बरसात में टमाटर की खेती का गुप्त फार्मूला! 3 देसी जुगाड़ से तगड़ी फसल

किसान भाइयों और आंगन के मालियों, बरसात का मौसम अपने साथ सुकून लाता है, लेकिन टमाटर की खेती करने वालों के लिए यह चुनौतियों का समय भी है। नमी की वजह से फफूंदी, कीटों का हमला, और फूलों का झड़ना आम समस्याएँ हैं। कई बार मेहनत के बाद भी टमाटर के पौधे फल नहीं देते या फल जल्दी सड़ जाते हैं। लेकिन चिंता की कोई बात नहीं! 3 आसान और देसी उपाय अपनाकर आप बरसात में भी हरे-भरे पौधे और लाल-लाल टमाटरों से अपने खेत और गमले भर सकते हैं। ये टिप्स आपकी पैदावार को 2-3 गुना बढ़ा सकते हैं। आइए जानें ये जादुई तरीके और बरसात में टमाटर की देखभाल के गुर।

साइड शाखाओं की कटिंग, ज्यादा फल का राज

बरसात में टमाटर के पौधे तेजी से बढ़ते हैं, लेकिन हर शाखा फल नहीं देती। अनुभवी माली बताते हैं कि पौधे की साइड शाखाएँ, जिन्हें “सकर” कहते हैं, पौधे की ताकत और पोषण चुरा लेती हैं। इन्हें हर 7-10 दिन में काट देना चाहिए। इससे पौधे का सारा पोषण फूलों और फलों तक पहुँचता है, जिससे टमाटर ज्यादा और बड़े लगते हैं। कटिंग सुबह या शाम करें, जब मौसम ठंडा हो। मुख्य तने और शाखा के बीच की छोटी टहनियों को साफ उंगली या कैंची से हटाएँ। यह तरीका हवा के प्रवाह को बढ़ाता है, जिससे फफूंदी और रोगों का खतरा कम होता है। गमलों में उगने वाले पौधों के लिए भी यह टिप्स कारगर है।

नीम खली, गोबर, और राख, मिट्टी का सुरक्षा कवच

बरसात में मिट्टी में नमी की वजह से कीट और फफूंदी पनपते हैं, जो टमाटर की जड़ों और तनों को नुकसान पहुँचाते हैं। इससे बचने के लिए मिट्टी को जैविक मिश्रण से तैयार करें। 1 भाग नीम खली, 2 भाग गोबर की खाद, और 1 भाग लकड़ी की राख मिलाएँ। नीम खली मिट्टी के कीटों, जैसे दीमक और कटवर्म, को भगाती है। गोबर की खाद पौधों को जरूरी पोषक तत्व देती है, और राख मिट्टी को हल्का कर जल निकास बेहतर बनाती है। बुवाई से पहले इस मिश्रण को खेत या गमले की मिट्टी में अच्छे से मिलाएँ। हर 15-20 दिन में पौधों के चारों ओर हल्की नीम खली छिड़कें। यह मिश्रण न सिर्फ पौधों को स्वस्थ रखता है, बल्कि टमाटर को स्वादिष्ट भी बनाता है।

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दही का स्प्रे, फूलों को टिकाएँ, फल बढ़ाएँ

बरसात में टमाटर के फूल अक्सर झड़ जाते हैं, जिससे फल बनने की प्रक्रिया रुक जाती है। इस समस्या का देसी और सस्ता इलाज है दही का स्प्रे। 1 लीटर पानी में 2 चम्मच ताजा दही मिलाएँ और हर 10-15 दिन में पौधों की पत्तियों और फूलों पर छिड़कें। दही में मौजूद लाभकारी बैक्टीरिया प्राकृतिक ग्रोथ हार्मोन बनाते हैं, जो फूलों को टिकाए रखते हैं और फल बनने को बढ़ावा देते हैं। छिड़काव सुबह के समय करें, ताकि पत्तियाँ दिन में सूख जाएँ और फफूंदी का खतरा न हो। यह तरीका खेतों और गमलों दोनों के लिए प्रभावी है। कुछ माली दही के साथ चुटकी भर हल्दी भी मिलाते हैं, जो रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाती है।

