Brinjal Cutivation Tips : किसान भाइयों, गर्मी का मौसम बैंगन की फसल के लिए चुनौती भरा होता है। तेज़ धूप, उमस, और गर्म हवाएँ कीटों और रोगों को न्योता देती हैं। सफेद मक्खी, फल छेदक कीड़ा, और झुलसा रोग जैसी मुसीबतें फसल को बर्बाद कर सकती हैं। लेकिन चिंता न करें! कुछ देसी नुस्खों और सावधानियों से आप अपने बैंगन को हरा-भरा और उपजाऊ रख सकते हैं। आइए, जानते हैं कि गर्मी में बैंगन की फसल को कीट-रोग से कैसे बचाएँ और मुनाफा कैसे बढ़ाएँ।
गर्मी में कीटों का कहर
गर्मी आते ही बैंगन पर कीटों का हमला बढ़ जाता है। सफेद मक्खी पत्तियों के नीचे छिपकर रस चूसती है, जिससे पत्ते पीले पड़कर सूखने लगते हैं। फल और फूल छेदक कीड़ा और भी खतरनाक है—यह बैंगन के फूलों और फलों में छेद करता है, जिससे फल अंदर से सड़ जाता है। थ्रिप्स और माइट्स जैसे छोटे कीट पत्तियों को चूसकर पौधे को कमज़ोर कर देते हैं। अगर इनका समय पर इलाज न हो, तो फसल की पैदावार आधी रह सकती है। खेत की नियमित जाँच करें, ताकि ये कीट शुरुआत में ही पकड़ में आ जाएँ और नुकसान कम हो।
रोगों की मार
गर्मी में बैंगन पर रोग भी कम परेशान नहीं करते। झुलसा रोग पत्तियों पर भूरे-काले धब्बे बनाता है, जिससे पौधा धीरे-धीरे सूख जाता है। बैक्टीरियल विल्ट तो और खतरनाक है—इसमें पौधा अचानक मुरझाकर जड़ से सूखने लगता है। पाउडरी मिल्ड्यू पत्तियों पर सफेद पाउडर जैसा दिखता है, जो पौधे की बढ़त रोक देता है। ये रोग नमी और गर्मी में तेज़ी से फैलते हैं। अगर खेत में पानी जमा हो या हवा का बहाव कम हो, तो रोग का खतरा और बढ़ता है। इन लक्षणों को देखते ही सतर्क हो जाएँ, ताकि फसल को बर्बादी से बचाया जा सके।
देसी नुस्खों से कीटों पर प्रहार
किसान भाइयों, कीटों से लड़ने के लिए आपके घर में ही कई देसी हथियार हैं। नीम का तेल सबसे कारगर है 5 मिलीलीटर नीम तेल को 1 लीटर पानी में मिलाएँ और हफ्ते में एक बार पौधों पर छिड़कें। यह सफेद मक्खी और थ्रिप्स को भगाता है। लहसुन और मिर्च का काढ़ा भी कमाल करता है 100 ग्राम लहसुन और 100 ग्राम हरी मिर्च को पीसकर 5 लीटर पानी में उबालें, छानें, और हर 2-3 दिन में स्प्रे करें। गाय का गोमूत्र भी कीटों का दुश्मन है 1 लीटर गोमूत्र में 50 ग्राम हल्दी मिलाकर छिड़काव करें। ये देसी उपाय सस्ते हैं और फसल को बिना नुकसान पहुँचाए कीटों को मारते हैं।
रोगों से बचाव के जैविक तरीके
रोगों को जड़ से रोकने के लिए जैविक उपाय अपनाएँ। रोपाई से पहले खेत में 2 किलो ट्राइकोडर्मा को 100 किलो गोबर खाद में मिलाकर डालें। यह फफूंद को बढ़ने नहीं देता और झुलसा रोग से बचाता है। बीजों को बोने से पहले 30 मिनट तक गर्म पानी (50 डिग्री) में भिगोएँ, फिर सुखाकर जैविक दवा (जैसे ट्राइकोडर्मा पाउडर) से उपचार करें। बैंगन के साथ गेंदा (मैरीगोल्ड) की फसल लगाएँ—यह फल छेदक कीटों को दूर भगाता है। ये छोटे-छोटे कदम आपके खेत को रोगों की मार से बचाएंगे और फसल को मज़बूत बनाएंगे।
खेत का रखें खास ख्याल
गर्मी में बैंगन की फसल को तंदुरुस्त रखने के लिए कुछ सावधानियाँ बरतें। सुबह या शाम को हल्की सिंचाई करें, ताकि पौधों को गर्मी से राहत मिले। दोपहर की तपती धूप में पानी न डालें, वरना रोग बढ़ सकते हैं। खेत में पानी जमा न होने दें, क्योंकि नमी कीट और फफूंद को न्योता देती है। सड़े-गले फल या पत्तियों को तुरंत हटाएँ और खेत से बाहर जला दें, ताकि रोग न फैले। हर हफ्ते खेत की जाँच करें—अगर पत्तियाँ पीली दिखें या फल में छेद हो, तो फौरन देसी या जैविक स्प्रे शुरू करें। ये सावधानियाँ आपकी फसल को बर्बादी से बचाएंगी।
मेहनत लाएगी रंग
किसान भाइयों, गर्मी में बैंगन की खेती मुश्किल ज़रूर है, लेकिन नामुमकिन नहीं। नीम, गोमूत्र, और गेंदा जैसे देसी नुस्खों के साथ थोड़ी सी सावधानी आपकी फसल को कीटों और रोगों से बचा सकती है। जब आपके बैंगन चमकदार, रसीले, और बेदाग मंडी में बिकेंगे, तो मेहनत का असली मज़ा आएगा। लागत कम होगी, उपज बढ़ेगी, और जेब भरेगी। तो आज से ही अपने खेत को तैयार करें, देसी उपाय अपनाएँ, और गर्मी को बैंगन की बंपर फसल का मौसम बनाएँ।
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