गुजरात में इस समय अरंडी, तिलहन रेपसीड और लोबिया जैसी खड़ी फसलों पर विभिन्न प्रकार की इल्लियों और सुंडियों का प्रकोप देखा जा रहा है। फसल की सुरक्षा और बेहतर पैदावार सुनिश्चित करने के लिए राज्य के तिलहन अनुसंधान केंद्र, सरदार कृषिनगर दांतीवाड़ा कृषि विश्वविद्यालय और जूनागढ़ कृषि विश्वविद्यालय ने किसानों को विशेष एडवाइजरी जारी की है। इस एडवाइजरी का उद्देश्य किसानों को वैज्ञानिक और व्यावहारिक उपाय बताना है, जिससे रोग और कीटों के प्रकोप को नियंत्रित किया जा सके और फसल की गुणवत्ता एवं उत्पादन सुरक्षित रहे।
फसल में कीटों का प्रकोप
इस समय खेतों में कटवर्म, पत्ती खाने वाली इल्ली (स्पोडोप्टेरा), हॉर्सटेल इल्ली और तना खाने वाली सुंडी का असर देखा जा रहा है। ये कीट पत्तियों पर अंडे देते हैं और पौधों की बढ़वार को रोकते हैं। अगर समय रहते इनका नियंत्रण न किया जाए तो फसल की उपज पर गंभीर असर पड़ सकता है।
लोबिया फसल के लिए सलाह
विशेषज्ञों ने बताया कि लोबिया की फसल में इल्ली और हॉर्सटेल का प्रकोप आम तौर पर ज्यादा देखने को मिलता है। इसके लिए किसानों को पत्तियों पर दिए गए अंडों और शुरुआती अवस्था की इल्लियों को हाथ से इकट्ठा कर नष्ट करने की सलाह दी गई है। बड़े आकार की इल्लियों को भी हाथ से हटाना फायदेमंद रहता है।
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जैविक नियंत्रण के उपाय
एडवाइजरी में किसानों को ट्राइकोगामा नामक परजीवी ततैया का इस्तेमाल करने की सलाह दी गई है। इसे खेत में प्रति हेक्टेयर प्रति सप्ताह एक लाख की दर से छोड़ने से इल्लियों के प्रकोप पर अच्छा नियंत्रण पाया जा सकता है।
इसके अलावा रात के समय खेत में लाइट ट्रैप लगाकर कीटों को आकर्षित कर उनका प्रकोप कम किया जा सकता है। नर इल्लियों को आकर्षित करने के लिए प्रति हेक्टेयर 8 से 10 फेरोमोन ट्रैप लगाने की भी सिफारिश की गई है। इन ट्रैप में इस्तेमाल होने वाले ल्युर को हर 15 से 20 दिन के अंतराल पर बदलना आवश्यक है।
जैव-कीटनाशक और रोगाणु आधारित उपाय
जब खेत में इल्लियों की संख्या अधिक हो जाए, तो शाम के समय बैसिलस थुरिंजिएंसिस (Bt) का छिड़काव किया जा सकता है। इसके लिए 10 लीटर पानी में 30 ग्राम Bt चूर्ण मिलाकर छिड़काव करना उचित है। इसी तरह पत्ती खाने वाली इल्लियों के नियंत्रण के लिए प्रति हेक्टेयर 700 लीटर पानी में 250 कैटरपिलर यूनिट वायरस घोल का छिड़काव करने की भी सलाह दी गई है।
प्राकृतिक शत्रुओं का उपयोग
एडवाइजरी में कहा गया है कि खेत में कीटभक्षी पक्षियों को आकर्षित करना भी फायदेमंद हो सकता है। इसके लिए किसानों को खेत में 8 से 10 फीट लंबे लगभग 50 लकड़ी के खंबे लगाने की सलाह दी गई है। इससे मीना, वाइया और ब्लैक-हेडेड गल जैसे पक्षी खेत में आकर कीटों को खाते हैं और उनका प्रकोप घटता है।
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रासायनिक कीटनाशक का प्रयोग
अगर फसल में कीटों का प्रकोप बहुत ज्यादा हो, तो किसानों को कृषि विश्वविद्यालय की अनुशंसा के अनुसार रासायनिक कीटनाशकों का प्रयोग करना चाहिए। दवाइयों का छिड़काव हमेशा लेबल पर दिए गए निर्देशों और सही खुराक के अनुसार ही करना चाहिए। अधिक या कम मात्रा का छिड़काव फसल के लिए हानिकारक हो सकता है।
एकीकृत कीट प्रबंधन की सलाह
कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को एकीकृत कीट प्रबंधन (IPM) अपनाने की सलाह दी है। इसमें जैविक, यांत्रिक और रासायनिक सभी तरीकों को मिलाकर कीटों पर नियंत्रण किया जाता है। यह तरीका फसल की सुरक्षा के साथ-साथ मिट्टी और पर्यावरण के लिए भी सुरक्षित है।
फसल में रोग और कीट प्रबंधन से जुड़ी अधिक जानकारी के लिए किसानों को अपने क्षेत्र के ग्राम सेवक, विस्तार अधिकारी, कृषि अधिकारी, तालुका कार्यान्वयन अधिकारी, सहायक कृषि निदेशक, जिला कृषि अधिकारी और उप कृषि निदेशक से संपर्क करने की सलाह दी गई है।