बरसीम BL-43: पशुधन की सेहत और दूध उत्पादन बढ़ाने वाली नंबर-1 चारा फसल

किसान भाइयों, बरसीम, जिसे मिस्री तिपतिया भी कहते हैं, चारे का राजा है। खासकर बरसीम की BL-43 किस्म पशुधन की सेहत और दूध उत्पादन बढ़ाने में वरदान है। यह तेजी से बढ़ने वाली, पौष्टिक, और स्वादिष्ट चारा फसल है, जो गायों और भैंसों के लिए खास तौर पर फायदेमंद है। इसमें 17-22% प्रोटीन और 60-65% पचने योग्य पोषक तत्व होते हैं, जो पशुओं को स्वस्थ रखते हैं और दूध की मात्रा बढ़ाते हैं। उत्तर भारत के पंजाब, हरियाणा, और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में यह चारा पशुपालकों की पहली पसंद है। अपने खेत में इसे उगाकर आप अपने पशुओं को सेहतमंद रख सकते हैं और मुनाफा कमा सकते हैं।

BL-43 की खेती: आसान और फायदेमंद

बरसीम BL-43 की खेती करना बेहद आसान है और यह छोटे-बड़े किसानों के लिए किफायती है। यह रबी की फसल है, जिसे सितंबर के आखिरी हफ्ते से अक्टूबर के पहले हफ्ते तक बोया जाता है। दोमट या भारी मिट्टी, जिसमें पानी की अच्छी निकासी हो, इसके लिए सबसे अच्छी है। खेत को अच्छे से जुताई करके भुरभुरा करें और प्रति हेक्टेयर 10-12 टन सड़ी हुई गोबर की खाद मिलाएं। बीज की मात्रा 8-10 किलोग्राम प्रति एकड़ पर्याप्त है। बीज को बोने से पहले राइजोबियम कल्चर से उपचारित करें, ताकि मिट्टी में नाइट्रोजन बढ़े। पंक्तियों के बीच 20-25 सेंटीमीटर का फासला रखें और हल्की सिंचाई करें। 40-45 दिनों में पहली कटाई के लिए तैयार हो जाता है।

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पशुधन की सेहत का रक्षक

इस में प्रोटीन, कैल्शियम, और फास्फोरस की अच्छी मात्रा होती है, जो पशुओं की सेहत के लिए जरूरी है। यह चारा गायों और भैंसों के दूध उत्पादन को 10-15% तक बढ़ा सकता है। इसके नियमित सेवन से पशुओं का पाचन तंत्र मजबूत होता है और बछड़ों का विकास तेजी से होता है। यह चारा स्वादिष्ट और रसदार होता है, जिसे पशु बड़े चाव से खाते हैं। हालांकि, इसमें सैपोनिन्स होते हैं, इसलिए इसे बहुत ज्यादा मात्रा में नहीं खिलाना चाहिए, ताकि पशुओं में ब्लोटिंग (पेट फूलना) की समस्या न हो। इसे भूसे या अन्य सूखे चारे के साथ मिलाकर खिलाना सबसे अच्छा है।

दूध उत्पादन बढ़ाने का देसी नुस्खा

Berseem BL-43 को पशुओं के आहार में शामिल करने से दूध की मात्रा और गुणवत्ता दोनों बढ़ती है। इसके लिए 10-15 किलोग्राम ताजा बरसीम को भूसे के साथ मिलाकर प्रति पशु प्रतिदिन खिलाएं। अगर आप इसे सिलेज के रूप में देना चाहते हैं, तो बरसीम को मक्के के साथ मिलाकर तैयार करें। यह देसी नुस्खा दूध में ठोस पदार्थों (SNF) की मात्रा बढ़ाता है, जिससे दूध गाढ़ा और पौष्टिक होता है। अगर आपके पास छोटा खेत है, तो बरसीम को सरसों या जई के साथ मिश्रित खेती करें, ताकि चारे में पोषण का संतुलन बना रहे। यह तरीका पशुओं को स्वस्थ रखता है और दूध की कमाई बढ़ाता है।

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बीज और खेती की देखभाल

बरसीम BL-43 की खेती में बीज की गुणवत्ता बहुत मायने रखती है। नेशनल सीड्स कॉरपोरेशन (NSC) जैसे भरोसेमंद स्रोतों से बीज लें, जो उच्च गुणवत्ता और अच्छे अंकुरण की गारंटी देते हैं। NSC के बीज बाजार में आसानी से उपलब्ध हैं और ऑनलाइन भी मंगवाए जा सकते हैं। बुआई के बाद खेत में नियमित हल्की सिंचाई करें, खासकर पहले 3-5 दिनों में। खरपतवार को समय-समय पर हटाएं और कीटों से बचाव के लिए नीम के तेल का छिड़काव करें। अगर स्टेम रॉट (तना सड़न) जैसे रोग दिखें, तो बीज को बोने से पहले फफूंदनाशक से उपचारित करें। इससे फसल स्वस्थ रहेगी और पैदावार बढ़ेगी।

बंपर पैदावार और मुनाफा

बरसीम BL-43 की खेती से प्रति एकड़ 390 क्विंटल तक हरा चारा मिल सकता है, जो मई-जून तक उपलब्ध रहता है। यह फसल 3-6 कटाई देती है, जिससे पशुपालक पूरे सीजन चारा पा सकते हैं। बाजार में हरे चारे का भाव 300-500 रुपये प्रति क्विंटल और सूखे चारे का 800-1000 रुपये प्रति क्विंटल तक होता है। एक एकड़ से 50,000-70,000 रुपये का मुनाफा कमाया जा सकता है। अगर आप इसे सिलेज के रूप में बेचते हैं, तो और ज्यादा कमाई हो सकती है। छोटे पशुपालक अपने आँगन में भी इसे उगाकर पशुओं के लिए ताजा चारा पा सकते हैं।

केंद्र और राज्य सरकारें चारा फसलों को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं चला रही हैं। राष्ट्रीय पशुधन मिशन और राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (RKVY) के तहत बीज, खाद, और सिंचाई उपकरणों पर 50-60% सब्सिडी मिल सकती है। अपने नजदीकी कृषि केंद्र या पशुपालन विभाग से संपर्क करें और इन योजनाओं का लाभ उठाएं। भारतीय चारा अनुसंधान संस्थान (ICAR-IGFRI) की ट्रेनिंग में हिस्सा लें, ताकि आप बरसीम की खेती को और बेहतर बना सकें। यह आपके पशुधन और कमाई दोनों को बढ़ाएगा।

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  • Dharmendra

    मै धर्मेन्द्र एक कृषि विशेषज्ञ हूं जिसे खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी साझा करना और नई-नई तकनीकों को समझना बेहद पसंद है। कृषि से संबंधित लेख पढ़ना और लिखना मेरा जुनून है। मेरा उद्देश्य है कि किसानों तक सही और उपयोगी जानकारी पहुंचे ताकि वे अधिक उत्पादन कर सकें और खेती को एक लाभकारी व्यवसाय बना सकें।

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