भारत में जूट की खेती प्रमुख रूप से पश्चिम बंगाल, असम और बिहार जैसे राज्यों में होती है। यह फसल न केवल किसानों के लिए आय का बड़ा स्रोत है, बल्कि इन राज्यों की अर्थव्यवस्था को भी सहारा देती है। हाल ही में सरकार ने 2025-26 के लिए जूट का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) 5650 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है, जो किसानों के लिए एक बड़ी राहत लेकर आया है।
MSP में भारी वृद्धि
2014-15 में जूट का MSP 2400 रुपये प्रति क्विंटल था, जबकि 2025-26 में यह बढ़कर 5650 रुपये हो गया है। यानी, MSP में करीब 2.35 गुना की बढ़ोतरी हुई है। यह बदलाव जूट किसानों के लिए बहुत फायदेमंद साबित होने वाला है, क्योंकि अब उन्हें अपनी फसल का सही मूल्य मिलेगा। इसके अलावा, सरकार का कहना है कि यह बढ़ोतरी किसानों की उत्पादन लागत को पूरा करने के बाद उन्हें लगभग 67% रिटर्न भी देगी।
किसानों के लिए सरकारी समर्थन
सरकार ने बताया कि 2004-05 से 2013-14 के बीच जूट किसानों को 441 करोड़ रुपये मिले थे, जबकि 2014-15 से 2024-25 तक यह राशि बढ़कर 1300 करोड़ रुपये हो गई। इससे यह साफ है कि पिछले कुछ सालों में सरकार ने किसानों को बेहतर भुगतान देने की कोशिश की है और अब MSP बढ़ाकर उन्होंने इसे और मजबूत किया है। इससे किसानों को अपनी मेहनत का बेहतर मूल्य मिल पाएगा।
मंडी में जूट की कीमतें
बंगाल की प्रमुख मंडियों में 22 जनवरी को जूट का दाम 4950 रुपये से लेकर 5900 रुपये प्रति क्विंटल तक देखा गया। जैसे, नादिया जिले की बेठुआदहारी मंडी में जूट का औसत भाव 5050 रुपये प्रति क्विंटल था, वहीं मुर्शिदाबाद के बेलडांगा मंडी में औसत दाम 5650 रुपये रहा। ऐसे में अगर मंडी में दाम गिरते भी हैं तो किसान MSP के तहत अपनी फसल बेचकर अच्छा लाभ कमा सकते हैं।
ओडिशा जैसे राज्यों में भी जूट की कीमतें 4500 रुपये से लेकर 6000 रुपये प्रति क्विंटल तक रही हैं। औसतन, इन राज्यों में जूट के दाम अच्छे ही रहे हैं, जो किसानों के लिए और भी फायदेमंद साबित हो रहे हैं।
MSP का फायदा किसे होगा?
इस बढ़ोतरी से सबसे ज्यादा पश्चिम बंगाल, असम और बिहार के किसानों को फायदा होगा, क्योंकि इन राज्यों में जूट की खेती सबसे अधिक होती है। इन राज्यों के किसानों को अब अपनी फसल का सही मूल्य मिलेगा और उनकी आय में भी वृद्धि होगी।
MSP के फायदे
सरकार का यह कदम किसानों की आय बढ़ाने और उन्हें आर्थिक रूप से सुरक्षित करने के लिए है। जब मंडी में दाम गिरने की संभावना होती है, तब MSP किसानों को एक सुरक्षित मूल्य देता है। इस बढ़ोतरी से जूट उत्पादन भी बढ़ सकता है, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी।
जूट के पर्यावरणीय फायदे
जूट न केवल एक आर्थिक फसल है, बल्कि यह पर्यावरण मित्र भी है। जूट का इस्तेमाल बैग, रस्सी, और कई अन्य उत्पादों में किया जाता है, जो पर्यावरण के लिए बेहतर होते हैं। इसके बढ़ते उपयोग से प्लास्टिक के विकल्प के तौर पर जूट की भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो जाएगी।
जूट उद्योग लाखों लोगों को रोजगार देता है। MSP में वृद्धि से जूट उद्योग को भी बढ़ावा मिलेगा, जिससे रोजगार के अधिक अवसर उत्पन्न होंगे।
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