गाय-भैंस को खिलाएं अजोला, 15% बढ़ेगा दूध का उत्पादन, मुर्गियों, बकरियों के लिए है वरदान

Azolla Ghas ke Fayde: हर साल दूध और मांस उत्पादों की बढ़ती मांग के चलते पशुपालन एक मुनाफे का व्यवसाय बनकर उभरा है। पशुपालकों के लिए कम लागत में पशुओं को अच्छी गुणवत्ता वाला चारा देना कठिन कार्य है। विशेषज्ञों के अनुसार, पशुपालन में कुल लागत का 65 से 70 प्रतिशत खर्च केवल पशु आहार पर हो जाता है। आज हम आपको कम लागत में भरपूर पोषण देने वाले चारे के बारे में बताने जा रहे हैं। इस चारे का उत्पादन कर पशुपालक कम खर्च में पौष्टिक हरे चारे की व्यवस्था सालभर के लिए कर सकते हैं।

क्या है अजोला?

अजोला जल सतह पर तैरने वाली जलीय फर्न है। इसे आसान भाषा में जलीय पौधा भी कह सकते हैं। अजोला में प्रोटीन, आवश्यक अमीनो एसिड, विटामिन, कैल्शियम, फॉस्फोरस, पोटैशियम, आयरन और कॉपर जैसे पोषक तत्व भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। अजोला की कई किस्में होती हैं, लेकिन भारत में अजोला पिनाटा नाम की प्रजाति मुख्य रूप से पाई जाती है। अजोला की तुलना रिजका और नैपियर घास से करें तो इसमें 4 से 5 गुना अधिक प्रोटीन होता है।

अजोला (Azolla) खिलाने के फायदे

दुधारु पशुओं को हर दिन 2 से 2.5 किलो ताजा अजोला घास खिलाने से 15% तक दूध उत्पादन बढ़ जाता है। मुर्गियों को 10 से 20 ग्राम अजोला देने से उनके वजन और अंडा उत्पादन में 10 से 15% तक की बढ़ोतरी होती है। बकरियों और भेड़ों को 100 से 200 ग्राम ताजा अजोला देने से शारीरिक विकास और दूध उत्पादन में वृद्धि होती है। माना जाता है कि अजोला उत्पादन की लागत प्रति किलो एक रुपये से भी कम आती है।

कैसे करें अजोला की खेती?

खेत में 3 फुट चौड़ी, 10 फुट लंबी और 1 फुट गहरी क्यारियां बनाएं। क्यारियों को पराबैगनी किरणरोधी सिल्पोलिन शीट से ढकें। 10 किलो छनी हुई मिट्टी और 2 किलो गोबर की खाद मिलाकर क्यारी में डालें। साफ पानी डालें और सुनिश्चित करें कि अजोला तैरने के लिए पर्याप्त गहराई हो। क्यारियों को छायादार स्थान पर रखें ताकि अजोला की ग्रोथ अच्छी हो। हर महीने 20 ग्राम सुपरफास्फेट और 5 किलो गोबर का घोल डालें।

छत पर अजोला उत्पादन

शहरी पशुपालक छत पर भी अजोला उगा सकते हैं। बाजार से 12X6X1 फीट के एचडीपीई बैड खरीदकर छत पर रखें। इनमें मिट्टी, गोबर और पानी भरकर अजोला उगाया जा सकता है।

अजोला उत्पादन में ध्यान देने योग्य बातें

हर क्यारी से 200 ग्राम प्रति वर्ग मीटर की दर से अजोला निकालना जरूरी होता है। हर 30 दिनों में 5 किलो नई मिट्टी डालें ताकि नाइट्रोजन की मात्रा संतुलित बनी रहे। हर 10 दिनों में 25-30% पुराने पानी को बदलें और ताजा अजोला बीज डालें। हर 3 महीनों में क्यारी की सफाई करें ताकि बेहतर उत्पादन बना रहे। अजोला में गोबर की गंध हटाने के लिए इसे धोकर ही पशुओं को खिलाएं

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  • Shashikant

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