Broccoli Ki Kheti: उत्तर प्रदेश के बलिया जिले में ब्रॉकली की खेती किसानों के लिए नया मुनाफे का जरिया बन रही है। यह गोभी की एक खास प्रजाति है, जिसकी बाजार में माँग तेजी से बढ़ रही है। सितंबर का महीना ब्रॉकली की नर्सरी तैयार करने का सबसे अच्छा समय है, और अक्टूबर में बुवाई से फसल 50-100 दिन में तैयार हो जाती है। कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि सही किस्मों का चयन और थोड़ी देखभाल से किसान कम लागत में अच्छी कमाई कर सकते हैं। कई किसानों ने बताया कि ब्रॉकली की फसल सलाद, सब्जी और भुजिया के रूप में लोकप्रिय है, जिससे बाजार में इसकी कीमत अच्छी मिलती है।
पूसा ब्रॉकली 1: रोग-प्रतिरोधी और तेज पैदावार
पूसा ब्रॉकली 1 एक उन्नत किस्म है, जो 70-80 दिन में तैयार हो जाती है। यह रोग-प्रतिरोधी है और उत्तर प्रदेश की जलवायु के लिए उपयुक्त है। इसकी फसल उच्च गुणवत्ता वाली होती है, जिसकी माँग स्थानीय और बड़े शहरों के बाजारों में रहती है। विशेषज्ञों के अनुसार, इस किस्म की खेती में कीटों का खतरा कम होता है, जिससे लागत कम रहती है। किसानों ने अनुभव साझा किया कि इसकी बिक्री से अच्छा मुनाफा मिलता है, खासकर जब इसे सही समय पर काटकर बाजार में बेचा जाए।
केटीएस-I और लकी: कम समय में बंपर फसल
केटीएस-I और लकी ब्रॉकली की ऐसी किस्में हैं, जो 75-85 दिन और 70-80 दिन में तैयार हो जाती हैं। ये दोनों किस्में रोगों के प्रति सहनशील हैं और छोटे खेतों में भी अच्छा उत्पादन देती हैं। बलिया के किसानों ने बताया कि इन किस्मों की ब्रॉकली की माँग होटल और रेस्तरां में ज्यादा है। इनकी खेती के लिए मिट्टी में जैविक खाद डालने और समय पर सिंचाई करने से पैदावार बढ़ती है। ये किस्में उन किसानों के लिए आदर्श हैं जो कम समय में ज्यादा मुनाफा चाहते हैं।
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फिएस्टा और ताहो: जल्दी तैयार होने वाली किस्में
फिएस्टा और ताहो ब्रॉकली की ऐसी किस्में हैं, जो 65-75 दिन में पककर तैयार हो जाती हैं। ये किस्में बाजार में आसानी से उपलब्ध हैं और इनका उत्पादन बंपर होता है। इनकी फसल की गुणवत्ता और स्वाद की वजह से इन्हें सलाद और सब्जी के लिए खूब पसंद किया जाता है। कृषि विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि इन किस्मों की बुवाई के लिए सितंबर में नर्सरी तैयार करें और अक्टूबर की शुरुआत में रोपाई करें। इससे फसल सर्दियों के मौसम में तैयार होकर अच्छी कीमत देती है।
खेती के लिए जरूरी सलाह
ब्रॉकली की खेती में सफलता के लिए मिट्टी की जाँच और जैविक खाद का उपयोग जरूरी है। बुवाई से पहले मिट्टी को अच्छी तरह तैयार करें और पौधों के बीच उचित दूरी रखें। समय पर सिंचाई और कीट प्रबंधन से फसल स्वस्थ रहती है। बलिया के कृषि विज्ञान केंद्र से किसान नई तकनीकों और बीजों की जानकारी ले सकते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि ब्रॉकली की खेती कम लागत में शुरू की जा सकती है, और सही देखभाल से यह मुनाफे का शानदार जरिया बन सकती है।
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