Semen Market: पशुपालन अब सिर्फ परंपरा नहीं, बल्कि एक वैज्ञानिक और मुनाफे का व्यवसाय बन चुका है। गाय-भैंस को गर्भवती कराने का तरीका भी बदल गया है। पहले जहाँ प्राकृतिक गर्भाधान आम था, अब पशुपालक कृत्रिम गर्भाधान (AI) को अपनाने लगे हैं। ये न सिर्फ लागत में किफायती है, बल्कि दूध उत्पादन बढ़ाता है और पशुओं की नस्ल में सुधार करता है। इसके चलते अच्छी क्वालिटी के सीमन की माँग आसमान छू रही है।
पशुपालक अब बेहतर सीमन खरीदकर पशुओं की नस्ल को उन्नत कर रहे हैं। अगर आप भी इस बढ़ते बाजार में ब्रीडर बुल पालकर और सीमन बेचकर लाखों कमा सकते हैं। बस, सही देखभाल और वैज्ञानिक तरीकों की जरूरत है। आइए, जानते हैं कि ब्रीडर बुल की देखभाल और कृत्रिम गर्भाधान के फायदे कैसे आपके लिए कमाई का रास्ता खोल सकते हैं।
कृत्रिम गर्भाधान, क्यों है ये जरूरी?
कृत्रिम गर्भाधान ने पशुपालन में क्रांति ला दी है। इसके जरिए उन्नत नस्ल के सांडों का सीमन इस्तेमाल कर गाय-भैंस की नस्ल सुधारी जाती है। इससे दूध उत्पादन 20-30% तक बढ़ सकता है। भारत में प्रति पशु दूध उत्पादन औसतन 10-12 लीटर है, जबकि विदेशों में ये 30-40 लीटर तक है। इस अंतर को कम करने के लिए सरकार भी AI को बढ़ावा दे रही है। AI से गर्भाधान का खर्च प्राकृतिक तरीके से कम है – एक बार में 500-1000 रुपये। साथ ही, रोगों का खतरा कम होता है, और पशुओं की जेनेटिक क्वालिटी बेहतर होती है।
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ब्रीडर बुल पालने का बढ़ता बाजार
सीमन की बढ़ती माँग ने ब्रीडर बुल पालने को एक नया व्यवसाय बना दिया है। एक अच्छी क्वालिटी का सांड सालाना 50-100 डोज सीमन दे सकता है, और प्रति डोज 50-200 रुपये तक मिल सकते हैं। यानी एक सांड से सालाना 10-20 लाख रुपये तक की कमाई हो सकती है। लेकिन इसके लिए सांड की सेहत, खानपान और देखभाल पर विशेष ध्यान देना होगा। गाँवों में पशुपालक अब ब्रीडर बुल को वैज्ञानिक तरीके से पाल रहे हैं। सरकार की राष्ट्रीय गोकुल मिशन जैसी योजनाएँ भी सीमन उत्पादन और नस्ल सुधार के लिए सब्सिडी दे रही हैं। अगर आप इस व्यवसाय में उतरना चाहते हैं, तो आज से ही ब्रीडर बुल तैयार करना शुरू करें।
ब्रीडर बुल की देखभाल वैज्ञानिक तरीके
ब्रीडर बुल की देखभाल में सावधानी और वैज्ञानिक दृष्टिकोण जरूरी है। बाड़ा ऐसा बनाएँ जो सर्दी-गर्मी से बचाए और हवादार हो। इसे भैंसों के बाड़े से दूर रखें, ताकि सांड तनावमुक्त रहे। बाड़ा बड़ा और आरामदायक हो, जहाँ सांड दूसरे पशुओं को देख सके। सांड की उम्र कम से कम ढाई साल और वजन 350 किलो होना चाहिए। कम उम्र के सांड को हफ्ते में 2-3 बार ही ब्रीडिंग के लिए इस्तेमाल करें। भैंस पर सांड को एक बार ही कुदाएँ, बार-बार कुदाने से कोई फायदा नहीं।
दो गर्भाधान के बीच कम से कम एक दिन का आराम दें। गर्भाधान से पहले भैंस की योनि को साफ पानी और कपड़े से धोएँ। सांड को उत्तेजित करने के लिए उसे 2-3 बार भैंस पर कुदाएँ, फिर तुरंत हटाएँ, और असल गर्भाधान बाद में कराएँ। अगर सांड सुस्त हो, तो उसे भैंस दिखाकर थोड़ा घुमाएँ और फिर कुदाएँ।
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सांड की सेहत के लिए रोजाना एक घंटे की कसरत जरूरी है। हर दिन मालिश करें और नहलाएँ, ताकि उसका रक्त संचार ठीक रहे। हर छह महीने में खून की जाँच कराएँ, ताकि ब्रुसेलोसिस जैसे यौन रोगों का पता चले। टीकाकरण चार्ट के अनुसार समय पर करें, जैसे FMD और HS वैक्सीन। डाइट में हरा चारा (10-15 किलो), दाना (2-3 किलो), और खनिज मिश्रण (50-100 ग्राम) दें। खूंखार सांड से बचाव के लिए बाड़े में मजबूत रस्सी और सुरक्षा इंतजाम रखें। गाँवों में पशु चिकित्सक से नियमित संपर्क रखें, ताकि सांड की सेहत बनी रहे। अगर सांड को दूसरे सांड के पास बाँधा जाए, तो इससे उत्तेजना बढ़ती है, लेकिन सावधानी बरतें।
गाँवों के किसानो के लिए फायदे और चुनौतियाँ
कृत्रिम गर्भाधान और ब्रीडर बुल पालन गाँवों के पशुपालकों के लिए वरदान है। ये न सिर्फ दूध उत्पादन बढ़ाता है, बल्कि सीमन बेचकर अतिरिक्त कमाई भी देता है। लेकिन चुनौतियाँ भी हैं – अच्छे सांड की कीमत 50,000 से 2 लाख तक हो सकती है, और देखभाल में रोजाना 200-300 रुपये खर्च होते हैं। गाँवों में बिजली और चिकित्सा सुविधाओं की कमी भी बाधा बनती है। फिर भी, सरकार की योजनाएँ जैसे राष्ट्रीय कामधेनु योजना और पशु संजीवनी से मदद मिल रही है। गाँव के पशुपालक सहकारी समितियों से जुड़कर सीमन बेच सकते हैं।
कृत्रिम गर्भाधान और ब्रीडर बुल पालन ने पशुपालन को नई दिशा दी है। गाँव के पशुपालक भाई-बहन इस मौके को अपनाएँ। सही देखभाल, वैज्ञानिक तरीके और सरकारी योजनाओं का लाभ उठाकर आप लाखों कमा सकते हैं। ब्रीडर बुल की सेहत और डाइट पर ध्यान दें, और सीमन के बढ़ते बाजार में हिस्सा लें। पशुपालन को आधुनिक बनाएँ और अपने गाँव को समृद्ध करें।
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