बीएयू ने तैयार किया बिना बीज वाला टमाटर, किसानों को होगा डबल मुनाफा

किसान भाई लंबे समय से टमाटर की खेती में मेहनत करते आ रहे हैं, लेकिन भाव गिरने और जल्दी सड़ने की वजह से घाटा सहते रहे हैं। अब बिहार कृषि विश्वविद्यालय (बीएयू) ने एक ऐसी नई वैरायटी विकसित की है, जो इन सारी परेशानियों का अंत कर देगी। यह है सीडलेस टमाटर यानी बिना बीज वाला टमाटर। यह न सिर्फ रसदार और मुलायम है, बल्कि 8-10 दिन तक ताजा रहता है। आम टमाटर की तरह दो-तीन दिन में सड़ने की चिंता नहीं। यही वजह है कि किसान बाजार के सही भाव का इंतजार कर बेच सकेंगे, और मुनाफा दोगुना हो जाएगा। बीएयू के वैज्ञानिक इसे ‘डबल मुनाफे वाला टमाटर’ कह रहे हैं।

यह वैरायटी घरेलू रसोई से लेकर प्रोसेसिंग इंडस्ट्री तक सबके लिए वरदान है। काटने-छीलने में आसानी, बीजों की झंझट नहीं, और स्वाद में मिठास। सॉस, केचअप, जूस और प्यूरी बनाने वाली कंपनियां इसे हाथों-हाथ लेंगी। सुपरमार्केट चेन में भी इसकी डिमांड बढ़ेगी, क्योंकि ग्राहक बीज-रहित टमाटर को ज्यादा पसंद करेंगे। बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि आने वाले सालों में यह वैरायटी टमाटर के बाजार पर राज करेगी। कई जिलों में ट्रायल खेती से साबित हो चुका है कि पैदावार और भाव दोनों में यह सामान्य टमाटर से 30-40% आगे है।

सीडलेस टमाटर की खासियतें जो बदल देंगी किसानी

बीएयू के वैज्ञानिकों ने इस वैरायटी को सालों की रिसर्च के बाद तैयार किया है। सबसे बड़ी खूबी बीज बिल्कुल नहीं। फल अंदर से पूरी तरह रसीला, बाहर चमकदार लाल और मुलायम। वजन में भारी, लेकिन छिलका पतला। शेल्फ लाइफ 8-10 दिन, यानी ट्रांसपोर्ट में नुकसान न के बराबर। गर्मी और हल्की सर्दी दोनों मौसमों में उगता है। पौधा मजबूत, ऊंचाई 4-5 फुट तक। रोग प्रतिरोधक क्षमता इतनी कि लीफ कर्ल, विल्ट या बैक्टीरियल स्पॉट जैसी बीमारियां दूर रहती हैं। फल का आकार गोल, वजन 80-120 ग्राम। एक पौधे से 2.5-3 किलो तक पैदावार। प्रति एकड़ 200-250 क्विंटल आसानी से।

वैज्ञानिकों ने उन्होंने बताया कि यह वैरायटी छोटे किसानों के लिए डिजाइन की गई है। कम पानी, कम दवा और कम मेहनत। प्रोसेसिंग यूनिट्स को बीज हटाने का खर्च बचता है, इसलिए वे ज्यादा भाव देने को तैयार हैं।

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खेती का आसान तरीका

खेती शुरू करने के लिए सबसे पहले नर्सरी तैयार करें। बीज बोने के 45-60 दिन बाद रोपाई करें। मिट्टी दोमट या बलुई दोमट हो, जल निकासी अच्छी। खेत की तैयारी में 3-4 जुताई करें, 15-20 टन गोबर खाद मिलाएं। NPK का बैलेंस नाइट्रोजन 80 किलो, फॉस्फोरस 60 किलो, पोटाश 50 किलो प्रति हेक्टेयर। लाइन से लाइन 60 सेमी, पौधे से पौधे 30-40 सेमी दूरी। रोपाई के बाद हल्की सिंचाई, फिर हर 7-10 दिन। ज्यादा पानी न दें, वरना फल फट सकते हैं।

खरपतवार के लिए बुवाई के 20-25 दिन बाद एक बार निराई-गुड़ाई। रोगों से बचाव के लिए जैविक तरीके अपनाएं नीम तेल, त्रिचोडर्मा या गौमूत्र का छिड़काव। अगर फफूंद लगे तो मैन्कोजेब का हल्का स्प्रे। कीटों के लिए फेरोमोन ट्रैप लगाएं। 80-90 दिन में फल पकने लगते हैं। जब रंग गहरा लाल हो जाए, तो तोड़ लें। कटाई सुबह-शाम करें, ताकि ताजगी बनी रहे। पैकिंग में हवादार क्रेट इस्तेमाल करें।

बाजार में छा जाएगा

यह टमाटर सॉस, केचअप, प्यूरी और जूस के लिए परफेक्ट। कंपनियां सीधे किसानों से कॉन्ट्रैक्ट करेंगीहैं। दिल्ली, मुंबई, कोलकाता के बड़े बाजारों में डिमांड। एक्सपोर्ट की संभावना भी। सुपरमार्केट में पैकेटबंद बिक्री से प्रीमियम भाव।

बीएयू के वैज्ञानिकों का अनुमान है कि अगर 10% किसान भी इसे अपनाएं, तो बिहार का टमाटर उत्पादन क्रांति की राह पर होगा। छोटे किसान 0.5 एकड़ से शुरू कर 1.5-2 लाख कमा सकते हैं। महिलाएं भी घर के पास नर्सरी लगा सकती हैं।

अभी शुरू करें ये खेती

अगर आप टमाटर की खेती करते हैं या नई फसल सोच रहे हैं, तो बीएयू से संपर्क करें। बीज उपलब्ध हैं, ट्रेनिंग भी मिलेगी। छोटे खेत से शुरू करें, अनुभव लें। सब्सिडी का फायदा उठाएं। यह वैरायटी न सिर्फ जेब भरेगी, बल्कि नाम भी कमाएगी। बिहार के किसान, यह मौका हाथ से न जाने दें डबल मुनाफे की राह आपके सामने है। आज ही प्लान बनाएं, कल से खेती शुरू करें।

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  • Shashikant

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