Brinjal Farming Tips : भारत खेती का देश है, और गाँव के ज्यादातर लोग इसी से अपनी रोजी-रोटी चलाते हैं। उत्तर प्रदेश में सब्जियों की खेती का बड़ा नाम है, और बैंगन इनमें खास जगह रखता है। आजकल किसान भाई बैंगन की खेती को नए ढंग से कर रहे हैं, जिसमें आईपीएम यानी इंटीग्रेटेड पेस्ट मैनेजमेंट तकनीक बड़ी काम आ रही है। ये तरीका कम खर्च में अच्छी फसल देता है और मिट्टी को भी तंदुरुस्त रखता है। अगर आप भी बैंगन की खेती से मुनाफा कमाना चाहते हैं, तो ये तकनीक आपके लिए बेस्ट है।
आईपीएम तकनीक क्या है
आईपीएम का मतलब है कीटों से बचाव का ऐसा तरीका, जिसमें जहरीली दवाइयों का कम इस्तेमाल हो और प्राकृतिक ढंग ज्यादा अपनाया जाए। इस तकनीक से बैंगन की खेती करने में न तो ज्यादा पैसा लगता है और न ही मेहनत बर्बाद होती है। पुराने तरीके में कीटों को मारने के लिए ढेर सारी दवाइयाँ छिड़कनी पड़ती थीं, लेकिन आईपीएम में नीम का तेल, जैविक खाद और सही देखभाल से काम चल जाता है। इससे फसल साफ-सुथरी रहती है और बाजार में अच्छा दाम मिलता है। गाँव के किसानों के लिए ये आसान और फायदेमंद रास्ता है।
खेत की तैयारी और बुवाई का ढंग
बैंगन की खेती के लिए पहले खेत को अच्छे से तैयार करें। मिट्टी को दो-तीन बार हल से जोत लें, ताकि वो नरम और भुरभुरी हो जाए। गोबर की खाद या वर्मी कंपोस्ट डालें, जिससे मिट्टी में ताकत आए। खरपतवार साफ कर दें, वरना वो पौधों का खाना छीन लेंगे। बैंगन के बीज या पौधे लगाने से पहले मिट्टी में हल्की नमी रखें। पौधों को एक-दूसरे से थोड़ी दूरी पर लगाएँ, ताकि हवा और धूप सबको मिले। आईपीएम में शुरू से ही कीटों पर नजर रखें और जरूरत पड़ने पर देसी नुस्खे अपनाएँ।
कीटों से बचाव का आसान तरीका
बैंगन की फसल में कीट बड़ी परेशानी बनते हैं, लेकिन आईपीएम तकनीक से इनसे निपटना आसान है। नीम का तेल पानी में मिलाकर पौधों पर छिड़क दें, ये कीटों को भगा देता है और फसल को नुकसान नहीं होता। लहसुन या मिर्च का घोल बनाकर भी छिड़क सकते हैं। इसके अलावा, खेत में पीले चिपचिपे कार्ड लगाने से कीट फँस जाते हैं। जहरीली दवाइयों की बजाय इन देसी तरीकों से फसल सही रहती है और खाने में भी सुरक्षित होती है। इस तकनीक से मेहनत कम लगती है और मुनाफा ज्यादा मिलता है।
कम समय में तैयार, बढ़िया पैदावार
आईपीएम से बैंगन की खेती का बड़ा फायदा ये है कि फसल तीन महीने में तैयार हो जाती है। अगर 15-20 बिस्वा जमीन में भी ये तरीका अपनाएँ, तो अच्छी कमाई हो सकती है। बैंगन का बाजार में हमेशा दाम मिलता है, और इस तकनीक से पैदा बैंगन देखने में भी अच्छे और स्वाद में लाजवाब होते हैं। साथ ही, मिट्टी की सेहत बनी रहती है, तो अगली फसल के लिए भी खेत तैयार रहता है। गाँव के किसान भाइयों के लिए ये तकनीक मेहनत और पैसे दोनों बचाने वाली है।
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