जानिए ऑर्गेनिक तोरई की कमाल की खेती के बारे में, सेहत, मुनाफा और पर्यावरण की तीन गुना चाबी

मॉनसून की बारिश खेतों को हरा-भरा कर देती है, और यही समय है ऑर्गेनिक तोरई (लूफा) की खेती शुरू करने का। तोरई न सिर्फ रसोई में स्वाद का तड़का है, बल्कि सेहत और पर्यावरण के लिए भी फायदेमंद है। ऑर्गेनिक तरीके से उगाई गई तोरई में कीटनाशकों का नामोनिशान नहीं होता, जो परिवार की सेहत को सुरक्षित रखता है। साथ ही, ये खेती मिट्टी और हवा को प्रदूषण से बचाती है। मॉनसून की दस्तक के साथ, खेतिहर समुदाय के लिए ये मौका है मुनाफा कमाने का। आइए, जानें कि बरसात में ऑर्गेनिक तोरई की खेती कैसे करें और इसके फायदे क्या हैं।

ऑर्गेनिक तोरई खेती का आसान तरीका

बरसात में तोरई की खेती के लिए हल्की दोमट या बलुई मिट्टी सबसे उपयुक्त है, जहाँ पानी का निकास अच्छा हो। मॉनसून से पहले (जून 2025) खेत की 2-3 बार जुताई करें और प्रति हेक्टेयर 15-20 टन गोबर की खाद या वर्मी कम्पोस्ट मिलाएँ। मिट्टी का पीएच 6.0-7.0 रखें। बीज बुवाई जून के आखिरी हफ्ते या जुलाई की शुरुआत में करें। बीजों को 1-2 सेंटीमीटर गहराई में बोएँ और पौधों के बीच 60-90 सेंटीमीटर की दूरी रखें, क्योंकि तोरई फैलकर बेल बनाता है। बीजों को बुवाई से पहले 5 लीटर गोमूत्र या 2 ग्राम ट्राइकोडर्मा प्रति किलो बीज से उपचारित करें, ताकि रोगों से बचाव हो।

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इसके लिए मेड़ या ऊँचे बेड बनाएँ। तोरई को सहारा देने के लिए बांस या रस्सी का जाल लगाएँ, ताकि बेल ऊपर चढ़े और फल सही आकार लें। 15-20 दिन बाद हल्की निराई-गुड़ाई करें। कीटों से बचाव के लिए नीम का तेल (5 मिली प्रति लीटर पानी) या दशपर्णी अर्क का छिड़काव करें। ऑर्गेनिक खेती में रासायनिक खाद या कीटनाशक का इस्तेमाल न करें। फसल 60-70 दिनों में तैयार हो जाती है। कटाई के बाद ताजा तोरई को मंडी में बेचें।

बीज कहाँ से प्राप्त करें

ऑर्गेनिक तोरई की खेती के लिए बीज की गुणवत्ता बहुत मायने रखती है। राधिका कंपनी का बीज बेस्ट रहेगा। राधिका कंपनी के बीज उच्च गुणवत्ता वाले होते हैं, जो पैदावार को बढ़ाते हैं और रोगों से लड़ने में मदद करते हैं। ये बीज बाजार में आसानी से उपलब्ध हैं और नजदीकी कृषि केंद्र या ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से भी लिए जा सकते हैं। बीज लेते समय इस बात का ध्यान रखें कि वे प्रमाणित हों और पैकिंग पर तारीख चेक करें। सही बीज से आपकी मेहनत का पूरा फल मिलेगा, इसलिए राधिका कंपनी के बीज पर भरोसा करें।

सेहत का खजाना, तोरई के फायदे

ऑर्गेनिक तोरई सेहत के लिए किसी जड़ी-बूटी से कम नहीं। इसमें फाइबर, विटामिन सी, और एंटीऑक्सिडेंट्स प्रचुर मात्रा में होते हैं, जो पाचन को दुरुस्त रखते हैं और वजन नियंत्रण में मदद करते हैं। इसका रस त्वचा की समस्याओं, जैसे एक्जिमा, को कम करने में कारगर है। कीटनाशक-रहित तोरई खाने से कैंसर और हृदय रोग का खतरा भी कम होता है। सूखे लूफा को प्राकृतिक स्पंज के रूप में इस्तेमाल करने से त्वचा साफ और चमकदार रहती है। बरसात में जब बीमारियाँ बढ़ती हैं, ऑर्गेनिक तोरई का सेवन इम्यूनिटी बढ़ाकर शरीर को मजबूत करता है। ये खेतों से सीधे थाली तक का स्वच्छ रास्ता है।

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पर्यावरण को गले लगाती खेती

ऑर्गेनिक तोरई खेती पर्यावरण के लिए वरदान है। इसमें रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों का इस्तेमाल नहीं होता, जो मिट्टी और पानी को प्रदूषण से बचाता है। तोरई की बेलें कार्बन डाइऑक्साइड सोखती हैं और ऑक्सीजन छोड़ती हैं, जिससे हवा साफ रहती है। मॉनसून में बरसात का पानी जमा होने से बचाने के लिए मेड़ बनाना मिट्टी के कटाव को भी रोकता है। इसके सूखे फल से बने स्पंज बायोडिग्रेडेबल होते हैं, जो प्लास्टिक के नुकसान को कम करते हैं। ये खेती खेतिहर समुदाय को प्रकृति के साथ जोड़ती है और आने वाली पीढ़ियों के लिए हरा-भरा भविष्य देती है।

मुनाफे का रास्ता और देसी टिप्स

बरसात में ऑर्गेनिक तोरई की खेती कम लागत (10-12 हजार रुपये प्रति एकड़) में शुरू हो सकती है। प्रति हेक्टेयर 150-200 क्विंटल ताजा तोरई या 50-70 क्विंटल सूखे लूफा स्पंज की पैदावार हो सकती है। बाजार में ताजा तोरई 20-30 रुपये प्रति किलो और स्पंज 50-80 रुपये प्रति किलो तक बिकता है, जिससे 1-2 लाख रुपये प्रति एकड़ की कमाई संभव है। e-NAM या नजदीकी मंडी में बेचें। बरसात में फफूंद से बचने के लिए मिट्टी में ट्राइकोडर्मा (2 किलो प्रति एकड़) मिलाएँ। कीटों से बचाव के लिए गोमूत्र (10 लीटर प्रति एकड़) का छिड़काव करें।

बरसात में ऑर्गेनिक तोरई की खेती सेहत और पर्यावरण को स्वच्छ रखते हुए मुनाफे का जरिया बन सकती है। सही जानकारी, देसी मेहनत, और सरकारी सहायता से आप इस मौके को सोने का अंडा देने वाली मुर्गी बना सकते हैं। इस जून-जुलाई 2025 में तोरई की खेती शुरू करें और अपनी मेहनत का पूरा दाम पाएँ!

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  • Dharmendra

    मै धर्मेन्द्र एक कृषि विशेषज्ञ हूं जिसे खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी साझा करना और नई-नई तकनीकों को समझना बेहद पसंद है। कृषि से संबंधित लेख पढ़ना और लिखना मेरा जुनून है। मेरा उद्देश्य है कि किसानों तक सही और उपयोगी जानकारी पहुंचे ताकि वे अधिक उत्पादन कर सकें और खेती को एक लाभकारी व्यवसाय बना सकें।

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