किसान भाइयों, गोभी की खेती हमारे खेतों में कमाई का एक शानदार ज़रिया है। चाहे फूलगोभी हो या पत्तागोभी, स्वस्थ और मज़बूत पौधे ही अच्छी पैदावार की नींव रखते हैं। इसके लिए गोभी की नर्सरी तैयार करना सबसे ज़रूरी कदम है। अगर नर्सरी सही तरीके से तैयार हो, तो फसल रोगमुक्त और ज़्यादा उपज देने वाली होगी। लेकिन नर्सरी डालने में छोटी-सी चूक भी फसल को नुकसान पहुँचा सकती है। साथ ही, अच्छे बीज चुनना भी उतना ही ज़रूरी है। आइए, जानें कि गोभी की नर्सरी कैसे डालें, किन सावधानियों का ध्यान रखें, और बीज खरीदते समय किन बातों का ख्याल रखें।
गोभी की नर्सरी का सही समय और जगह
गोभी की नर्सरी तैयार करने के लिए सही समय का चुनाव बहुत मायने रखता है। जुलाई से अगस्त का महीना फूलगोभी की नर्सरी के लिए सबसे अच्छा है, क्योंकि इस समय बारिश का मौसम पौधों को बढ़ने में मदद करता है। अगर आप पत्तागोभी की नर्सरी डाल रहे हैं, तो सितंबर से अक्टूबर भी ठीक रहता है। नर्सरी के लिए ऐसी जगह चुनें, जहाँ हर दिन 2 से 3 घंटे धूप आए। मिट्टी दोमट या चिकनी होनी चाहिए, जो पानी और पोषक तत्वों को अच्छे से रोके।
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मिट्टी और खाद की तैयारी
नर्सरी की मिट्टी तैयार करना गोभी की खेती का पहला और ज़रूरी कदम है। मिट्टी को भुरभुरा बनाने के लिए उसमें अच्छी तरह सड़ी हुई गोबर की खाद मिलाएँ। प्रति हेक्टेयर 5 से 10 टन गोबर खाद काफी है। अगर गोबर खाद उपलब्ध न हो, तो वर्मी कंपोस्ट या नीम की खली भी डाल सकते हैं। ये मिट्टी को पोषण देती है और पौधों को रोगों से बचाती है। मिट्टी में जल निकासी की अच्छी व्यवस्था करें, ताकि बारिश का पानी जमा न हो। इसके लिए नर्सरी में 1-1.5 मीटर चौड़ी और 15-20 सेंटीमीटर ऊँची क्यारियाँ बनाएँ।
बीज बोने का आसान तरीका
गोभी की नर्सरी के लिए बीज की बुवाई सही तरीके से करना ज़रूरी है। प्रति हेक्टेयर 240 से 280 ग्राम बीज काफी हैं। बुवाई से पहले बीज को 5-6 घंटे पानी में भिगोएँ, इससे अंकुरण तेज़ होता है। बीज को फफूंद से बचाने के लिए प्रति किलोग्राम बीज में 3 ग्राम कार्बेन्डाजिम या 4 ग्राम ट्राइकोडर्मा विरिडी मिलाकर उपचार करें। इसके बाद, क्यारियों में 1-2 सेंटीमीटर की दूरी पर बीज बोएँ। बीज को मिट्टी की पतली परत से ढकें और हल्की सिंचाई करें। 25 से 30 दिन में पौधे रोपाई के लिए तैयार हो जाते हैं।
अगर मिट्टी में नमी कम हो, तो 4-5 दिन में एक बार पानी दें। खरपतवार को समय-समय पर हाथ से निकालें, ताकि पौधों को पूरा पोषण मिले। कीटों और रोगों से बचाने के लिए नर्सरी में 4 सेंटीमीटर ऊँचाई पर पौधों पर डाइथेन एम-45 या बाविस्टिन (1 ग्राम प्रति लीटर पानी) का छिड़काव करें। जब पौधे 12-14 सेंटीमीटर बड़े हो जाएँ, तो रोपाई से पहले क्लोरपायरीफॉस (2 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी) का छिड़काव करें। रोपाई के समय पौधों की जड़ों को सावधानी से निकालें, ताकि वो टूटें नहीं।
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बीज खरीदते समय ये रखें ध्यान
बीज खरीदते समय हमेशा प्रतिष्ठित विक्रेता या प्रमाणित एजेंसी से ही खरीदें। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) सलाह देता है कि बीज 2-2.5 ग्राम थिरम फफूंदनाशक से उपचारित हों, ताकि फफूंद जनित रोगों से बचा जा सके। बीज की किस्म चुनते समय अपने क्षेत्र की जलवायु और मिट्टी को ध्यान में रखें। उदाहरण के लिए, हरियाणा, बिहार, या यूपी के लिए रोग-प्रतिरोधी और जल्दी पकने वाली किस्में जैसे पूसा दीपाली या पूसा स्नोबॉल चुनें। बीज की पैकिंग पर समाप्ति तिथि और प्रमाणन चिह्न ज़रूर देखें। अगर संभव हो, तो स्थानीय कृषि केंद्र से बीज लें, ताकि आपको सही सलाह मिले। सस्ते बीज के चक्कर में न पड़ें, क्योंकि खराब बीज से नर्सरी और फसल दोनों बर्बाद हो सकती हैं।
अगर आपके खेत में पानी की कमी है, तो ड्रिप सिंचाई का इस्तेमाल करें। नर्सरी से पौधे निकालते समय जड़ों को गीली मिट्टी के साथ लें, इससे रोपाई में पौधे जल्दी सेट हो जाते हैं। फसल बेचने के लिए PM-AASHA योजना के तहत ई-समृद्धि पोर्टल पर पंजीकरण करें, ताकि आपको अच्छा दाम मिले। अपने नज़दीकी कृषि विज्ञान केंद्र से सलाह लें, ताकि आपकी फसल की क्वालिटी और पैदावार दोनों बढ़े।
स्वस्थ नर्सरी, समृद्ध खेत
गोभी की नर्सरी तैयार करना कोई मुश्किल काम नहीं, बस सही समय, सही बीज, और थोड़ी सावधानी चाहिए। सही मिट्टी, खाद, और पानी का प्रबंध करके आप मज़बूत और रोगमुक्त पौधे उगा सकते हैं। बीज खरीदते समय गुणवत्ता पर ध्यान दें और नर्सरी में कीटों व रोगों से बचाव करें। ये छोटे-छोटे कदम आपकी गोभी की फसल को बंपर बना सकते हैं। बिहार, यूपी, या अन्य राज्यों के किसान भाई अपने नज़दीकी कृषि केंद्र से संपर्क करें और गोभी की खेती से अपनी कमाई बढ़ाएँ।
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