किसान भाइयों, सुगंधित फसलें जैसे लेमनग्रास, तुलसी, पचौली, वेटिवर की खेती कम लागत में मोटी कमाई का शानदार तरीका है, इनका तेल, पत्तियाँ, जड़ें सौंदर्य प्रसाधन, दवा, परफ्यूम, अगरबत्ती उद्योग में खूब बिकती हैं, बाजार में लेमनग्रास तेल 1200-1500 रुपये प्रति लीटर, पचौली तेल 5000-7000 रुपये प्रति किलो बिकता है, ये फसलें 6-12 महीने में तैयार होती हैं, और एक हेक्टेयर से 2-5 लाख रुपये तक मुनाफा देती हैं, भारत में उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, असम में ये लोकप्रिय हैं, कम पानी, बंजर जमीन पर भी उगती हैं, इन्हें शुरू करें, और अपनी खेती को सुगंधित मुनाफे में बदलें।
बीज कहाँ से लें, सही स्रोत चुनें
सुगंधित Aromatic crop farming के लिए उच्च गुणवत्ता वाले बीज या पौधे जरूरी हैं, लेमनग्रास की स्लिप्स, तुलसी के बीज, पचौली की कटिंग, वेटिवर की जड़ें केंद्रीय औषधि एवं सुगंध पौधा संस्थान (CIMAP), लखनऊ से लें, CIMAP की वेबसाइट या क्षेत्रीय केंद्र (बेंगलुरु, हैदराबाद) से संपर्क करें, भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI), नई दिल्ली, या राज्य कृषि विश्वविद्यालय (लखनऊ, पंतनगर) भी बीज उपलब्ध कराते हैं, ऑनलाइन Amazon.in, Agrostar.in, IndiaMART पर लेमनग्रास स्लिप्स (50-100 रुपये प्रति 100), तुलसी बीज (100-200 रुपये प्रति 50 ग्राम) मिलते हैं, स्थानीय नर्सरी से खरीदते समय सर्टिफिकेशन, अंकुरण दर (80% से ज्यादा) चेक करें, सही बीज पैदावार 20-30% बढ़ाते हैं।
मिट्टी और जलवायु कैसी होनी चाहिए
इन फसलों के लिए बलुई दोमट, लाल मिट्टी जिसमें जल निकासी अच्छी हो, उपयुक्त है, मिट्टी का pH 6-8 होना चाहिए, लेमनग्रास, पचौली 20-35 डिग्री तापमान, तुलसी 25-40 डिग्री, वेटिवर 15-40 डिग्री सहन करते हैं, 800-1200 मिमी बारिश इनके लिए काफी है, खेत की गहरी जुताई करें, 8-10 टन गोबर की खाद प्रति हेक्टेयर डालें, अप्रैल-मई या जून-जुलाई में खेत तैयार करें, बंजर, कम उपजाऊ जमीन पर भी ये अच्छे उगते हैं, मिट्टी को भुरभुरा बनाने के लिए रोटावेटर चलाएँ, हल्की सिंचाई करें, सही मिट्टी, जलवायु से पौधे स्वस्थ रहते हैं, और तेल की मात्रा बढ़ती है।
रोपण और बुआई का सही तरीका
सुगंधित फसलों की बुआई, रोपण किस्म के अनुसार करें, लेमनग्रास की स्लिप्स 45×45 सेमी दूरी पर, तुलसी के बीज (2-3 किलो प्रति हेक्टेयर) 60×30 सेमी पर, पचौली की कटिंग (40,000-50,000 प्रति हेक्टेयर) 60×45 सेमी पर, वेटिवर की जड़ें 60×30 सेमी पर रोपें, जून-जुलाई में मॉनसून शुरू होने पर रोपाई करें, लेमनग्रास, पचौली के लिए नर्सरी 30-45 दिन पहले तैयार करें, बीज, स्लिप्स को जीवामृत (500 मिलीलीटर प्रति किलो) से उपचारित करें, तुलसी को छिड़काव विधि, पचौली को कतारों में बोएँ, सही रोपण से अंकुरण तेज होता है, और 6-12 महीने में फसल तैयार होती है।
देखभाल और सिंचाई, सुगंध का खजाना
इन फसलों की देखभाल में पानी, खाद का संतुलन जरूरी है, रोपाई के बाद हल्की सिंचाई करें, फिर लेमनग्रास, तुलसी को 10-15 दिन, पचौली, वेटिवर को 7-10 दिन में पानी दें, ड्रिप सिस्टम से 20-30% पानी बचता है, हर 20 दिन में जीवामृत (200 लीटर प्रति हेक्टेयर), 2 टन वर्मी कम्पोस्ट प्रति हेक्टेयर डालें, कीट जैसे तना छेदक, मकड़ी से बचाने के लिए नीम तेल (5 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी) छिड़कें, फफूंद रोग के लिए बवेरिया बैसिलस (10 ग्राम प्रति लीटर) इस्तेमाल करें, 25-30 दिन बाद गुड़ाई करें, खरपतवार हटाएँ, सही देखभाल से लेमनग्रास 100-150 क्विंटल, पचौली 80-100 क्विंटल प्रति हेक्टेयर देती है।
कटाई और मुनाफा, मेहनत का फल
कटाई फसल के अनुसार करें, लेमनग्रास की पहली कटाई 6-8 महीने में, फिर हर 2-3 महीने में, तुलसी की पत्तियाँ 3-4 महीने में हर 2 महीने बाद, पचौली 6-8 महीने में 2-3 बार, वेटिवर की जड़ें 12-18 महीने में काटें, सुबह के समय कटाई करें, ताकि तेल की मात्रा अधिक रहे, एक हेक्टेयर से लेमनग्रास 100-150 लीटर तेल (1.2-2.2 लाख रुपये), पचौली 50-60 किलो तेल (2.5-4 लाख रुपये), तुलसी 20-30 किलो तेल (1-1.5 लाख रुपये) देती है, लागत 30-50 हजार निकालकर 1-4 लाख मुनाफा बचता है, तेल निष्कर्षण यूनिट लगाएँ, या लोकल मार्केट, परफ्यूम कंपनियों, ऑनलाइन बेचें, ये खेती सुगंध के साथ लाखों की कमाई लाती है।
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