जर्दालु आम से मगही पान तक! बिहार के 4 GI टैग उत्पाद अब बिकेंगे राष्ट्रीय डिजिटल मंडी में

बिहार के किसान भाइयों के लिए बड़ी खुशखबरी है। अब आपके खेतों की मेहनत देशभर में चमकेगी। कतरनी चावल, जर्दालु आम, शाही लीची और मगही पान जैसे बिहार के चार खास GI टैग वाले उत्पाद अब राष्ट्रीय डिजिटल मंडी यानी ई-नाम पोर्टल पर बिकेंगे। इससे न सिर्फ आपकी फसल को देशभर में सही दाम मिलेगा, बल्कि बिचौलियों का खेल भी खत्म होगा। केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सात नए उत्पादों को ई-नाम पर जोड़ने की मंजूरी दी है, जिसमें बिहार के ये चार सितारे शामिल हैं।

बिहार की शान चार GI टैग उत्पाद

बिहार के ये चार उत्पाद अपनी खासियत के लिए पूरे देश में मशहूर हैं। कतरनी चावल की खुशबू और स्वाद ऐसा है कि यह विदेशों तक पहुंचता है। यह भागलपुर, बांका और मुंगेर में उगाया जाता है और इसका हर दाना सुगंध से भरपूर है। जर्दालु आम का नाम सुनते ही मुंह में पानी आ जाता है। भागलपुर का यह आम अपनी मिठास और सुगंध के लिए जाना जाता है। मुजफ्फरपुर की शाही लीची तो देश की पहली GI टैग वाली लीची है, जिसकी मांग विदेशों में भी है। और मगही पान, जो नालंदा, नवादा और गया में उगता है, अपनी मुलायम पत्तियों और मिठास के लिए हर किसी की पसंद है। इन चारों की चमक अब ई-नाम पर बिखरेगी।

ई-नाम पोर्टल किसानों का नया दोस्त

ई-नाम यानी नेशनल एग्रीकल्चर मार्केट एक ऐसा डिजिटल मंच है, जो 2016 से किसानों को उनके उत्पाद ऑनलाइन बेचने की सुविधा देता है। बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर के कुलपति दुनियाराम सिंह बताते हैं कि इस पोर्टल से किसान बिचौलियों को छोड़कर सीधे अपनी फसल बेच सकते हैं। इससे सही दाम मिलेगा और मुनाफा भी पूरा आपके पास आएगा। बिहार में APMC मंडी सिस्टम नहीं है, लेकिन सरकार ने 20 मंडियों को ई-नाम से जोड़ा है। अब कतरनी चावल, जर्दालु आम, शाही लीची और मगही पान जैसे उत्पादों को ऑनलाइन बेचकर आप देशभर के खरीदारों तक पहुंच सकते हैं।

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बिहार कृषि विश्वविद्यालय की मेहनत

इन चार GI टैग उत्पादों को ई-नाम तक पहुंचाने में बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर की बड़ी भूमिका रही है। विश्वविद्यालय ने इन उत्पादों की गुणवत्ता को प्रमाणित करने, उनकी पैकेजिंग और उत्पादन तकनीक को बेहतर बनाने में खूब मेहनत की है। कुलपति दुनियाराम सिंह का कहना है कि यह बिहार के किसानों के लिए आत्मनिर्भरता का रास्ता है। विश्वविद्यालय के निदेशक अनुसंधान डॉ. अनिल कुमार सिंह बताते हैं कि कतरनी चावल, जर्दालु आम और मगही पान के लिए वैज्ञानिक शोध और मानकीकरण किया गया है। इससे न सिर्फ इन उत्पादों की ब्रांडिंग होगी, बल्कि किसानों की कमाई भी दोगुनी होगी।

किसानों को क्या फायदा

ई-नाम पोर्टल पर इन उत्पादों के आने से बिहार के किसानों को कई फायदे होंगे। सबसे बड़ा फायदा यह है कि आपको अपनी फसल बेचने के लिए मंडी के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे। आप घर बैठे ऑनलाइन बोली के जरिए सही दाम पर फसल बेच सकते हैं। पारदर्शी मूल्य निर्धारण से बिचौलियों की लूट खत्म होगी। साथ ही, GI टैग की वजह से इन उत्पादों की खासियत देशभर में जानी जाएगी, जिससे उनकी मांग और दाम दोनों बढ़ेंगे। बिहार के ये उत्पाद अब न सिर्फ स्थानीय बाजार, बल्कि राष्ट्रीय और वैश्विक बाजार में भी अपनी जगह बनाएंगे।

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  • Shashikant

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