Brinjal Cultivation: आलू की हार्वेस्टिंग के बाद खेत को खाली रखने की बजाय किसान बैंगन की खेती कर अच्छी आमदनी कमा सकते हैं। बैंगन की कई उन्नत किस्में हैं, जो 60 से 90 दिनों में तैयार होकर 200 से 400 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उत्पादन देती हैं। यह समय बैंगन की फसल लगाने के लिए बेहद ही उपयुक्त है।
फरवरी में बैंगन की खेती क्यों करें?
आलू की फसल के बाद फरवरी का महीना बैंगन की रोपाई के लिए सबसे उपयुक्त होता है। इस समय तापमान और नमी बैंगन के पौधों के विकास के लिए अनुकूल रहते हैं। बैंगन की खेती से किसान 60-70 दिनों के भीतर ही कमाई शुरू कर सकते हैं। बैंगन एक ऐसी फसल है, जो कम लागत में ज्यादा मुनाफा देती है। इसकी खेती के लिए उन्नत किस्मों का चुनाव बहुत जरूरी होता है। सही किस्म के चयन से किसान अधिक पैदावार और मुनाफा कमा सकते हैं।
बैंगन की उन्नत किस्में और उनकी विशेषताएँ
1. अर्का निधि
अर्का निधि एक उच्च उपज देने वाली बैंगन की किस्म है। इसे भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान (आईआईएचआर), बैंगलोर द्वारा विकसित किया गया है। इसके फल हरे-बैंगनी रंग के, अंडाकार और चमकदार होते हैं। यह किस्म बैक्टीरियल विल्ट और अन्य बीमारियों के प्रति प्रतिरोधक है। यह किस्म 220 से 250 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उत्पादन देती है। रोपाई के बाद यह 60 से 80 दिनों में पहली तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती है।
2. पूसा क्रांति
पूसा क्रांति बैंगन की एक अन्य लोकप्रिय किस्म है, जिसे भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) द्वारा विकसित किया गया है। यह किस्म अपनी अधिक उपज, रोग प्रतिरोधक क्षमता और स्वादिष्ट फलों के लिए जानी जाती है। यह किस्म 65 से 80 दिनों में पहली तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती है और 200 से 250 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उपज देती है।
3. स्वर्णा
स्वर्णा बैंगन की एक और उन्नत किस्म है, जो अपनी उच्च उपज और रोग प्रतिरोधक क्षमता के लिए प्रसिद्ध है। इसके फल मध्यम आकार के, गोल और चमकदार बैंगनी रंग के होते हैं। इस किस्म की खेती पूरे भारत में की जा सकती है। यह किस्म 250 से 300 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उत्पादन देती है और 60 से 70 दिनों में तैयार हो जाती है।
4. अर्का शीतल
अर्का शीतल बैंगन की एक संकर किस्म है, जिसे भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान (आईआईएचआर), बैंगलोर द्वारा विकसित किया गया है। यह किस्म अपनी उच्च उपज, रोग प्रतिरोधक क्षमता और फलों की गुणवत्ता के लिए जानी जाती है। अर्का शीतल किस्म के फल मध्यम आकार के, गोल और चमकदार बैंगनी रंग के होते हैं। यह 60-70 दिनों में तैयार हो जाती है और 200 से 250 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उत्पादन देती है।
5. हिसार प्रगति (चू-चू)
हिसार प्रगति, जिसे ‘चू-चू’ के नाम से भी जाना जाता है, बैंगन की सबसे अधिक उत्पादन देने वाली किस्मों में से एक है। इसे हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार द्वारा विकसित किया गया है। यह किस्म उच्च उत्पादन के लिए जानी जाती है। इस किस्म से किसान 350 से 400 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उत्पादन ले सकते हैं। हालांकि, यह किस्म अन्य किस्मों की तुलना में थोड़ा अधिक समय लेती है और 80 से 90 दिनों में तैयार होती है।
कैसे करें बैंगन की खेती?
बैंगन की खेती के लिए किसानों को 4-6 सप्ताह पुरानी पौध का उपयोग करना चाहिए। बैंगन की अच्छी उपज के लिए एक हेक्टेयर खेत में 200 से 250 ग्राम बीज की आवश्यकता होती है। खेत की तैयारी के दौरान मिट्टी की जांच कर उचित पोषक तत्वों का समावेश करना चाहिए। बैंगन की फसल को रोगों और कीटों से बचाने के लिए समय-समय पर उचित उपाय करने चाहिए। खेत में नमी बनाए रखना आवश्यक होता है, इसलिए समय-समय पर सिंचाई करें।
अगर किसान आलू की हार्वेस्टिंग के बाद अपने खेत को खाली छोड़ने की बजाय बैंगन की खेती करें तो वे कम समय में अच्छी कमाई कर सकते हैं। बैंगन की उन्नत किस्में न सिर्फ अधिक उत्पादन देती हैं बल्कि रोगों के प्रति भी सहनशील होती हैं, जिससे किसानों को कम लागत में अधिक लाभ मिल सकता है।
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