Banana Farming Tips : किसान भाइयों, केले की बागवानी को नया रंग देने का वक्त आ गया है। अप्रैल का महीना आपके लिए मौका लाया है। हरी खाद का देसी नुस्खा अपनाइए, रासायनिक खाद का खर्चा घटाइए, और फसल को ताकतवर बनाइिए। ये तरकीब डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा के वैज्ञानिक डॉ. संजय कुमार सिंह की सलाह से आई है। मिट्टी को हरा-भरा करिए, और केले से मोटी कमाई घर लाइए। चलिए, इसकी सारी बातें खोलते हैं।
मिट्टी की सेहत का रखवाला
हरी खाद मिट्टी का दोस्त है। ये नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटाश जैसे खुराक भरती है, और मिट्टी को तंदुरुस्त रखती है। पानी रोकने की ताकत बढ़ाती है, और उसे ढीली-हल्की बनाती है। केला ऐसा फल है, जो खेत से ढेर सारा पोषण खींचता है। रबी फसल कटने के बाद और केले की रोपाई से पहले अप्रैल-मई का समय हरी खाद बोने के लिए शानदार है। 90-100 दिन में मिट्टी तैयार हो जाएगी। खाद का खर्च बचेगा, और फसल बंपर होगी।
खेत को तैयार करने की फसलें
अप्रैल-मई में ढैंचा, मूंग, या लोबिया बोइए। ढैंचा तेजी से बढ़ता है, मिट्टी में नाइट्रोजन डालता है, और उसे मजबूत करता है। मूंग दोहरा फायदा देती है – खाद भी बनती है, और थोड़ी दाल भी मिलती है। लोबिया मिट्टी को जैविक ताकत देती है। खेत में नमी हो, तो हल्का पानी दीजिए। ढैंचा का 45-50 किलो बीज प्रति हेक्टेयर बोइए। 45-60 दिन बाद, फूल आने पर हल से जोतकर मिट्टी में मिला दीजिए। फिर 1 किलो यूरिया प्रति बिस्वा छिड़किए, ताकि खाद जल्दी सड़े। अब खेत केले का इंतजार करेगा।
केले के लिए खेत का जादू
रबी फसल कटने के बाद खेत को जुताई कर लीजिए। अप्रैल में ढैंचा या मूंग डाल दीजिए। हल्की सिंचाई से बीज जमाइए। 45-60 दिन बाद फसल तैयार हो, तो उसे मिट्टी में दबा दीजिए। थोड़ा यूरिया डालकर 15-20 दिन रुकिए। जून-जुलाई में केले की रोपाई शुरू करिए। 60×60 सेमी दूरी पर गड्ढे खोदिए, हर गड्ढे में 10 किलो गोबर खाद डालिए। पौधे लगाइए, पानी शुरू करिए। हरी खाद मिट्टी को ताकत देगी, और केले लहलहाएँगे।
हरी खाद से बंपर फायदा
हरी खाद मिट्टी को नई जान देती है। जैविक तत्व बढ़ाती है, तो फसल की पैदावार बढ़ती है। नाइट्रोजन खुद बनता है, रासायनिक खाद की जरूरत कम पड़ती है। मिट्टी पानी थामती है, सूखे में भी टिकती है। छोटे जीव बढ़ते हैं, जो पोषक तत्व तैयार करते हैं। ढैंचा मिट्टी को ढकता है, कटाव रुकता है। जैविक खेती का रास्ता खुलता है, और पर्यावरण भी सलामत रहता है। ये सब मिलकर आपकी कमाई बढ़ाते हैं।
जेब भरने का गणित
हरी खाद से खर्च कम और फायदा ज्यादा। ढैंचा का बीज 2-3 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर लगेगा। रासायनिक खाद पर 20-30 हजार बच जाएँगे। केले की रोपाई का खर्च 50-60 हजार मान लीजिए। एक हेक्टेयर से 40-50 टन केले निकलते हैं। 20 रुपये किलो भी बिके, तो 8-10 लाख बनते हैं। लागत हटाइए, 7-8 लाख मुनाफा। हरी खाद से फसल की क्वालिटी बढ़ेगी, और बाजार में दाम भी चमकेगा।
खेती के छोटे-छोटे गुर
हरी खाद को फूल आने पर जोतिए, नहीं तो फायदा कम होगा। खेत में पानी ज्यादा मत ठहरने दीजिए। ढैंचा या मूंग का बीज भरोसे की दुकान से लीजिए। जोतने के बाद 15-20 दिन रुकिए, ताकि खाद मिट्टी में घुल जाए। केले की रोपाई से पहले मिट्टी टेस्ट कर लीजिए। गाँव के कृषि अफसर से सलाह लीजिए, वो सही टाइमिंग बताएँगे। बाजार में अच्छा दाम पाने के लिए मंडी या कोल्ड स्टोरेज का रास्ता तैयार रखिए।
तो भाइयों, हरी खाद से केले की बागवानी को नया ढंग दीजिए। अप्रैल में ढैंचा बोइए, मिट्टी को ताकत दीजिए, और केले से खजाना बटोरिए। खर्च कम होगा, फसल लहराएगी, और जेब भरेगी।
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