बोर्डो पेस्ट का मतलब क्या है
बोर्डो पेस्ट कोई बाज़ार का महंगा सामान नहीं है, बल्कि ये एक आसान मिश्रण है, जो चूना और नीला थोथा (कॉपर सल्फेट) से बनाया जाता है। हमारे पुराने किसान इसे बरसों से इस्तेमाल करते आए हैं। ये पेड़ों की छाल पर लगाया जाता है, ताकि फफूंद, कीड़े और दूसरी बीमारियों से उनकी रक्षा हो सके। खास बात ये है कि इसे घर पर ही बनाया जा सकता है, और ये बिल्कुल सस्ता पड़ता है। फलदार पेड़ों के लिए ये किसी संजीवनी से कम नहीं है।
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बोर्डो पेस्ट ( Bordo paste ) कैसे तैयार करें?
बोर्डो पेस्ट बनाने का तरीका बिल्कुल सीधा है, बस थोड़ी सावधानी चाहिए। सबसे पहले 1 किलो नीला थोथा लें और उसे 5 लीटर पानी में अच्छे से घोल दें। दूसरी तरफ 1 किलो बुझा हुआ चूना लें और इसे भी 5 लीटर पानी में मिला लें। अब इन दोनों घोल को धीरे-धीरे एक साथ मिलाएं। ध्यान रखें कि मिलाते वक्त इसे अच्छे से हिलाएं, ताकि गाढ़ा पेस्ट तैयार हो जाए। बस, आपका बोर्डो पेस्ट तैयार है! इसे बनाने में प्लास्टिक या लकड़ी की बाल्टी का इस्तेमाल करें, लोहे की चीजों से बचें, वरना रिएक्शन हो सकता है।
पेड़ों पर कैसे लगाएं
अब सवाल ये है कि बोर्डो पेस्ट को पेड़ों पर लगाएं कैसे? इसके लिए एक पुराना पेंट ब्रश या कोई मोटा कपड़ा काम आ सकता है। पेड़ की जड़ से लेकर करीब 3-4 फीट ऊपर तक की छाल पर इस पेस्ट को अच्छे से लगा दें। खासकर तने के उन हिस्सों पर ध्यान दें, जहाँ छाल में दरारें हों या कीड़ों ने नुकसान किया हो। इसे लगाने का सबसे अच्छा समय सर्दियों का मौसम या बारिश के बाद का वक्त है, जब पेड़ों को रोगों का खतरा ज्यादा रहता है। हाँ, ये ध्यान रखें कि पेस्ट ज्यादा पतला न हो, वरना वो टिकेगा नहीं।
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फलदार वृक्षों को कौन-कौन से रोगों से बचाता है?
बोर्डो पेस्ट फफूंद से होने वाली बीमारियों का बड़ा दुश्मन है। जैसे कि फल सड़न, पत्तियों का झुलसना, या छाल पर लगने वाली फफूंद—ये सब इसके आगे टिक नहीं पाते। नींबू के पेड़ों में होने वाला सिट्रस कैंकर या आम के पेड़ों में एन्थ्रेक्नोज जैसी बीमारियाँ भी इससे काबू में रहती हैं। साथ ही, ये छोटे-मोटे कीड़ों को भी छाल पर चढ़ने से रोकता है। मतलब, एक ही चीज से कई फायदे मिल जाते हैं।
सावधानियाँ भी हैं जरूरी
हालांकि बोर्डो पेस्ट बड़ा कारगर है, मगर इसे लगाते वक्त कुछ बातों का ध्यान रखना पड़ता है। सबसे पहले तो इसे तैयार करते और लगाते समय अपने हाथों और आँखों को बचाएं, क्यूंकि नीला थोथा थोड़ा तीखा होता है। दूसरा, इसे ज्यादा गर्मी में न लगाएं, वरना पेड़ की छाल को नुकसान हो सकता है। और हाँ, इसे पत्तियों या फलों पर न लगने दें, ये सिर्फ तने और छाल के लिए है। अगर सही तरीके से इस्तेमाल करेंगे, तो नुकसान का कोई सवाल ही नहीं उठता।
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