Benefits of Agroforestry : किसान भाइयों, गाँव में खेती तो हम सब करते हैं, लेकिन अगर खेत में पेड़ भी लगाएँ, तो ये दोहरा मुनाफा दे सकता है। इसे ही एग्रोफोरेस्ट्री(कृषि वानिकी) कहते हैं, यानी खेती और जंगल का मेल। इसमें खेत में फसल के साथ-साथ फल, लकड़ी या औषधीय पेड़ उगाते हैं। गाँव में ये तरीका न सिर्फ जेब भरता है, बल्कि मिट्टी को ताकत देता है और मौसम की मार से भी बचाता है। आइए, समझें कि एग्रोफोरेस्ट्री से किसानों को फायदा कैसे मिलता है और इसे कैसे शुरू करें।
खेत में पेड़ों को लगाने तरीका
Agroforestry (कृषि वानिकी) शुरू करने के लिए अपने खेत को समझें। खेत के किनारे या बीच में पेड़ लगाएँ, जो फसल को नुकसान न दें। गाँव में नीम, शीशम, बेर या सहजन जैसे पेड़ चुनें। इनके नीचे धान, गेहूँ, मूँग या सब्जियाँ उगा सकते हैं। पेड़ों को 5-6 फीट की दूरी पर लगाएँ, ताकि फसल को धूप और हवा मिले। गाँव में पुराने लोग कहते हैं कि पेड़ और फसल भाई-बहन की तरह हैं, एक-दूसरे की मदद करते हैं। शुरू में थोड़ा सब्र करें, क्यूँकि पेड़ बड़े होने में वक्त लेते हैं।
मिट्टी और पानी की बचत
पेड़ खेत की मिट्टी को बंजर होने से बचाते हैं। इनकी जड़ें मिट्टी को जकड़ती हैं, जिससे बारिश में कटाव कम होता है। पत्तियाँ गिरकर खाद बनती हैं, जो मिट्टी को ताकत देती हैं। गाँव में जहाँ पानी कम हो, वहाँ पेड़ छाँव बनाते हैं, जिससे पानी जल्दी नहीं सूखता। नीम जैसे पेड़ कीड़े-मकोड़ों को भी भगाते हैं, तो कीटनाशक का खर्चा बचता है। ऐसा करने से खेत सालों तक उपजाऊ बना रहता है और फसल भी बढ़िया होती है। पेड़ फसलों को तेज धुप से भी बचाते हैं जिससे फसल की ग्रोथ अच्छी होती है, पानी भी कम देना पड़ता है।
दोहरी कमाई का रास्ता
Agroforestry (कृषि वानिकी) से कमाई दो तरफ से होती है। फसल तो हर साल मिलती ही है, साथ में पेड़ों से फल, लकड़ी या औषधि मिलती है। मिसाल के तौर पर, एक बीघे में बेर के 20-25 पेड़ लगाएँ, तो 3-4 साल बाद हर पेड़ से 20-30 किलो फल मिलेगा। बाजार में 40-50 रुपये किलो भाव मिले, तो 20-25 हज़ार रुपये की कमाई होगी। शीशम की लकड़ी 10-15 साल बाद बिके, तो लाखों में मुनाफा देगी। गाँव में सहजन की पत्तियाँ और फलियाँ बेचकर भी पैसा आता है। ये तरीका लंबे वक्त का फायदा देता है।
मौसम की मार से सुरक्षा
गर्मी, सूखा या तेज बारिश से फसल को नुकसान होता है, लेकिन पेड़ खेत को ढाल की तरह बचाते हैं। इनकी छाँव से गर्मी में पौधे सूखते नहीं, और तेज हवा से टूटते नहीं। गाँव में नीम या बबूल जैसे पेड़ हवा को रोकते हैं, जिससे मिट्टी उड़ती नहीं। ये प्रकृति का देसी जुगाड़ है, जो फसल को बचा लेता है। साथ ही, पेड़ बारिश को बुलाने में मदद करते हैं, जो खेती के लिए वरदान है। पंजाब, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, MP,आदि राज्यों के किसान भाई खूब लाभ कमाते हैं, आप भी कृषि वानिकी करके अच्छी आय अर्जित कर सकतें हैं।
गाँव के लिए खास फायदा
गाँव में एग्रोफोरेस्ट्री (कृषि वानिकी) इसलिए खास है, क्यूँकि ये खेत को हरा-भरा रखता है। पेड़ों से चारा, ईंधन और फल मिलते हैं, जो घर का खर्चा बचाते हैं। गाँव की बहनें सहजन की फलियाँ सब्जी में डालती हैं, और बच्चे बेर खाकर खुश होते हैं। शुरू में थोड़ा पैसा और मेहनत लगेगी, लेकिन बाद में ये अपने आप चलता है। तो भाइयों, अपने खेत में पेड़ और फसल को साथ लाएँ, कमाई और सेहत दोनों हाथ में होंगे।
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