केंद्र सरकार ने दी नई जैविक खाद को मान्यता, इससे किसानो को होगा जबरदस्त लाभ

किसान भाइयों, आपके खेतों की सेहत और फसल की पैदावार बढ़ाने के लिए एक अच्छी खबर है। केंद्र सरकार ने कंप्रेस्ड बायो गैस (CBG) संयंत्रों से निकलने वाली खाद को उर्वरकों की नई श्रेणी में शामिल कर दिया है। फर्टिलाइजर (कंट्रोल) ऑर्डर, 1985 में संशोधन के बाद इस खाद के ठोस (Fermented Organic Manure – FOM) और तरल (Liquid Fermented Organic Manure – LFOM) रूप के मानक तय हो गए हैं। अब ये खाद कानूनी तौर पर बिक सकेगी, जिससे सीबीजी प्लांट की कमाई बढ़ेगी और किसानों को सस्ती, जैविक खाद मिलेगी। आइए, समझें कि ये बदलाव खेती के लिए क्यों बड़ा कदम है।

सीबीजी खाद को उर्वरक की मान्यता क्यों मिली

सीबीजी संयंत्र गोबर, फसल अवशेष, और जैविक कचरे से बायो गैस बनाते हैं। इस प्रक्रिया में जो बायो-स्लरी बचती है, वो पोषक तत्वों से भरपूर होती है। इसमें नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटाश के साथ ऑर्गेनिक कार्बन होता है, जो मिट्टी की उर्वरता बढ़ाता है। पहले इस बाय-प्रोडक्ट को संभालना सीबीजी प्लांट के लिए मुश्किल था, लेकिन अब सरकार ने इसे उर्वरक का दर्जा दे दिया। 17 फरवरी 2025 की अधिसूचना में इसे उर्वरकों की परिभाषा में जोड़ा गया, और 27 मार्च को मानक तय किए गए। इससे मिट्टी की सेहत सुधरेगी और टिकाऊ खेती को बढ़ावा मिलेगा।

खाद के मानक और उपयोग का तरीका

कृषि मंत्रालय ने 27 मार्च 2025 को जारी अधिसूचना में FOM और LFOM के मानक तय किए। ठोस खाद (FOM) को मिट्टी में मिलाया जा सकता है, जबकि तरल खाद (LFOM) को बुवाई से 15-20 दिन पहले छिड़कना होगा—ये बात कंटेनर पर लिखी होगी। हर निर्माता को लेबल पर पोषक तत्वों की जानकारी देनी होगी। इंस्पेक्टर सैंपल लेकर जाँच कर सकेंगे, ताकि क्वालिटी बनी रहे। ये खाद मिट्टी में कार्बन बढ़ाती है, जो फसलों की जड़ों को ताकत देती है। अप्रैल 2025 में ये खबर किसानों के लिए नई उम्मीद लेकर आई है, क्यूंकि अब ये खाद आसानी से उपलब्ध होगी।

मिट्टी और फसल पर क्या असर होगा

सीबीजी की बायो-स्लरी ऑर्गेनिक कार्बन एन्हांसर का काम करती है। ये मिट्टी को ढीला और हवादार बनाती है, जिससे पानी और पोषक तत्व जड़ों तक पहुँचते हैं। मिट्टी की घटती उर्वरता, कार्बन की कमी, और रासायनिक खादों का बढ़ता इस्तेमाल किसानों के लिए चिंता का सबब था। अब FOM और LFOM के इस्तेमाल से मिट्टी की सेहत सुधरेगी। ये जैविक खाद फसलों को मजबूत बनाती है और पैदावार बढ़ाती है। साथ ही, रासायनिक खादों पर निर्भरता कम होगी। ये खेती को टिकाऊ बनाने का शानदार तरीका है।

सीबीजी प्लांट और किसानों को फायदा

सीबीजी प्लांट के लिए बायो-स्लरी पहले सिरदर्द थी, लेकिन अब ये कमाई का जरिया बन गई। इस खाद को बेचने से प्लांट की आय बढ़ेगी, जिससे नए संयंत्र लगाने में मदद मिलेगी। किसानों को सस्ती और असरदार जैविक खाद मिलेगी, जो गोबर खाद से भी आगे है। एक हेक्टेयर में 5-10 टन FOM या 500-1000 लीटर LFOM इस्तेमाल कर सकते हैं। इससे फसल की लागत कम होगी और मुनाफा बढ़ेगा। भारतीय ग्रीन एनर्जी महासंघ (IFGE) ने इसे ऐतिहासिक कदम बताया है। ये न सिर्फ खेती, बल्कि स्वच्छ ऊर्जा को भी बढ़ावा देगा।

उद्योग और सरकार की प्रतिक्रिया

IFGE के वरिष्ठ उपाध्यक्ष वाईबी रामकृष्ण ने कहा कि ये संशोधन उनके सालों के प्रयासों का नतीजा है। नीति-निर्माताओं के साथ बातचीत और शोध से FOM और LFOM को मान्यता मिली। IFGE के उपाध्यक्ष आशीष कुमार ने इसे स्वच्छ ऊर्जा और मिट्टी की सेहत के लिए बड़ा कदम बताया। ये बदलाव निवेश को आकर्षित करेगा, ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करेगा, और पर्यावरण को बचाएगा। अप्रैल 2025 में ये खबर चर्चा में है, क्यूंकि अब सीबीजी प्लांट और किसान दोनों की राह आसान होगी।

तो, किसान भाइयों, सीबीजी प्लांट की खाद अब आपकी खेती का नया साथी है। इसके बारे में जानकारी लें, और अगली फसल में इसका इस्तेमाल करें। मिट्टी को ताकत दें, फसल बढ़ाएँ, और टिकाऊ खेती की ओर बढ़ें।

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  • Dharmendra

    मै धर्मेन्द्र पिछले तिन साल से पत्रकारिता कर रहा हूँ मै ugc नेट क्वालीफाई हूँ भूगोल विषय से मै एक विषय प्रवक्ता हूँ , मुझे कृषि सम्बन्धित लेख लिखने में बहुत रूचि है मैंने सम्भावना संस्थान हिमाचल प्रदेश से कोर्स किया हुआ है |

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