बरसात में टमाटर की खास देखभाल

बरसात में टमाटर के पौधों को ज्यादा पानी से बचाना जरूरी है। ज्यादा नमी जड़ों को सड़ा सकती है, जिससे पौधा मुरझा जाता है। खेत में पौधों के चारों ओर 6-8 इंच ऊँची मेड़ बनाएँ ताकि पानी जमा न हो। गमलों में 2-3 बड़े ड्रेनेज होल बनाएँ और उन्हें ऊँची जगह, जैसे टेबल या स्टैंड पर रखें। अगर बारिश लगातार हो, तो गमलों को पॉलिथीन से ढक दें। सप्ताह में एक बार मिट्टी की नमी जाँचें और जरूरत पड़ने पर ही पानी दें। बरसात में पौधों को सहारा देने के लिए बाँस या डंडे से टेक लगाएँ, ताकि वे हवा से गिरें नहीं।

सही किस्म और जैविक खाद का चयन

बरसात में टमाटर की कुछ खास किस्में बेहतर परिणाम देती हैं। चाइनीज चेरी, रोमा, पुसा रूबी, और देसी गोल टमाटर नमी और फफूंदी के प्रति सहनशील हैं। ये किस्में जल्दी फल देती हैं और खराब होने का खतरा कम होता है। रासायनिक खादों से बचें, क्योंकि वे मिट्टी की उर्वरता कम करते हैं और टमाटर का स्वाद बिगाड़ सकते हैं। इसके बजाय वर्मी कम्पोस्ट, गोबर की खाद, या जीवामृत का उपयोग करें। हर 20-25 दिन में 200-300 ग्राम वर्मी कम्पोस्ट प्रति पौधा डालें। यह पौधों को मजबूत बनाता है और फलों की गुणवत्ता बढ़ाता है।

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कीट और रोगों से बचाव

बरसात में फल छेदक कीट और ब्लाइट फफूंदी टमाटर को सबसे ज्यादा नुकसान पहुँचाते हैं। नीम तेल (5 मिली/लीटर पानी) या बेकिंग सोडा (1 चम्मच/लीटर पानी) का छिड़काव हर 10 दिन में करें। पत्तियों पर सफेद धब्बे दिखें तो तुरंत प्रभावित पत्तियाँ हटाएँ। फल छेदक कीट से बचने के लिए पके टमाटर समय पर तोड़ लें। जैविक जाल या फेरोमोन ट्रैप लगाकर कीटों को नियंत्रित करें। पौधों के बीच पर्याप्त दूरी (2-3 फीट) रखें ताकि हवा का प्रवाह बना रहे।

कितना मुनाफे की संभावना

बरसात में टमाटर की कीमतें 30-50 रुपये प्रति किलो तक पहुँचती हैं, क्योंकि आपूर्ति कम होती है। एक गमले से 2-3 किलो और प्रति एकड़ 10-15 टन टमाटर मिल सकते हैं। इन टिप्स से पैदावार बढ़ने पर प्रति एकड़ 3-5 लाख रुपये की आय हो सकती है। लागत (बीज, खाद, श्रम) 50,000-70,000 रुपये प्रति एकड़ है। छोटे बागवान गमलों में उगाकर स्थानीय बाजार में 100-150 रुपये प्रति किलो बेच सकते हैं।

बरसात में टमाटर की खेती चुनौतीपूर्ण जरूर है, लेकिन इन देसी टिप्स से आपकी मेहनत रंग लाएगी। साइड शाखाएँ काटें, नीम खली का मिश्रण डालें, और दही का स्प्रे करें। अपने पौधों से प्यार से बात करें और उनकी देखभाल करें। ये छोटे कदम आपके खेत और आंगन को लाल-लाल टमाटरों से भर देंगे। आज ही शुरू करें और बंपर पैदावार का मजा लें!

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  • Dharmendra

    मै धर्मेन्द्र एक कृषि विशेषज्ञ हूं जिसे खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी साझा करना और नई-नई तकनीकों को समझना बेहद पसंद है। कृषि से संबंधित लेख पढ़ना और लिखना मेरा जुनून है। मेरा उद्देश्य है कि किसानों तक सही और उपयोगी जानकारी पहुंचे ताकि वे अधिक उत्पादन कर सकें और खेती को एक लाभकारी व्यवसाय बना सकें।

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