बिहार में जैविक खेती को बढ़ावा, गंगा किनारे 20 हजार किसान कर रहे खेती, सरकार दे रही इतने रूपये की मदद

किसान भाइयो, बिहार में खेती-किसानी अब नए रंग में रंग रही है! गंगा नदी के किनारे बने जैविक कॉरिडोर ने खेतों को रसायनों से मुक्त कर दिया है। पुराने जमाने में हमारे बुजुर्ग बिना रसायनों के खेती करते थे, और अब वही पुरानी ताकत फिर से लौट रही है। बिहार सरकार पिछले पाँच सालों से 13 जिलों में जैविक कॉरिडोर बनाकर किसानों को रसायनमुक्त खेती के लिए प्रेरित कर रही है। इस योजना से न सिर्फ मिट्टी की सेहत सुधर रही है, बल्कि गंगा का पानी भी साफ हो रहा है। आज 20,000 से ज्यादा एकड़ जमीन पर किसान जैविक फसलें उगा रहे हैं, और सरकार की सब्सिडी से उनकी जेब भी भर रही है।

रसायनों से मुक्ति

साल 2020-21 में शुरू हुई जैविक कॉरिडोर योजना ने बिहार की खेती को नया रास्ता दिखाया है। इस योजना से गंगा में बहने वाले जहरीले रसायनों की मात्रा घटी है, और नदी का पारिस्थितिक तंत्र बच रहा है। खेतों की जैव विविधता भी अब पहले से बेहतर हो रही है। बिहार के 20,000 से ज्यादा किसान इस योजना से जुड़कर रसायनमुक्त धान, सब्जियाँ, और अन्य फसलें उगा रहे हैं। खास बात ये है कि करीब 19,594 एकड़ जमीन पर जैविक खेती हो रही है, और इसका दायरा लगातार बढ़ रहा है। ये योजना न सिर्फ किसानों की कमाई बढ़ा रही है, बल्कि सेहतमंद खाना भी बाज़ार तक पहुँचा रही है।

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इन जिलों में लहलहा रही जैविक फसलें

बिहार के गंगा किनारे बसे 13 जिलों में ये जैविक कॉरिडोर बनाया गया है। इनमें बक्सर, भोजपुर, पटना, नालंदा, वैशाली, सारण, समस्तीपुर, बेगूसराय, खगड़िया, लखीसराय, भागलपुर, मुंगेर, और कटिहार शामिल हैं। इन जिलों के किसान सरकारी मदद और अपनी मेहनत से खेतों में रसायनमुक्त फसलें उगा रहे हैं। बिहार स्टेट सीड एंड ऑर्गेनिक सर्टिफिकेशन एजेंसी (BSSOCA) के मुताबिक, 21,608 किसान जैविक खेती कर रहे हैं, और 25,000 से ज्यादा किसानों को सर्टिफिकेट मिल चुके हैं। ये सर्टिफिकेट उनकी फसलों को बाज़ार में बेहतर कीमत दिलाने में मदद करते हैं।

सरकार दे रही मोटी सब्सिडी

जैविक कॉरिडोर योजना पहले 2022-23 तक थी, लेकिन इसकी कामयाबी को देखते हुए इसे 2025 तक बढ़ा दिया गया है। इस योजना में किसानों को पहले साल 11,500 रुपये प्रति एकड़ की सब्सिडी मिलती है, जिसमें से 6,500 रुपये प्रमाणित खाद और ड्रम खरीदने के लिए हैं, और 5,000 रुपये वर्मी कम्पोस्ट बनाने के लिए। दूसरे और तीसरे साल में 6,500 रुपये प्रति एकड़ की सब्सिडी दी जाती है।

ये अनुदान ज्यादा से ज्यादा दो एकड़ के लिए है। इसके अलावा, सरकार 75 फीसद सब्सिडी पर कोल्ड स्टोरेज और रेफ्रिजरेटेड वैन भी दे रही है, ताकि जैविक फसलें ताज़ा रहें और बाज़ार में अच्छी कीमत मिले। वर्मी कम्पोस्ट यूनिट के लिए 50 फीसद या 5,000 रुपये तक की सब्सिडी भी मिलती है।

ये जैविक कॉरिडोर न सिर्फ खेतों को रसायनमुक्त बना रहा है, बल्कि किसानों की जेब भी भर रहा है। जैविक फसलों की माँग बाज़ार में तेजी से बढ़ रही है, और ये योजना किसानों को उस माँग को पूरा करने का मौका दे रही है। नज़दीकी कृषि विज्ञान केंद्र या बिहार स्टेट ऑर्गेनिक मिशन से संपर्क करके किसान इस योजना का लाभ उठा सकते हैं। तो इंतज़ार न करें, जैविक खेती अपनाएँ और अपने खेत को मुनाफे का खज़ाना बनाएँ!

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  • Shashikant

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