। फल मक्खी से बचाव के लिए फेरोमोन ट्रैप बहुत उपयोगी रहते हैं। नियमित निरीक्षण और समय पर छिड़काव करने से फसल पूरी तरह सुरक्षित रहती है।

कटाई और उपज

कटाई 140 से 150 दिन बाद शुरू होती है। जैसे ही फल गहरे हरे और चमकदार दिखें, उन्हें हाथ से तोड़ लें। कटाई क्रमिक रूप से 3 से 4 महीने तक चलती है। एक हेक्टेयर में 30 से 35 टन हरी मिर्च और लगभग 5 टन सूखी मिर्च निकलती है। सूखी मिर्च मसाले की फैक्ट्रियों में ऊँचे दामों पर आसानी से बिक जाती है।

कमाई का पूरा हिसाब

कमाई का हिसाब देखें तो कुल लागत (बीज, मजदूरी, खाद, दवाइयाँ) लगभग 40 से 50 हजार रुपये आती है। जबकि हरी मिर्च और सूखी मिर्च दोनों मिलाकर कुल आय 20 से 22.5 लाख रुपये तक पहुँच जाती है। शुद्ध मुनाफा 2.5 से 3 लाख रुपये आसानी से मिल जाता है।

दिसंबर का यह मौका हाथ से न जाने दें। अर्का मेघना मिर्च की खेती से किसान भाई स्वाद भी पाएँगे और जेब में अच्छा मुनाफा भी। आज ही NSC से बीज ऑर्डर कर लें और इस रबी सीजन को सबसे लाभदायक बना दें।

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  • Dharmendra

    मै धर्मेन्द्र एक कृषि विशेषज्ञ हूं जिसे खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी साझा करना और नई-नई तकनीकों को समझना बेहद पसंद है। कृषि से संबंधित लेख पढ़ना और लिखना मेरा जुनून है। मेरा उद्देश्य है कि किसानों तक सही और उपयोगी जानकारी पहुंचे ताकि वे अधिक उत्पादन कर सकें और खेती को एक लाभकारी व्यवसाय बना सकें।

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