सोनीपत में बन रही एशिया की सबसे बड़ी सब्जी मंडी: किसानों की आमदनी को देगा पंख!

हरियाणा का सोनीपत जिला जल्द ही एशिया की सबसे बड़ी और अत्याधुनिक फल-सब्जी मंडी का गढ़ बनने जा रहा है। गन्नौर में स्थापित हो रही इंडिया इंटरनेशनल हॉर्टिकल्चर मार्केट (IIHM) न केवल हरियाणा बल्कि पूरे भारत की कृषि अर्थव्यवस्था को नई दिशा देगी। यह मंडी किसानों को वैश्विक बाजार से जोड़ने, उनकी आय दोगुनी करने, और बागवानी को बढ़ावा देने का एक ऐतिहासिक कदम है। 2025 में यह परियोजना पूरी तरह शुरू होने की उम्मीद है, जो उत्तर भारत के किसानों के लिए गेम-चेंजर साबित होगी। यह लेख गन्नौर मंडी की विशेषताओं, सुविधाओं, और इसके प्रभाव को विस्तार से बताएगा।

इंडिया इंटरनेशनल हॉर्टिकल्चर मार्केट का परिचय

गन्नौर में बन रही इंडिया इंटरनेशनल हॉर्टिकल्चर मार्केट 544 एकड़ में फैली होगी और इसे 2,600 करोड़ रुपये की लागत से विकसित किया जा रहा है। यह मंडी फ्रांस की विश्व प्रसिद्ध रुंगिस होलसेल मार्केट की तर्ज पर डिजाइन की गई है, जो विश्व स्तर की सुविधाओं से लैस होगी। हरियाणा सरकार ने इसे नागार्जुन कंस्ट्रक्शन कंपनी को सौंपा है, और हरियाणा इंटरनेशनल हॉर्टिकल्चर मार्केटिंग कॉर्पोरेशन लिमिटेड इसका प्रबंधन करेगा।

यह मंडी हब-एंड-स्पोक मॉडल पर काम करेगी, जिसमें गन्नौर मुख्य केंद्र (हब) होगा और विभिन्न राज्यों के उत्पादन क्षेत्रों से जुड़े संग्रह केंद्र (स्पोक) होंगे। यह 20 लाख मीट्रिक टन फल, सब्जी, फूल, और डेयरी उत्पादों को संभालने की क्षमता रखेगी। मंडी का लक्ष्य दिल्ली की आजादपुर मंडी का बेहतर विकल्प बनना है, जहां बिचौलियों और अव्यवस्था के कारण किसानों को नुकसान उठाना पड़ता है।

अत्याधुनिक सुविधाएं

गन्नौर मंडी को एक क्लाइमेट-कंट्रोल्ड और व्यवस्थित कारोबारी केंद्र के रूप में डिजाइन किया गया है। इसमें कई आधुनिक सुविधाएं होंगी जो किसानों और व्यापारियों की जरूरतों को पूरा करेंगी। सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (STP) और सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट यूनिट (SWMP) कचरे का पर्यावरण-अनुकूल निपटान करेंगे। पेयजल के लिए वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट (WTP) सुनिश्चित करेगा कि मंडी में स्वच्छ पानी उपलब्ध हो।

मंडी में 17 बड़े वेयरहाउस शेड होंगे, जहां फल, सब्जियां, और फूलों को लंबे समय तक ताजा रखा जा सकेगा। कोल्ड स्टोरेज और लॉजिस्टिक्स सुविधाएं निर्यात के लिए उत्पादों की गुणवत्ता बनाए रखेंगी। वाहनों की पार्किंग और मरम्मत के लिए वर्कशॉप, साथ ही पांच पावर सब-स्टेशन, मंडी के संचालन को सुचारू बनाएंगे। गन्नौर रेलवे स्टेशन से केवल 1 किमी की दूरी पर होने के कारण परिवहन आसान होगा।

किसानों के लिए लाभ

यह मंडी किसानों को बिचौलियों से मुक्ति दिलाएगी और उनकी उपज के लिए पारदर्शी मूल्य निर्धारण सुनिश्चित करेगी। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा कि यह मंडी न केवल हरियाणा बल्कि उत्तर प्रदेश, पंजाब, जम्मू-कश्मीर, और उत्तराखंड के किसानों को लाभ पहुंचाएगी। गन्नौर ब्लॉक के सब्जी उत्पादक किसानों को तीन साल तक प्रति एकड़ 5,000 रुपये की सब्सिडी दी जाएगी।

मंडी से किसानों को वैश्विक बाजार तक पहुंच मिलेगी। 10% उत्पाद निर्यात के लिए और 90% घरेलू बाजार के लिए होगा, जिससे सालाना 850 करोड़ रुपये का कारोबार होने की उम्मीद है। यह मंडी किसानों की आय दोगुनी करने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लक्ष्य को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। पंजाब के एक किसान ने बताया कि आजादपुर मंडी में उनकी सब्जियों को उचित दाम नहीं मिलता, लेकिन गन्नौर मंडी से उन्हें बेहतर कीमत और निर्यात के अवसर मिलेंगे।

