बायोचार का खेती में उपयोग, गाँव में मिट्टी और फसल का नया साथी

Biochar in Farming : किसान भाइयों, गाँव में खेती को बेहतर करने के लिए नई-नई चीजें सुनने को मिलती हैं, और बायोचार भी ऐसा ही एक नाम है। ये कोई जादू की चीज नहीं, बल्कि खेत के कचरे से बना कोयला है, जो मिट्टी को ताकत देता है और फसल को बढ़ाने में मदद करता है। बायोचार को लकड़ी, भूसे या फसल के अवशेषों को जलाकर तैयार करते हैं, पर इसे पूरी तरह जलाते नहीं, बल्कि खास तरीके से बनाते हैं। गाँव में इसे आसानी से तैयार कर सकते हैं, और इसके कई फायदे हैं। आइए, समझें कि बायोचार खेती में कैसे काम आता है और इसे कैसे इस्तेमाल करें।

बायोचार बनाने का आसान तरीका

बायोचार बनाने के लिए गाँव में जो बेकार पड़ा है, वही काम आएगा। धान की भूसी, मक्के के डंठल या सूखी पत्तियाँ लें। एक पुराना ड्रम लें, उसमें छोटे-छोटे छेद करें और इन अवशेषों को भर दें। फिर हल्की आग लगाएँ, पर ढक्कन से ढक दें, ताकि धुआँ ज्यादा निकले और ऑक्सीजन कम जाए। जब सब काला कोयला बन जाए, तो ठंडा होने दें। गाँव में इसे मिट्टी के गड्ढे में भी बना सकते हैं। तैयार बायोचार को छोटे टुकड़ों में तोड़ लें। आप इस बयोचार को स्टोर करके भी रख सकतें हैं और जब कोई फसल बोएं तो उसमे इसका प्रयोग कर सकते हैं, ये मिट्टी को सालों तक फायदा देगा।

मिट्टी को ताकत देने का फायदा

बायोचार को जब खेत की मिट्टी में मिलाते हैं, तो ये मिट्टी को हल्का और भुरभुरा बनाता है। ये पानी और पोषण को अपने अंदर रोकता है, ताकि फसल की जड़ें उसे आसानी से ले सकें। गाँव में जहाँ मिट्टी सख्त हो या पानी जल्दी सूख जाए, वहाँ ये बहुत काम आता है। एक बीघे में 5-7 किलो बायोचार को गोबर की खाद के साथ मिलाकर डालें। इससे मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है और फसल को लंबे समय तक खुराक मिलती है। ये मिट्टी को बंजर होने से भी बचाता है।

फसल बढ़ाने में मदद

बायोचार फसलों को ज्यादा मजबूत और हरा-भरा बनाता है। धान, गेहूँ, मिर्ची या तरबूज—हर फसल में इसका असर दिखता है। ये मिट्टी में छोटे-छोटे जीवों को बढ़ाता है, जो पोषण को फसल तक पहुँचाते हैं। गाँव में इसे बुआई से पहले डालें, तो अंकुर जल्दी निकलते हैं। एक बीघे से अगर 10 क्विंटल फसल मिलती थी, तो बायोचार से 12-14 क्विंटल तक हो सकता है। बाजार में अच्छा दाम मिले, तो 15-20 हज़ार रुपये की कमाई बढ़ सकती है। ये रासायनिक खाद की जरूरत भी कम करता है।

कीट और बीमारी से बचाव

बायोचार मिट्टी में कीटों और बीमारियों को कम करने में भी सहायक है। इसके काले टुकड़े कीटाणुओं को पनपने नहीं देते। गाँव में इसे नीम की पत्तियों के साथ मिलाकर डालें, तो कीड़े-मकोड़े और फफूंद से बचाव होता है। इससे फसल को दवा का खर्चा कम लगता है और मिट्टी साफ रहती है। बरसात में जब खेत में नमी ज्यादा हो, तो बायोचार पानी सोख लेता है, जिससे जड़ें सड़ती नहींऔर फसल हरी भरी रहती है, ये खेती को मजबूत बनाता है।

किसानों लिए खास सलाह

गाँव में बायोचार इसलिए उपयोगी है, क्योंकि इसे घर पर तैयार कर सकते हैं। खेत का कचरा जो फेंक देते हैं, वही इसका कच्चा माल है। ये मिट्टी को सालों तक फायदा देता है और पानी की खपत कम करता है। गाँव के लोग बड़ी इसे आसानी से तैयार कर सकती हैं, और बचे हुए बायोचार को अगली फसल के लिए रख सकते हैं। तो भाइयों, बायोचार को अपने खेत में आजमाएँ, मिट्टी को ताकत दें और फसल को बढ़ाएँ।

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  • Dharmendra

    मै धर्मेन्द्र एक कृषि विशेषज्ञ हूं जिसे खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी साझा करना और नई-नई तकनीकों को समझना बेहद पसंद है। कृषि से संबंधित लेख पढ़ना और लिखना मेरा जुनून है। मेरा उद्देश्य है कि किसानों तक सही और उपयोगी जानकारी पहुंचे ताकि वे अधिक उत्पादन कर सकें और खेती को एक लाभकारी व्यवसाय बना सकें।

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