मई-जून में बैंगन की जड़ों में डालें ये 3 काली चीजें, 15 दिन में पत्तियों से ज्यादा होंगे फल

Kitchen Garden Tips: किचन गार्डन में बैंगन का पौधा लगाना हर उस शख्स को पसंद है, जो ताजा और पौष्टिक सब्जियां खाने का शौकीन है। गांव हो या शहर, आजकल लोग अपने आंगन, छत, या छोटे से बगीचे में बैंगन, टमाटर, और दूसरी सब्जियां उगा रहे हैं। लेकिन गर्मियों की तपती धूप में बैंगन के पौधों में फूल न आना या फूल आने के बाद फल न बनना आम समस्या है। ये देखकर मन खट्टा हो जाता है, लेकिन देसी नुस्खों से इस परेशानी को आसानी से दूर किया जा सकता है। रासायनिक खाद और कीटनाशकों से बचते हुए कुछ पुराने और आजमाए हुए तरीके अपनाने से बैंगन का पौधा फल से लद सकता है। आइए जानते हैं कि गर्मियों में बैंगन के पौधों को कैसे हरा-भरा और फलदार बनाया जाए।

मिट्टी को भुरभुरा करना

गर्मियों में बैंगन के पौधों को ताकत देने का पहला कदम है मिट्टी की देखभाल। मई-जून के महीने में जब धूप तेज होती है, तब पौधे की जड़ों के आसपास की मिट्टी को खुरपी से हल्का खोदकर भुरभुरा कर देना चाहिए। इससे मिट्टी में हवा का बहाव बढ़ता है और जड़ें ज्यादा पोषण ले पाती हैं। मिट्टी खोदने के बाद हल्का पानी देना चाहिए, ताकि जड़ें नम रहें। ज्यादा पानी डालने से बचना चाहिए, क्योंकि पानी जमा होने से जड़ें सड़ सकती हैं। ये देसी तरीका पुराने मालियों का है, जो बैंगन के पौधों को गर्मी में तंदुरुस्त रखता है।

बोन मील और सरसों की खली का कमाल

अगर बैंगन के पौधों में फूल तो आ रहे हैं, लेकिन फल नहीं बन रहे, तो ये पोषक तत्वों की कमी का संकेत है। ऐसे में देसी खाद का इस्तेमाल सबसे अच्छा उपाय है। बोन मील और सरसों की खली पौधों को जरूरी ताकत देती हैं। दो मुट्ठी बोन मील पाउडर और एक मुट्ठी सरसों की खली को अच्छे से मिला लेना चाहिए। फिर पौधे की जड़ों के आसपास की मिट्टी को हल्का खोदकर इस मिश्रण को मिट्टी में मिला देना चाहिए। इसके बाद हल्का पानी डालना चाहिए, ताकि खाद मिट्टी में अच्छे से समा जाए। ये मिश्रण पौधे को फास्फोरस और नाइट्रोजन देता है, जो फूलों को फल में बदलने में मदद करता है।

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पत्ती खाद से बढ़ेगी ताकत

बोन मील और सरसों की खली डालने के एक हफ्ते बाद पौधे को और पोषण देने के लिए पत्ती खाद का इस्तेमाल करना चाहिए। एक मुट्ठी पत्ती खाद को मिट्टी में मिलाकर हल्का पानी देना चाहिए। ये खाद पौधे को गर्मी में कमजोर होने से बचाती है और फल लगने की ताकत देती है। हर 15-20 दिन में इस प्रक्रिया को दोहराने से पौधा लगातार पोषण पाता रहता है। गांवों में माली अक्सर सूखी पत्तियों और कूड़े से बनी देसी खाद यूज करते हैं, जो सस्ती और असरदार होती है। ये तरीका बैंगन के पौधों को फल से लदने में मदद करता है।

कीटों से बचाव का देसी नुस्खा

गर्मियों में बैंगन के पौधों पर कीटों का हमला बढ़ जाता है। चींटियां, मकड़ी, या छोटे कीड़े पौधे को नुकसान पहुंचा सकते हैं। इनसे बचने का सबसे अच्छा देसी उपाय है नीम का तेल। एक लीटर पानी में 5-7 बूंद नीम तेल मिलाकर स्प्रे बोतल में भर लेना चाहिए। इस घोल को हफ्ते में एक बार पौधे की पत्तियों और तनों पर छिड़क देना चाहिए। नीम तेल कीटों को भगाता है और पौधे को कोई नुकसान नहीं पहुंचाता। अगर पत्तियां पीली या सड़ी दिखें, तो उन्हें तुरंत हटा देना चाहिए, ताकि बीमारी न फैले। ये पुराना नुस्खा बैंगन के पौधों को स्वस्थ रखता है।

सही समय पर पानी देना

बैंगन के पौधों को गर्मियों में पानी की सही मात्रा देना बहुत जरूरी है। सुबह जल्दी या शाम ढलने के बाद पानी देना चाहिए, ताकि धूप से पानी सूखे नहीं। एक छोटे गमले में 1-2 लीटर और बड़े पौधों में 3-4 लीटर पानी हर दिन काफी होता है। मिट्टी को उंगली से छूकर चेक करना चाहिए कि वो हल्की गीली है या नहीं। ज्यादा पानी जड़ों को सड़ा सकता है। देसी माली अक्सर मिट्टी की नमी देखकर ही पानी देते हैं, जो पौधे को गर्मी में तरोताजा रखता है।

छोटी-छोटी बातों का ध्यान

बैंगन के पौधों को गर्मियों में फलदार बनाने के लिए छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखना जरूरी है। पौधे के आसपास की मिट्टी में खरपतवार न रहने देना चाहिए, क्योंकि ये पोषण चुराते हैं। साथ ही, पौधे को हल्की छाया देने के लिए बांस की टट्टियां या पुरानी साड़ी का इस्तेमाल किया जा सकता है। इन देसी नुस्खों से बैंगन का पौधा गर्मी में भी लहलहाएगा और जल्दी ही फल से लद जाएगा।

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  • Shashikant

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