BARC ने बनाई केले की पहली म्यूटेंट किस्म, 45 दिन में कटाई, प्रति एकड़ 2 लाख का मुनाफा!

न्यूक्लियर एनर्जी जहाँ विज्ञान की दुनिया को बदल रही है, वहीं अब भारतीय किसानों के लिए भी यही तकनीक नई उम्मीद लेकर आई है। भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर (BARC) ने भारत की पहली म्यूटेंट केले की किस्म विकसित की है, जिसका नाम कावेरी वामन रखा गया है। इसे पहले ट्रॉम्बे बनाना म्यूटेंट-9 यानी TBM-9 कहा जाता था, लेकिन अब भारत सरकार ने इसे आधिकारिक रूप से जारी कर दिया है।

यह किस्म तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और केरल के तटीय इलाकों में तेजी से लोकप्रिय हो रही है। कावेरी वामन, लोकप्रिय ग्रांड नेन किस्म को गामा रेडिएशन से म्यूटेट करके तैयार किया गया है। यह छोटा कद वाली किस्म है, तेज हवाओं को आसानी से सहन कर लेती है और सहारे की बिल्कुल जरूरत नहीं पड़ती। इसका मैच्योरिटी पीरियड ग्रांड नेन की तुलना में लगभग 45 दिन कम है, इसलिए किसान फसल को जल्दी बाजार में बेच पाते हैं।

फलों का स्वाद और गुणवत्ता पैरेंट किस्म जैसी ही है, लेकिन कुल खर्च 20 से 30 प्रतिशत तक कम बैठता है। तटीय क्षेत्रों में जहाँ तेज हवाएँ अक्सर केले की फसल को नुकसान पहुंचाती हैं, वहां यह किस्म किसानों के लिए सुरक्षा कवच बनकर उभर रही है। BARC द्वारा विकसित 72 उन्नत किस्मों में यह पहली फ्रूट क्रॉप है, जो न्यूक्लियर टेक्नोलॉजी को बागवानी में सीधे जोड़ती है। मानसून के बाद यह किस्म लगाने का सही समय होता है, इसलिए किसानों को जल्द इसकी रोपाई कर लेनी चाहिए।

कावेरी वामन की मुख्य खूबियाँ

कावेरी वामन को BARC ने ICAR-नेशनल रिसर्च सेंटर फॉर बनाना (NRCB), तिरुचिरापल्ली के साथ मिलकर विकसित किया है। इसे तैयार करने के लिए ग्रांड नेन को गामा किरणों से म्यूटेट किया गया था और कई सालों तक इसकी स्क्रीनिंग और फील्ड ट्रायल किए गए थे। पौधा छोटा कद का होने के कारण तेज हवाओं में झुकता या टूटता नहीं है। इस किस्म में सहारे जैसी लागतें लगभग समाप्त हो जाती हैं।

फसल लगभग 45 दिन पहले पक जाती है और फल बाजार में अच्छी कीमत पर बिकते हैं। स्वाद, मिठास और रस भरण की क्षमता बिलकुल ग्रांड नेन जैसी ही है, इसलिए किसान को गुणवत्ता पर कोई समझौता नहीं करना पड़ता। घनी प्लांटिंग के लिए यह किस्म बिल्कुल उपयुक्त है और तटीय इलाकों में नमकीन हवा के बीच भी मजबूत रहती है। छोटे किसान चाहें तो टेरेस पर भी इसके 20 से 30 पौधे आसानी से उगा सकते हैं।

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रोपाई का तरीका

कावेरी वामन की रोपाई बीज से नहीं बल्कि कलम लगे पौधों से की जाती है। प्रमाणित पौधे NRCB या BARC से लेना ही सबसे सुरक्षित तरीका है। तटीय दोमट या रेतीली मिट्टी इस किस्म के लिए बेहतर होती है, जहाँ पानी की निकासी अच्छी होनी चाहिए। रोपाई का सही समय सितंबर और अक्टूबर का महीना है, जब मानसून समाप्त हो चुका हो। खेत में 1×1×1 फीट के गड्ढे खोदें और हर गड्ढे में 5 से 10 किलो सड़ी गोबर की खाद डालें।

