जैविक खेती का कमाल! गौशाला में बनी आयुर्वेदिक दवाएं 70 देशों में सप्लाई

जयपुर के पिंजरापोल गौशाला में जैविक खेती का ऐसा कमाल हो रहा है कि किसान भाई लाखों कमा रहे हैं। सनराइजर्स एग्रीलेंड डेवलपमेंट एंड रिसर्च प्राइवेट लिमिटेड 2017 से यहाँ दुर्लभ जड़ी-बूटियों और पौधों की जैविक खेती कर रहा है। काली हल्दी, सफेद मूसली, शतावर, आँवला, तुलसी जैसे 60 से ज्यादा पौधों से बनी आयुर्वेदिक दवाइयाँ और ऑर्गेनिक उत्पाद 70 देशों में बिक रहे हैं। यहाँ तक कि गोबर से बनी खाद भी विदेशों में जा रही है। अगर आप भी जैविक खेती सीखकर मुनाफा कमाना चाहते हैं, तो यह आर्टिकल आपके लिए है।

सनराइजर्स का जैविक खेती का स्कूल

पिंजरापोल गौशाला में सनराइजर्स एग्रीलेंड ने एक ऐसा स्कूल खोला है, जहाँ किसानों को जैविक खेती के गुर सिखाए जाते हैं। सनराइजर्स के फाउंडर डॉ. अतुल गुप्ता, जो खुद एक किसान परिवार से हैं, ने अपने पिता के साथ मिलकर जैविक खेती में नए-नए तरीके आजमाए। उन्होंने अब तक हजारों किसानों को ट्रेनिंग दी है। अगर आप अपनी जमीन पर जैविक खेती शुरू करना चाहते हैं, तो सनराइजर्स आपको पौधे, उपकरण और ट्रेनिंग देता है। इतना ही नहीं, आपके उत्पादों को एक कॉन्ट्रैक्ट के तहत सही दाम पर खरीदता भी है। यहाँ काली हल्दी, शतावर, सफेद मूसली, नागदोन, और एलोवेरा जैसे पौधों की खेती हो रही है, जिनसे डायबिटीज, मोटापा जैसी बीमारियों की दवाइयाँ बनती हैं।

आयुर्वेदिक मॉल

पिंजरापोल गौशाला में एक खास आयुर्वेदिक मॉल बनाया गया है, जहाँ लोग दूर-दूर से जैविक दवाइयाँ और उत्पाद खरीदने आते हैं। यहाँ 300 से ज्यादा ऑर्गेनिक उत्पाद मिलते हैं, जैसे तेल, साबुन, चाय, कॉफी, जूस और एनर्जी ड्रिंक। सनराइजर्स के कपिल शर्मा बताते हैं कि पौधों को उगाने से लेकर पैकेजिंग तक सब कुछ शुद्ध और ऑर्गेनिक होता है। यही वजह है कि इन उत्पादों की मांग देश ही नहीं, 70 से ज्यादा देशों में बढ़ रही है। लोग इन्हें इसलिए पसंद करते हैं, क्योंकि ये रासायनिक दवाइयों से सस्ते और फायदेमंद हैं। गौशाला में बनी ये चीजें न सिर्फ सेहत सुधारती हैं, बल्कि किसानों की जेब भी भरती हैं।

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गोबर से सोना

पिंजरापोल गौशाला में गोबर को भी सोने में बदल दिया गया है। यहाँ गोबर से बनी जैविक खाद और वर्मी-कंपोस्ट बनाया जाता है, जो विदेशों में खूब बिक रहा है। सनराइजर्स ने इस खाद को 70 से ज्यादा देशों में भेजा है, जिससे गौशाला का टर्नओवर करोड़ों में पहुंच गया है। डॉ. अतुल गुप्ता का कहना है कि जैविक खेती न सिर्फ मिट्टी की सेहत सुधारती है, बल्कि किसानों को आत्मनिर्भर भी बनाती है। अगर आप भी अपने खेत में गोबर की खाद और जैविक पौधों का इस्तेमाल करें, तो आपकी फसल की क्वालिटी बढ़ेगी और मुनाफा भी दोगुना होगा।

किसानों के लिए सुनहरा मौका

सनराइजर्स एग्रीलेंड का मकसद है कि हर किसान जैविक खेती अपनाए और अपनी कमाई बढ़ाए। यहाँ ट्रेनिंग लेने वाले किसानों को न सिर्फ जैविक खेती की तकनीक सिखाई जाती है, बल्कि उनके उत्पादों को बेचने का पूरा इंतजाम भी किया जाता है। चाहे आप काली हल्दी उगाएं या शतावर, सनराइजर्स आपके उत्पादों को सही दाम पर बाजार तक पहुंचाता है। राजस्थान में जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए सरकार भी कई योजनाएँ चला रही है, जैसे परंपरागत कृषि विकास योजना, जिसमें किसानों को प्रति हेक्टेयर 12,000 रुपये तक की मदद मिलती है। तो अगर आप जैविक खेती शुरू करना चाहते हैं, तो पिंजरापोल गौशाला से संपर्क करें और इस सुनहरे मौके को हाथ से न जाने दें।

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  • Shashikant

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