Center pivot irrigation : किसान अपनी फसल को हरा-भरा रखने के लिए दिन-रात मेहनत करता है, और पानी इसके लिए सबसे बड़ा हथियार है। मगर कई बार पानी की कमी या सही तरीके से सिंचाई न होने की वजह से फसल कमजोर पड़ जाती है। ऐसे में सेन्ट्रल पीवट इरिगेशन एक ऐसा नया और आसान तरीका है, जो किसानों की मेहनत को फल देता है। ये एक बड़ा सिस्टम है, जो खेत में गोल-गोल घूमकर पानी छिड़कता है और फसल को बराबर नमी देता है। इसके फायदे इतने हैं कि लंबे वक्त में ये पैसा वसूल कर देता है। आइए जानते हैं कि सेन्ट्रल पीवट इरिगेशन हमारे किसान भाइयों के लिए कैसे फायदेमंद है।
सेन्ट्रल पीवट इरिगेशन क्या है?
सेन्ट्रल पीवट इरिगेशन एक बड़ी मशीन की तरह काम करता है। इसमें एक लंबा पाइप होता है, जो खेत के बीच में एक जगह से जुड़ा रहता है और गोल-गोल घूमता है। इस पाइप पर छोटे-छोटे नोजल लगे होते हैं, जो पानी को बारिश की तरह छिड़कते हैं। ये सिस्टम बिजली या डीजल से चलता है और एक बड़े खेत को आसानी से पानी दे सकता है। गाँव में जहाँ पानी की कमी हो या बड़े खेत हों, वहाँ ये बिल्कुल फिट बैठता है। इसे लगाने में थोड़ा खर्चा तो आता है, मगर ये मेहनत और पानी दोनों की बचत करता है।
पानी की बचत करता है
खेत में पानी डालने का पुराना तरीका, जैसे नहर या बाढ़ सिंचाई, कई बार पानी को बर्बाद कर देता है। मगर सेन्ट्रल पीवट सिस्टम पानी को बिल्कुल सही जगह पर छिड़कता है। ये फसल की जड़ों तक पानी पहुँचाता है, और बेकार बहने नहीं देता। गाँव में जहाँ पानी की टेंशन रहती है, वहाँ ये सिस्टम हर बूंद का सही इस्तेमाल करता है। इससे 30-50% तक पानी बच जाता है, जो सूखे के दिनों में किसी वरदान से कम नहीं। पानी कम लगे, तो बोरवेल या नहर का खर्चा भी कम होता है।
मेहनत और वक्त की बचत
गाँव में किसान भाई खेत में पानी डालने के लिए घंटों मेहनत करते हैं। नहर का मुँह खोलो, पानी को इधर-उधर मोड़ो—ये सब बड़ा थकाने वाला काम है। मगर सेन्ट्रल पीवट इरिगेशन अपने आप काम करता है। एक बार सिस्टम चालू कर दो, तो ये पूरे खेत में गोल-गोल घूमकर पानी डाल देता है। न मजदूरी की जरूरत, न बार-बार देखने की। 10-20 एकड़ तक के खेत को ये अकेले संभाल लेता है। इससे किसान का वक्त बचता है, जिसे वो दूसरी खेती या घर के काम में लगा सकता है।
फसल की पैदावार बढ़ाए
जब खेत में पानी बराबर और सही वक्त पर मिलता है, तो फसल हरी-भरी रहती है। सेन्ट्रल पीवट सिस्टम पानी को एकसमान छिड़कता है, जिससे खेत का कोई कोना सूखा नहीं रहता। गेहूँ, मक्का, चना या सब्जियाँ—हर फसल को इसका फायदा मिलता है। गाँव में कई किसानों ने इसे आजमाया और देखा कि उनकी पैदावार 20-30% तक बढ़ गई। अच्छी फसल मतलब बाज़ार में ज्यादा माल और ज्यादा कमाई। सूखे या गर्मी में भी ये फसल को बचाए रखता है।
खाद और दवा डालना आसान
इस सिस्टम की खास बात ये है कि ये सिर्फ पानी ही नहीं, बल्कि खाद और कीटनाशक भी डाल सकता है। गोबर का घोल या नीम का पानी इसमें डाल दें, तो ये पूरे खेत में बराबर फैल जाता है। इससे अलग से मेहनत नहीं करनी पड़ती। गाँव में जैविक खेती करने वाले भाइयों के लिए ये बड़ा फायदेमंद है, क्यूंकि रसायन कम लगते हैं और फसल प्राकृतिक रहती है। ये तरीका खेत को हरा-भरा रखने में मदद करता है।
सेन्ट्रल पीवट सिस्टम लगाने में शुरू में 5-10 लाख रुपये तक खर्च हो सकते हैं, जो खेत के साइज पर निर्भर करता है। मगर ये एक बार का खर्चा है। ये मशीन 15-20 साल तक चलती है, और हर साल पानी, मेहनत और बिजली की बचत से पैसा वसूल हो जाता है। सरकार भी इसके लिए सब्सिडी देती है, तो गाँव के किसान इसे आसानी से लगा सकते हैं। लंबे वक्त में ये कमाई का बड़ा जरिया बनता है।
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