फरवरी में भिन्डी की इस किस्म की खेती करें ,एक एकड़ में 10-15 कुंतल होगा उत्पादन

भिन्डी भारतीय किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण सब्जी है, जिसकी खेती पूरे देश में बड़े पैमाने पर की जाती है।किसान भाई आप यदि अच्छी कमी करना कहते हैं तो इस कम्पनी के भिन्डी के बिज की बुआई करिये जो आपको अधिक उत्पादन के साथ अच्छी क्वालिटी की भिन्डी  फलेगी जिसे आप ऊँचे दाम  में बेंच सकेंगे भिन्डी भारतीय किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण सब्जी है, जिसकी खेती पूरे देश में बड़े पैमाने पर की जाती है। भिन्डी की विभिन्न प्रजातियों में नामधारी भिन्डी किसानों के बीच काफी लोकप्रिय है क्योंकि यह अधिक उत्पादन, उच्च गुणवत्ता और रोग प्रतिरोधक क्षमता के लिए जानी जाती है। यह लेख आपको नामधारी भिन्डी की खेती से जुड़ी सभी महत्वपूर्ण जानकारियाँ प्रदान करेगा, जिससे आप अधिक लाभ कमा सकें।

नामधारी भिन्डी क्या है?

नामधारी भिन्डी एक उन्नत किस्म की भिन्डी है, जिसे विशेष रूप से अधिक उत्पादन और बेहतर गुणवत्ता के लिए विकसित किया गया है। इसकी सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह कीट और रोगों के प्रति अधिक सहनशील होती है, जिससे किसानों को कम नुकसान उठाना पड़ता है। यह तेजी से बढ़ती है और कम समय में तैयार हो जाती है। इसके फल कोमल, लंबे और गहरे हरे रंग के होते हैं, जो बाजार में अधिक मांग में होते हैं।

नामधारी भिन्डी की अच्छी पैदावार के लिए सही जलवायु और मिट्टी का चुनाव बहुत महत्वपूर्ण होता है। यह गर्म और आर्द्र जलवायु में अच्छी तरह से बढ़ती है। 25-35°C तापमान इसकी खेती के लिए आदर्श है। अच्छे जल निकास वाली दोमट या बलुई दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है। मिट्टी का pH स्तर 6.5-7.5 के बीच होना चाहिए। पर्याप्त धूप मिलने से पौधे तेजी से बढ़ते हैं और अच्छी फसल देते हैं।

खेत की तैयारी और बुवाई

खेत को गहराई से जोतकर मिट्टी को भुरभुरी बनाएं। जैविक खाद, गोबर की खाद और नाइट्रोजन, फास्फोरस एवं पोटाश का संतुलित मिश्रण डालें। 30-45 सेमी की दूरी पर पंक्तियों में बीज बोएं और 2-3 सेमी की गहराई पर डालें। हल्की सिंचाई करें ताकि बीज अंकुरित हो सकें।

गर्मी में 4-5 दिन के अंतराल पर सिंचाई करें। बरसात के मौसम में जल निकासी का विशेष ध्यान रखें। टपक सिंचाई (ड्रिप इरिगेशन) से जल की बचत होती है और पौधों को सही मात्रा में नमी मिलती है।

उर्वरक और पोषण प्रबंधन

नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश का संतुलित मिश्रण आवश्यक होता है। जैविक खाद का भी प्रयोग करें ताकि मिट्टी की उर्वरता बनी रहे।

नामधारी भिन्डी में रोगों और कीटों का प्रभाव कम होता है, लेकिन फिर भी कुछ प्रमुख समस्याएँ हो सकती हैं। पीला मोज़ेक वायरस से बचाव के लिए रोगरोधी किस्मों का चयन करें और सफेद मक्खी पर नियंत्रण करें। चूर्णी फफूंद से बचाव के लिए सल्फर स्प्रे करें। थ्रिप्स और माहू से बचने के लिए नीम तेल या जैविक कीटनाशकों का उपयोग करें।

तुड़ाई और उत्पादन

फसल 45-50 दिनों में तैयार हो जाती है। तुड़ाई सुबह या शाम को करें ताकि भिन्डी की ताजगी बनी रहे। एक हेक्टेयर में लगभग 15-20 टन तक उपज मिल सकती है।

भिन्डी की मांग पूरे वर्ष बनी रहती है, जिससे किसान इसे उचित मूल्य पर बेच सकते हैं। स्थानीय मंडियों, सुपरमार्केट्स और प्रोसेसिंग कंपनियों से सीधा संपर्क करें। निर्यात की संभावनाओं को भी तलाशें, क्योंकि भिन्डी की विदेशी बाजारों में अच्छी मांग होती है।

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  • Dharmendra

    मै धर्मेन्द्र पिछले तिन साल से पत्रकारिता कर रहा हूँ मै ugc नेट क्वालीफाई हूँ भूगोल विषय से मै एक विषय प्रवक्ता हूँ , मुझे कृषि सम्बन्धित लेख लिखने में बहुत रूचि है मैंने सम्भावना संस्थान हिमाचल प्रदेश से कोर्स किया हुआ है |

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