चना की कीमतों में गिरावट, सरकार की अगली चाल क्या होगी? जानिए ताजा अपडेट

Pulses Prices : चालू खरीफ सीजन में चना दाल की सरकारी खरीद उम्मीद से काफी कम रही है। नैफेड और एनसीसीएफ जैसी सरकारी एजेंसियों ने 10 लाख टन के बफर स्टॉक लक्ष्य के मुकाबले सिर्फ 2 लाख टन चना खरीदा है। गाँवों में खेती करने वाले किसानों के बीच चर्चा है कि मंडी में चने का दाम न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 5,650 रुपये प्रति क्विंटल से थोड़ा कम चल रहा है। इस वजह से ज्यादातर किसान अपनी फसल मंडी में बेच रहे हैं, न कि सरकारी खरीद केंद्रों पर।

कृषि विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि मूल्य समर्थन योजना के तहत चना खरीद अभी भी जारी है, लेकिन मंडी के दामों ने सरकारी खरीद को प्रभावित किया है। केंद्र सरकार अब इस सुस्ती को दूर करने के लिए नई रणनीति बना रही है, ताकि किसानों को बेहतर दाम मिले और बफर स्टॉक भी पूरा हो।

मंडी भाव ने बदला खेल

मंडियों में चना की आवक अपने चरम पर पहुँच चुकी है। इस बार निजी खरीदारों और प्रसंस्करणकर्ताओं ने चना की जमकर खरीद की है। देश के ज्यादातर हिस्सों में चना का बाजार भाव 5,400 से 5,800 रुपये प्रति क्विंटल के बीच चल रहा है। कुछ इलाकों में ये भाव एमएसपी से थोड़ा कम है, लेकिन फिर भी किसानों को अच्छा मुनाफा मिल रहा है। एक व्यापारी ने बताया कि मंडी में चना की डिमांड बढ़ने से निजी खरीदार ज्यादा सक्रिय हैं। सरकार अब बाजार भाव स्थिर होने का इंतजार कर रही है, ताकि बफर स्टॉक के लिए खरीद बढ़ाई जा सके।

पिछले सालों में नैफेड ने 2022-23 में 2.6 लाख टन और 2023-24 में 2.3 लाख टन चना खरीदा था, लेकिन इस बार खरीद सिर्फ 40,000 टन तक सिमटी है। गाँवों में किसान इस बात से खुश हैं कि मंडी में दाम ठीक मिल रहे हैं, लेकिन बफर स्टॉक की कमी सरकार के लिए चिंता का विषय है।

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सस्ते आयात का असर

चने की कीमतों को नियंत्रित करने के लिए सरकार ने पीले मटर के शुल्क-मुक्त आयात को 31 मई 2025 तक बढ़ाया था। दिसंबर 2023 से अब तक 30 लाख टन से ज्यादा पीला मटर आयात हुआ है, जिसने चना के मंडी भाव को नीचे रखा है। ऑस्ट्रेलिया और तंजानिया से 16 लाख टन बंगाल चना भी आयात हुआ, जिस पर सिर्फ 10% शुल्क है। महाराष्ट्र दाल मिलर्स एसोसिएशन ने सरकार से सस्ते आयात पर रोक लगाने की मांग की है।

उनका कहना है कि पीले मटर और बंगाल चने का आयात बंद हो और बंगाल चने पर 60% शुल्क फिर से लागू हो, ताकि चना का मंडी भाव बढ़े। गाँवों में कई किसान इस मांग का समर्थन कर रहे हैं, क्योंकि सस्ता आयात उनकी मेहनत पर असर डाल रहा है। सरकार इस मांग पर विचार कर रही है, ताकि किसानों को सही दाम मिल सके।

चना उत्पादन और नई योजना

कृषि मंत्रालय ने 2024-25 फसल वर्ष में चना उत्पादन का अनुमान 11.53 लाख टन लगाया है, जो पिछले साल के 11 लाख टन से थोड़ा ज्यादा है। लेकिन कुछ व्यापारियों का कहना है कि असल उत्पादन इससे कम हो सकता है। कम उत्पादन और सस्ते आयात ने मंडी भाव को प्रभावित किया है। सरकार अब चना खरीद को बढ़ाने के लिए नई रणनीति बना रही है। इसमें बाजार भाव पर खरीद और गैर-पारंपरिक राज्यों जैसे झारखंड से चना खरीदने पर जोर दिया जा रहा है।

इससे बफर स्टॉक बढ़ेगा और किसानों को बेहतर दाम मिलेगा। गाँवों में कई किसान अपनी फसल को गोदामों में रख रहे हैं, ताकि बाद में अच्छा दाम मिल सके। कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि अगर आयात नियमों में बदलाव होता है, तो चना की कीमतें और मजबूत हो सकती हैं।

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  • Shashikant

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