किसान भाइयों, ग्रामीण इलाकों में सब्जियों की खेती अब परंपरा से आगे बढ़कर एक लाभदायक व्यवसाय बनती जा रही है। खासकर ऐसे समय में जब किसान कम समय में ज्यादा मुनाफा चाहते हैं, तो भवानी शिमला मिर्च जैसी अगेती किस्में उनके लिए वरदान बनकर सामने आती हैं। यह किस्म नमधारी सीड्स द्वारा विकसित की गई है और इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह 60 से 65 दिनों में फसल देने लगती है। इसका मतलब यह है कि किसान जल्दी कमाई कर सकते हैं और खाली खेतों का भी उपयोग हो जाता है।
भवानी किस्म के फल गहरे हरे रंग के, चमकदार और मोटे छिलके वाले होते हैं। इसकी बनावट और स्वाद दोनों बाजार के लिहाज से आकर्षक होते हैं, जिससे बिक्री में आसानी होती है। यह किस्म नमी और हल्की गर्मी को भी सहन कर लेती है, इसलिए जुलाई से सितंबर के बीच की बुवाई के लिए यह एकदम उपयुक्त है।
खेत की तैयारी और बुवाई का समय
शिमला मिर्च की खेती के लिए भुरभुरी, उपजाऊ और अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी सबसे सही मानी जाती है। खेत की तैयारी करते समय पहले दो से तीन बार गहरी जुताई करें ताकि मिट्टी में हवा आ सके। इसके बाद गोबर की सड़ी खाद या वर्मी कम्पोस्ट मिलाकर खेत को समतल कर लें।
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भवानी अगेती शिमला मिर्च की बुवाई के लिए जुलाई से अगस्त का समय सबसे उपयुक्त होता है। बीज को पहले किसी साफ कपड़े में बांधकर कुछ घंटों के लिए पानी में भिगो दें, जिससे अंकुरण जल्दी और मजबूत हो। खेत में रोपाई करते समय पौधे से पौधे की दूरी 30 सेंटीमीटर और कतार से कतार की दूरी 60 सेंटीमीटर रखी जाती है। इससे पौधों को सही रूप से फैलने और फलने-फूलने का स्थान मिल जाता है।
खाद और सिंचाई प्रबंधन
भवानी किस्म को उगाने के लिए ज्यादा महंगी रासायनिक खादों की आवश्यकता नहीं होती। देसी खाद जैसे गोबर की खाद, वर्मी कम्पोस्ट और नीम खली का प्रयोग करने से फसल की गुणवत्ता बनी रहती है और मिट्टी की सेहत भी खराब नहीं होती। अगर आवश्यकता हो तो संतुलित मात्रा में एनपीके (NPK) का इस्तेमाल कर सकते हैं।
शुरुआत में अधिक सिंचाई की जरूरत नहीं होती, क्योंकि बारिश का मौसम रहता है। लेकिन जब पौधे बढ़ने लगें तो हर 7 से 10 दिन पर हल्की सिंचाई करते रहना चाहिए। ध्यान रखें कि खेत में पानी जमा न हो, क्योंकि इससे जड़ें गल सकती हैं और फसल खराब हो सकती है। खेत के चारों ओर नालियां बना दें जिससे बारिश का पानी बाहर निकल सके।
फसल की देखभाल और रोग नियंत्रण
फसल के पहले महीने में निराई-गुड़ाई बहुत जरूरी होती है, ताकि खरपतवार पौधों से पोषण न छीन सकें। इसके साथ ही जड़ों के पास की मिट्टी को हल्का ढीला करते रहें ताकि पौधों को हवा मिल सके। जब पौधे थोड़ा बड़े हो जाएं तो उन्हें सहारा देने के लिए लकड़ी या बांस का इस्तेमाल करें, जिससे फल जमीन पर न गिरें।
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बारिश के मौसम में फसल पर थ्रिप्स, माइट्स और फल छेदक कीटों का खतरा होता है। इनसे बचाव के लिए आप नीम तेल का छिड़काव सप्ताह में एक बार करें। देहाती तरीके से तैयार लहसुन-अदरक का काढ़ा भी छिड़का जा सकता है, जिससे कीट भागते हैं और फसल सुरक्षित रहती है। अगर जरूरत हो तो जैविक कीटनाशक का इस्तेमाल करें, लेकिन रासायनिक दवाओं से बचें ताकि फसल का स्वाद और गुणवत्ता बनी रहे।
कटाई और बाजार में बिक्री
इस अगेती शिमला मिर्च की पहली कटाई बुवाई के 60 से 65 दिन बाद शुरू हो जाती है। जब फल पूरी तरह हरे, चमकदार और मोटे हो जाएं, तभी कटाई करें। कटाई सुबह के समय करें ताकि फल ताजगी बनाए रखें। काटे हुए फलों को तुरंत छांव में रखें और जूट की बोरियों में पैक करें।
एक एकड़ में यदि देखभाल ठीक से की जाए, तो 15 से 20 टन तक उपज प्राप्त की जा सकती है। यदि मंडी में भाव अच्छा हो, तो किसान 50,000 से 60,000 रुपये प्रति एकड़ तक कमा सकते हैं। विशेषकर त्योहारों के मौसम में शिमला मिर्च की कीमतें बढ़ जाती हैं, जिससे मुनाफा और अधिक हो सकता है।
बीज की उपलब्धता
भवानी किस्म के प्रमाणित बीज नमधारी सीड्स के अधिकृत विक्रेताओं से मिलते हैं। इसके अलावा कृषि विज्ञान केंद्र, राज्य कृषि विभाग के कार्यालय और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म जैसे अमेज़न, कृषक ऐप आदि से भी बीज मंगवाए जा सकते हैं। बीज लेते समय उसकी वैधता, अंकुरण प्रतिशत (80% से ऊपर हो), और कंपनी की सील की जांच जरूर करें।
अगर आप गांव में रहते हैं और छोटा खेत है, तो भवानी शिमला मिर्च आपके लिए कमाल कर सकती है। इसकी देखभाल थोड़ी मेहनत मांगती है लेकिन इसका मुनाफा बहुत अच्छा मिलता है। देसी खाद और घरेलू कीटनाशकों से आप जैविक तरीके से इसे उगा सकते हैं, जिससे बाजार में इसके दाम भी अच्छे मिलते हैं।
कई किसान इसे मूंग, लोबिया या दूसरी त्वरित फसलों के साथ इंटरक्रॉपिंग में लगाकर भी ज्यादा लाभ कमा रहे हैं। खेती में लगातार प्रयोग और मेहनत ही सफलता की कुंजी है।
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