केज कल्चर से मछली पालन! छोटी जगह में करें बड़ी कमाई, सरकार भी दे रही मदद

किसान साथियों, मछली पालन के क्षेत्र में एक पुरानी लेकिन अनदेखी तकनीक फिर से सुर्खियों में है। केज कल्चर, जो पिछले 10-11 सालों से मौजूद है, अब मछली पालकों के लिए कमाई का सुनहरा रास्ता बन रहा है। इस तरीके को अपनाने के बाद एक छोटी सी जगह में चार से पांच टन मछली का उत्पादन शुरू हो गया है, जो पारंपरिक तालाब पालन से कहीं आगे है। केन्द्रीय मत्स्य पालन मंत्रालय के अफसरों का कहना है कि इसका मकसद उन जलाशयों को जीवंत करना है, जहाँ पानी तो खूब है, लेकिन मछली पालन नहीं हो रहा। इन्हें उसी में खाना दिया जाता है। यह तकनीक न सिर्फ आसान है, बल्कि मुनाफे का नया द्वार भी खोल रही है।

तालाब से सस्ता, मुनाफा से भरा

केज कल्चर की सबसे बड़ी खूबी यह है कि यह तालाब पालन से सस्ता और प्रभावी है। बड़े तालाब बनाना और उनकी देखभाल करना महंगा पड़ता है, लेकिन केज में कम जगह और कम लागत से ज्यादा मछली मिलती है। मछली पालक अब इस तकनीक की ओर तेजी से बढ़ रहे हैं, क्योंकि इससे समय और मेहनत दोनों बचते हैं। देश में 35 लाख हेक्टेयर ऐसे जलाशय हैं, जो इस तरीके से मछली पालन के लिए तैयार हैं। केन्द्र और राज्य सरकारें इसे बढ़ावा दे रही हैं, ताकि मछली उत्पादन बढ़े और पालकों की आय दोगुनी हो। यह कदम जुलाई में और मजबूती के साथ आगे बढ़ रहा है।

ये भी पढ़े – 1 कीड़ा, 100 फायदे, जानिए ब्लैक सोल्जर फ्लाई कैसे बदल रही है मछली और मुर्गियों की दुनिया

सरकार की मदद से शुरूआत

केज कल्चर शुरू करने के लिए सही जगह और आर्थिक सहायता जरूरी है। एक केज बनाने की लागत करीब तीन लाख रुपये है, लेकिन सरकार इसमें बड़ा हाथ बँटा रही है। प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY) के तहत जनरल कैटेगरी को 40 फीसद यानी 1.20 लाख रुपये और रिजर्व कैटेगरी को 60 फीसद यानी 1.80 लाख रुपये की सब्सिडी मिलती है।

एक व्यक्ति अधिकतम पांच केज के लिए सहायता ले सकता है, जबकि 10 सदस्यों का समूह 20 केज तक के लिए मदद पा सकता है। जलाशय में पानी की गहराई पूरे साल आठ मीटर होनी चाहिए, और मछली पालन के लिए राज्य या संघ राज्य क्षेत्र की अनुमति लेनी होगी। विदेशी मछली प्रजातियों के लिए सरकारी मंजूरी भी जरूरी है।

हर कदम पर साथ

सरकार मछली पालकों को हर स्तर पर सपोर्ट कर रही है। केज निर्माण के अलावा, बीज खरीदने, फीड देने, और केज की मरम्मत के लिए भी सब्सिडी दी जा रही है। लाभार्थी को तकनीकी, वित्तीय, और परिणाम-आधारित जानकारी के साथ प्रस्ताव जमा करना होगा, जिसे जुलाई 2025 में और आसान बनाया जा रहा है। यह मदद मछली पालकों को आत्मनिर्भर बनाने में अहम भूमिका निभा रही है। इसके अलावा, प्रशिक्षण कैंप और विशेषज्ञों की सलाह भी उपलब्ध कराई जा रही है, ताकि पालक इस तकनीक को सही तरीके से अपनाएँ।

ये भी पढ़े – बिहार में शुरू हुई ‘भ्रमण दर्शन योजना’ मत्स्य किसान अब ग्राउंड पर सीखेंगे मछली पालन के गुर

देशभर में फैलता प्रभाव

केन्द्रीय मंत्रालय के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, 21 राज्यों में केज तकनीक से मछली पालन हो रहा है। इसके लिए 1629 करोड़ रुपये की सब्सिडी दी गई है, और 55,118 केज बनाए गए हैं। महाराष्ट्र, गुजरात, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, और झारखंड इस मामले में सबसे आगे हैं। इन राज्यों में जलाशयों का सही इस्तेमाल हो रहा है, और मछली पालकों की आय में इजाफा हो रहा है। 11 जुलाई 2025 को यह तकनीक और राज्यों तक पहुँच सकती है, अगर जागरूकता और प्रशिक्षण बढ़े।

फायदे और भविष्य की उम्मीद

केज कल्चर से मछली पालन (Cage Culture Se Machhli Palan) का सबसे बड़ा फायदा यह है कि पिंजरे में बीमारी का खतरा कम होता है, क्योंकि बाहरी मछलियों से संपर्क नहीं होता। मछलियाँ स्वस्थ और तेजी से बढ़ती हैं, जो उत्पादन को बढ़ाता है। यह तकनीक पर्यावरण के लिए भी फायदेमंद है, क्योंकि यह जलाशयों के प्राकृतिक संतुलन को बिगाड़े बिना मछली पालन को बढ़ावा देती है। आने वाले समय में अगर इस तकनीक को और विस्तार मिला, तो भारत मछली उत्पादन में विश्व में अग्रणी बन सकता है। जुलाई 2025 का यह समय मछली पालकों के लिए सही शुरुआत का मौका है।

केज कल्चर मछली पालन को नई ऊँचाइयों पर ले जा रहा है। यह सस्ता, आसान, और मुनाफेदार है, साथ ही सरकार की सब्सिडी इसे और आकर्षक बनाती है। 11 जुलाई 2025 को शुरूआत करने का यह सही समय है। सही योजना, तकनीक, और सरकारी मदद से आप इस व्यवसाय से अच्छी कमाई कर सकते हैं।

ये भी पढ़े – मुख्यमंत्री तालाब मात्स्यिकी विकास योजना: अब मछली पालन के लिए सरकार दे रही है 70% तक अनुदान

Author

  • Dharmendra

    मै धर्मेन्द्र एक कृषि विशेषज्ञ हूं जिसे खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी साझा करना और नई-नई तकनीकों को समझना बेहद पसंद है। कृषि से संबंधित लेख पढ़ना और लिखना मेरा जुनून है। मेरा उद्देश्य है कि किसानों तक सही और उपयोगी जानकारी पहुंचे ताकि वे अधिक उत्पादन कर सकें और खेती को एक लाभकारी व्यवसाय बना सकें।

    View all posts

Leave a Comment