Harvesting with Straw Reaper: गेहूं की कटाई का समय पास आ रहा है, लेकिन इस बार खेतों में पराली जलाना भारी पड़ सकता है। गाँव के किसानों को अब प्रशासन और कृषि विभाग ने साफ बता दिया है कि अगर फसल काटने में स्ट्रॉ रीपर का इस्तेमाल नहीं किया, तो कानूनी कार्रवाई होगी। इतना ही नहीं, सरकारी योजनाओं का फायदा भी नहीं मिलेगा। ये सुनकर कुछ लोग चौंक गए हैं, तो कुछ इसे धरती और हवा को बचाने का अच्छा तरीका मान रहे हैं।
पराली जलाना अब नहीं चलेगा
फसल काटने के बाद खेत में जो डंठल बचते हैं, उसे जलाना अब पुरानी बात हो गई। जिला प्रशासन ने सख्ती से कहा है कि पराली जलाना किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं होगा। ऐसा करने से हवा खराब होती है और मिट्टी की ताकत भी कम हो जाती है। गाँव में बड़े-बुजुर्ग कहते हैं कि धरती हमारी माँ है, इसे आग लगाकर कमजोर करना ठीक नहीं। प्रशासन कह रहा है कि स्ट्रॉ रीपर से कटाई करो, ताकि न पर्यावरण को नुकसान हो और न ही खेत की सेहत बिगड़े।
स्ट्रॉ रीपर क्या काम करता है?
ये स्ट्रॉ रीपर कोई जटिल चीज नहीं है। ये एक ऐसी मशीन है जो फसल काटते वक्त डंठल को छोटे-छोटे टुकड़ों में काट देती है। फिर ये टुकड़े भूसे में बदल जाते हैं, जो गाय-भैंस के लिए चारे का काम करते हैं। इससे दो फायदे हैं पराली जलाने की जरूरत नहीं पड़ती और पशुओं के लिए चारा भी तैयार हो जाता है। कृषि विभाग के लोग गाँव में समझा रहे हैं कि इस मशीन से खेती को नया रास्ता मिलेगा। वैज्ञानिक बताते हैं कि पराली जलाने से मिट्टी में जो अच्छे तत्व और छोटे कीड़े होते हैं, वो सब खत्म हो जाते हैं। इससे फसल कम होने लगती है और हवा में धुआँ भी फैलता है।
गाँव में फैल रही जागरूकता
कृषि विभाग के अफसर और सलाहकार गाँव-गाँव घूमकर किसानों को समझाने वाले हैं। वो बताएंगे कि स्ट्रॉ रीपर का इस्तेमाल कैसे करना है और इससे क्या-क्या फायदा हो सकता है। ये लोग ये भी कह रहे हैं कि पराली जलाने से जो धुआँ उठता है, वो बच्चों और बूढ़ों की सेहत के लिए खतरनाक है। गाँव में चौपाल पर या खेत के किनारे बैठकर ये बातचीत होगी। हार्वेस्टर चलाने वालों को भी हिदायत है कि बिना स्ट्रॉ रीपर के फसल न काटें, वरना उन पर भी कार्रवाई होगी।
नियम तोड़ा तो सजा मिलेगी
जिला कृषि अफसर ने साफ कर दिया है कि जो इस नियम को नहीं मानेगा, उसके खिलाफ कानूनी कदम उठेगा। सीआरपीसी की धारा 133 के तहत कार्रवाई होगी और उसका कृषि विभाग में नाम भी कट जाएगा। साथ ही, सरकार की जो मदद मिलती है जैसे अनुदान या दूसरी योजनाएँ वो भी बंद हो जाएगी। कुछ लोग कह रहे हैं कि स्ट्रॉ रीपर खरीदना हर किसी के बस की बात नहीं। इस पर प्रशासन का जवाब है कि मशीन सस्ते दामों पर या अनुदान के साथ दी जाएगी, ताकि कोई परेशान न हो।
किसानों के बीच दो राय
गाँव में इस आदेश को लेकर दो तरह की बातें हो रही हैं। कुछ लोग कहते हैं कि ये फैसला सही है, इससे हवा साफ रहेगी और खेत की मिट्टी भी बचेगी। लेकिन कुछ का मानना है कि मशीन लेना और उसका इस्तेमाल करना मुश्किल है। फिर भी, प्रशासन ने भरोसा दिलाया है कि वो मदद करेगा। अब देखना ये है कि गाँव के किसान इस नए तरीके को कितना अपनाते हैं और प्रशासन इसे लागू करने में कितना जोर लगाता है।
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