पौधों के बीच 5×5 फीट की दूरी रखें, जिससे हवा और धूप सही तरीके से मिल सके। एक एकड़ में 400 से 500 पौधे आराम से लग जाते हैं। लगाने के बाद हल्की सिंचाई करें और शुरुआती 2 महीने तक खेत को खरपतवार से साफ रखें। कुल खर्च प्रति एकड़ लगभग 40000 से 50000 रुपये आता है।

कम पानी में अच्छी ग्रोथ

इस किस्म को बहुत ज्यादा पानी की आवश्यकता नहीं होती। हफ्ते में 2 से 3 बार सिंचाई पर्याप्त होती है, लेकिन मिट्टी को बहुत गीला नहीं रखना चाहिए, वरना जड़ें सड़ने का खतरा रहता है। जैविक खाद जैसे गोबर या वर्मी कम्पोस्ट साल में 2 बार लगभग 10 से 15 किलो प्रति पौधा देना फायदेमंद होता है। कीट नियंत्रण के लिए नीम तेल का घोल हर 15 दिन में छिड़कने से पौधे सुरक्षित रहते हैं।

यदि फफूंद का असर दिखे तो बोर्डो मिश्रण का उपयोग किया जा सकता है। सहारे की आवश्यकता न होने से किसानों की मजदूरी भी काफी कम हो जाती है। तटीय नमकीन मिट्टी में भी यह पौधा अच्छा प्रदर्शन करता है, हालांकि साल में एक बार मिट्टी की जांच कराना बेहतर रहता है।

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10–12 टन/एकड़ तक उत्पादन

कावेरी वामन की फसल आमतौर पर 9 से 10 महीने में तैयार हो जाती है। जब फल लगभग 75 से 80 प्रतिशत तक पक जाएँ तो इन्हें हाथ से तोड़ लेना चाहिए। एक पौधे से औसतन 15 से 20 किलो तक फल मिलते हैं। एक एकड़ से कुल उपज लगभग 10 से 12 टन तक आसानी से प्राप्त हो जाती है। बाजार में केले का भाव आमतौर पर 40 से 50 रुपये किलो रहता है, जिससे कुल आय 400000 से 600000 रुपये तक पहुँच सकती है।

खर्च घटाकर देखें तो किसानों को लगभग 200000 रुपये का शुद्ध मुनाफा मिल जाता है। किसान चाहें तो अपने केले को चिप्स, जूस या प्यूरी के रूप में वैल्यू एड कर सकते हैं, जिससे कमाई और बढ़ जाती है। यह पौधा 3 से 4 साल तक लगातार फल देता है, इसलिए एक बार की रोपाई कई साल तक आय देती है।

50% सब्सिडी और BARC से मुफ्त ट्रेनिंग

कावेरी वामन किस्म सरकार की तटीय बागवानी योजना के लिए एकदम उपयुक्त है। राष्ट्रीय बागवानी मिशन के तहत किसानों को 50 प्रतिशत सब्सिडी पर पौधे, खाद और अन्य सामग्री मिल सकती है। BARC और NRCB द्वारा नियमित रूप से ट्रेनिंग कैंप लगाए जाते हैं, जहाँ किसान मुफ्त में सलाह ले सकते हैं। एटीएम योजना के तहत किसानों को लगभग 200000 रुपये तक का आसान लोन भी मिल जाता है।

BARC के डायरेक्टर विवेक भासिन ने इसे बागवानी में क्रांतिकारी कदम बताया है, जबकि डॉ. अजीत कुमार मोहंती ने कहा है कि यह किस्म तटीय किसानों की आय दोगुनी करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। कावेरी वामन न्यूक्लियर साइंस को सीधे कृषि से जोड़ती है, और आने वाले वर्षों में यह तटीय क्षेत्रों की सबसे प्रमुख केले की किस्म बन सकती है।

किसान भाई यदि तटीय इलाकों में खेती करते हैं, तो अभी कावेरी वामन लगाने का सबसे सही समय है। एक छोटा निवेश अगले 3 से 4 वर्षों तक लगातार कमाई दे सकता है। देर न करें, ICAR-NRCB या BARC से संपर्क कर पौधे मंगवाएँ और इस सीजन से नई शुरुआत करें।

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  • Shashikant

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