मल्चिंग विधि से लगा दें बोरो की सारनाथ किस्म… 40 दिनों में मिलेंगी 1.5 फीट की फलियां

बोरो सारनाथ वैरायटी: भारत के कई इलाकों में बोरो, यानी बरबटी, एक लोकप्रिय सब्जी फसल है, जो किसानों को अच्छा मुनाफा देती है। यह फसल साल में तीन बार उगाई जा सकती है – रबी में फरवरी-मार्च, खरीफ में जून-जुलाई, और सर्दियों में सितंबर-अक्टूबर। एक हेक्टेयर खेत के लिए 8-10 किलो बीज की जरूरत पड़ती है, और यह बलुई-दोमट मिट्टी में अच्छी तरह बढ़ती है जहां जल निकासी सही हो।

गर्मी में 8-10 दिन के अंतर पर सिंचाई करें, लेकिन बरसात में पानी जमा न होने दें। बुवाई के 50-60 दिनों बाद पहली तुड़ाई शुरू हो जाती है, और हर 3-4 दिन में फलियां तोड़ते रहें। सामान्य तरीके से 80-120 क्विंटल हरी फलियां प्रति हेक्टेयर तक मिल सकती हैं। लेकिन अगर मल्चिंग विधि अपनाएं, तो पैदावार कहीं ज्यादा हो जाती है, और बाजार में 50 रुपये प्रति किलो के भाव पर यह आसानी से बिक जाती है।

सारनाथ वैरायटी की खासियत

बोरो की ‘सारनाथ’ वैरायटी किसानों के बीच तेजी से लोकप्रिय हो रही है, क्योंकि इसकी फलियां सामान्य किस्मों से कहीं लंबी होती हैं 1 से 1.6 फीट तक। यह वैरायटी अन्य बरबटी से ज्यादा पैदावार देती है और बाजार में अच्छी कीमत पाती है। खास बात यह है कि बुवाई के सिर्फ 40 दिनों में फलियां तोड़ने लायक तैयार हो जाती हैं, जिससे किसान जल्दी कमाई शुरू कर सकते हैं। एक एकड़ में 15-20 हजार रुपये की लागत लगाकर इस वैरायटी से 5 गुना तक मुनाफा कमाया जा सकता है। यह फसल लगातार फल देती रहती है, और सही देखभाल से पूरे साल आय का स्रोत बन सकती है।

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मल्चिंग विधि से खेती का तरीका

मल्चिंग तकनीक बोरो की खेती को आसान और फायदेमंद बनाती है। इसमें प्लास्टिक शीट या जैविक सामग्री से मिट्टी को ढक दिया जाता है, जो नमी को बनाए रखती है और खरपतवारों को रोकती है। इससे पानी की बचत होती है और फसल को पोषक तत्व ज्यादा मिलते हैं। ऑर्गेनिक तरीके से उगाई गई इस वैरायटी में कोई रासायनिक खाद या कीटनाशक इस्तेमाल न करें, ताकि फलियों का स्वाद और गुणवत्ता बनी रहे। बुवाई के बाद मल्चिंग करने से फसल की बढ़त तेज होती है, और 40 दिनों में ही लंबी फलियां तैयार हो जाती हैं। यह विधि पैदावार को 5 गुना तक बढ़ा सकती है, खासकर छोटे खेतों में।

साल भर उत्पादन और मुनाफा

सारनाथ वैरायटी की सबसे बड़ी ताकत है कि यह 12 महीने तक फल देती रहती है। बुवाई के डेढ़ महीने के अंदर ही फलियां बाजार के लिए तैयार हो जाती हैं, और लगातार तुड़ाई से आय बनी रहती है। बाजार में सामान्य बोरो की किस्में खत्म हो चुकी हैं, लेकिन यह वैरायटी अभी भी उपलब्ध है और अच्छे दाम दे रही है। कम लागत में ज्यादा पैदावार होने से किसानों को बड़ा फायदा होता है। सही सिंचाई और मल्चिंग से फसल को रोगों से भी बचाया जा सकता है, जिससे नुकसान कम होता है।

किसानों के लिए सलाह

बोरो की खेती शुरू करने से पहले मिट्टी की जांच करवाएं और स्थानीय कृषि केंद्र से सारनाथ वैरायटी के बीज लें। मल्चिंग विधि अपनाकर आप अपनी मेहनत और पानी दोनों बचा सकते हैं। बाजार के भाव पर नजर रखें और तुड़ाई के बाद तुरंत बेचें। यह फसल न सिर्फ मुनाफा देगी, बल्कि खेत को साल भर व्यस्त रखेगी। सही तकनीक से अपनाकर किसान अपनी कमाई को कई गुना बढ़ा सकते हैं।

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  • Shashikant

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