हरियाणा सरकार की रणनीति

हरियाणा सरकार बागवानी और विविध कृषि को बढ़ावा देने के लिए नई रणनीति अपना रही है। पारंपरिक फसलों जैसे गेहूं और धान के बजाय, सरकार किसानों को फल, सब्जी, फूल, मशरूम, और औषधीय पौधों की खेती के लिए प्रोत्साहित कर रही है। गन्नौर मंडी इस सोच का सबसे बड़ा उदाहरण है, जो बागवानी को आधुनिक तकनीक और वैश्विक व्यापार से जोड़ेगी।

राज्य में इजराइल की मदद से बागवानी केंद्र स्थापित किए जा रहे हैं, जहां उन्नत बीज, ड्रिप इरिगेशन, और प्रशिक्षण उपलब्ध हैं। करनाल में महाराणा प्रताप हॉर्टिकल्चर यूनिवर्सिटी 2025 से शुरू होगी, जो किसानों को नई तकनीकों का प्रशिक्षण देगी। हरियाणा सरकार ने eNAM और FPO (किसान उत्पादक संगठन) के जरिए किसानों को डिजिटल बाजार से जोड़ा है, जिससे उनकी उपज सीधे खरीदारों तक पहुंचती है।

रोजगार और निवेश के अवसर

गन्नौर मंडी से हजारों लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार मिलेगा। वेयरहाउस, कोल्ड स्टोरेज, और लॉजिस्टिक्स में काम करने के लिए स्थानीय युवाओं को प्रशिक्षण दिया जाएगा। मंडी के आसपास खाद्य प्रसंस्करण इकाइयां, वाटर पार्क, और गोदाम स्थापित होंगे, जो निवेशकों को आकर्षित करेंगे। सोनीपत के एक युवा उद्यमी ने बताया कि मंडी शुरू होने से वह कोल्ड स्टोरेज व्यवसाय शुरू करने की योजना बना रहे हैं।

मंडी का रणनीतिक स्थान—राष्ट्रीय राजमार्ग-44 पर और आजादपुर मंडी के पास—इसे व्यापार का केंद्र बनाता है। यह हिमाचल प्रदेश, पंजाब, उत्तर प्रदेश, और राजस्थान जैसे राज्यों से जुड़ा है, जिससे व्यापार और रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। मंडी से सालाना 400 करोड़ रुपये का निर्यात कारोबार और 450 करोड़ रुपये का घरेलू कारोबार होने की उम्मीद है।

मंडी का क्या होगा प्रभाव

गन्नौर मंडी के शुरू होने से हरियाणा की कृषि अर्थव्यवस्था को नई गति मिलेगी। यह मंडी 14 राज्यों से फल, सब्जी, और फूलों की आपूर्ति को संभालेगी। भारत, जो विश्व का दूसरा सबसे बड़ा फल-सब्जी उत्पादक देश है, इस मंडी के जरिए अपनी 1% वैश्विक बाजार हिस्सेदारी को बढ़ा सकता है। मंडी के कोल्ड चेन और लॉजिस्टिक्स नेटवर्क से निर्यात की गुणवत्ता में सुधार होगा।हरियाणा में सब्जी उत्पादन वर्तमान में गन्नौर ब्लॉक में 3,000 एकड़ पर हो रहा है, जिसे सरकार 5,000 एकड़ तक बढ़ाना चाहती है। यह मंडी स्थानीय किसानों को जैविक और विदेशी सब्जियों (जैसे अरुगुला, ब्रोकली) की खेती के लिए प्रोत्साहित करेगी।

गन्नौर की इंडिया इंटरनेशनल हॉर्टिकल्चर मार्केट भारत की कृषि और बागवानी के लिए एक ऐतिहासिक कदम है। यह मंडी किसानों को बिचौलियों से मुक्ति, बेहतर दाम, और वैश्विक बाजार तक पहुंच देगी। अत्याधुनिक सुविधाओं, रोजगार अवसरों, और सरकारी समर्थन के साथ, यह 2025 में उत्तर भारत का सबसे बड़ा कृषि केंद्र बनेगी। हरियाणा सरकार की यह पहल किसानों की आय दोगुनी करने और भारत को बागवानी निर्यात में अग्रणी बनाने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगी।

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  • Dharmendra

    मै धर्मेन्द्र पिछले तिन साल से पत्रकारिता कर रहा हूँ मै ugc नेट क्वालीफाई हूँ भूगोल विषय से मै एक विषय प्रवक्ता हूँ , मुझे कृषि सम्बन्धित लेख लिखने में बहुत रूचि है मैंने सम्भावना संस्थान हिमाचल प्रदेश से कोर्स किया हुआ है |

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