मूंगफली की ‘बॉम्बे रानी’ किस्म से 90 दिन में जबरदस्त कमाई! मिलेगी 2-5 क्विंटल/बीघा उपज

Moongfali Ki Kheti: खरीफ का मौसम आते ही गाँवों के किसान भाई खेती-बाड़ी की तैयारी में जुट जाते हैं। मूंगफली की खेती हमारे किसानों के लिए हमेशा से मुनाफे का अच्छा जरिया रही है। इस बार मूंगफली की एक नई और उन्नत वैरायटी ‘बॉम्बे रानी’ की खूब चर्चा है। ये वैरायटी कम समय में बंपर पैदावार देती है और कम मेहनत में ज्यादा कमाई का रास्ता खोलती है। आइए जानते हैं कि ‘बॉम्बे रानी’ और दूसरी मूंगफली की वैरायटियाँ आपके खेतों में कैसे कमाल कर सकती हैं।

मूंगफली की वैरायटियाँ

मूंगफली की खेती के लिए सही बीज का चयन बहुत जरूरी है। बाजार में कई वैरायटियाँ उपलब्ध हैं, जिनमें जीजी 10, जी 20, और जीजी 37 ए काफी लोकप्रिय हैं। इसके अलावा ‘मुंबई सुपर’, ‘मुंबई रानी’, और ‘मुंबई राजा’ जैसी वैरायटियाँ भी किसानों के बीच मशहूर हैं। लेकिन इन दिनों ‘बॉम्बे रानी’ ने सबका ध्यान खींचा है। अनुभवी खाद-बीज विक्रेता बताते हैं कि इस वैरायटी की मांग पिछले दो सालों में खूब बढ़ी है। इसकी खासियत है कि ये कम पानी और कम मेहनत में अच्छी पैदावार देती है। बलुई मिट्टी में ये वैरायटी और भी बेहतर नतीजे देती है, जो हमारे गाँवों में खूब पाई जाती है।

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‘बॉम्बे रानी’ की खासियत

‘बॉम्बे रानी’ मूंगफली की एक ऐसी उन्नत वैरायटी है, जिसे बड़ी रिसर्च के बाद तैयार किया गया है। इस वैरायटी के दाने वजन में भारी और छिलके दानेदार होते हैं, जिसकी वजह से बाजार में इसकी खूब मांग है। ये फसल सिर्फ 90 दिन में पककर तैयार हो जाती है। एक बीघा में ये दो से पांच क्विंटल तक की पैदावार दे सकती है। सबसे बड़ी बात ये है कि इसे ज्यादा पानी की जरूरत नहीं पड़ती। कटाई के समय भी ये वैरायटी ज्यादा मेहनत नहीं माँगती, जिससे किसान भाइयों का समय और पैसा दोनों बचता है। इस वैरायटी में रोग भी कम लगते हैं, जो इसे और भरोसेमंद बनाता है।

बुआई और खेत की तैयारी के देसी नुस्खे

मूंगफली की बुआई से पहले खेत और बीज की सही तैयारी बहुत जरूरी है। ‘बॉम्बे रानी’ के बीज को बुआई से पहले उपचारित करना चाहिए, ताकि फसल में फंगस या दूसरी बीमारियों का खतरा कम हो। खेत की जुताई अच्छी तरह करें और मिट्टी में नमी बनाए रखें। बलुई मिट्टी में बुआई करते वक्त बीज को ज्यादा गहरा न बोएं, क्योंकि उथली बुआई से अंकुरण बेहतर होता है। बुआई के समय थोड़ी मात्रा में डीएपी खाद मिलाने से पौधों को शुरुआती ताकत मिलती है। मानसून की पहली बारिश के बाद, जून के मध्य में बुआई का समय सबसे सही माना जाता है। अगर मिट्टी में नमी कम हो, तो हल्का पानी दे सकते हैं।

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फसल की देखभाल और रोगों से बचाव

‘बॉम्बे रानी’ वैरायटी की खास बात ये है कि ये रोगों से लड़ने में काफी हद तक सक्षम है। फिर भी, फसल की नियमित निगरानी जरूरी है। अगर पौधों में कोई असामान्य बदलाव दिखे, जैसे पत्तियों का पीला पड़ना या बढ़त रुकना, तो तुरंत अपने नजदीकी कृषि केंद्र या अनुभवी किसानों से सलाह लें। इस वैरायटी को ज्यादा पानी की जरूरत नहीं होती, लेकिन मिट्टी में हल्की नमी बनी रहनी चाहिए। कटाई के समय सावधानी बरतें, ताकि दाने खराब न हों।

बाजार में मूंगफली की बढ़ती मांग

मूंगफली की खेती न सिर्फ खेतों में आसान है, बल्कि बाजार में इसकी मांग भी दिन-ब-दिन बढ़ रही है। ‘बॉम्बे रानी’ के भारी दाने और दानेदार छिलके की वजह से व्यापारी इसे खूब पसंद कर रहे हैं। इस वैरायटी की फसल न सिर्फ मुनाफा देती है, बल्कि कम समय में तैयार होने की वजह से किसानों के लिए फायदेमंद है। अगर आप इस खरीफ सीजन में मूंगफली की खेती की सोच रहे हैं, तो ‘बॉम्बे रानी’ को आजमाकर देखें। अपने आसपास के अनुभवी किसानों या कृषि विशेषज्ञों से सलाह लेते रहें, ताकि आपकी मेहनत रंग लाए।

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  • Shashikant

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