मार्च में लगाएं ये साग, आपको 30 दिन में ही देगा बम्पर लाभ, 3 महीने तक करें लगातार कमाई

Chaulai Sag Ki Kheti: चौलाई साग, जिसे अमरनाथ या रामदाना के नाम से भी जाना जाता है, एक पौष्टिक और स्वास्थ्यवर्धक हरी सब्जी है। यह न केवल सेहत के लिए फायदेमंद है, बल्कि इसकी खेती करना भी काफी आसान है। मार्च का महीना चौलाई साग की खेती के लिए एक उत्तम समय होता है, क्योंकि इस समय मौसम न तो ज्यादा ठंडा होता है और न ही ज्यादा गर्म। आइए, जानते हैं कि मार्च में चौलाई साग की खेती कैसे करें और कैसे इससे अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है।

चौलाई साग की खेती (Chaulai Sag Ki Kheti) के लिए उपयुक्त मिट्टी और जलवायु

चौलाई साग की खेती के लिए बलुई दोमट मिट्टी सबसे अच्छी मानी जाती है। यह मिट्टी नमी को अच्छी तरह से बनाए रखती है और पौधों के विकास के लिए उपयुक्त होती है। मिट्टी का pH मान 6.0 से 7.5 के बीच होना चाहिए। चौलाई साग गर्म और समशीतोष्ण जलवायु में अच्छी तरह से विकसित होता है। मार्च का महीना इसकी खेती के लिए आदर्श होता है, क्योंकि इस समय तापमान न तो बहुत कम होता है और न ही बहुत अधिक।

चौलाई की खेती के लिए उन्नत किस्में

पहाड़ी क्षेत्रों के लिए: अन्नपूर्णा (आईसी- 42258 -1), पीआरए- 1 (8801), पीआरए- 2 ( 9001), पीआरए- 3 (9401), दुर्गा (आईसी- 35407), वीएल चुआ- 44 आदि।

मैदानी क्षेत्रों के लिए: गुजरात अमरेन्थ- 1 (जीए- 1), सुवर्णा, गुजरात अमरेन्थ- 2 (जीए- 2), कपिलासा ( बीजीए- 2), गुजरात अमरेन्थ- 3 (जीए- 3), आरएमए- 4, आरएमए- 7 आदि।

खेत की तैयारी

चौलाई साग की खेती (Chaulai Sag Ki Kheti) के लिए खेत की अच्छी तरह से तैयारी करना जरूरी है। सबसे पहले खेत की गहरी जुताई करें और मिट्टी को भुरभुरा बना लें। इसके बाद खेत में अच्छी तरह से सड़ी हुई गोबर की खाद डालें। खाद डालने के बाद खेत को समतल कर लें ताकि पानी का बहाव ठीक से हो सके।

बीज बोने का तरीका

चौलाई साग के बीज बहुत छोटे होते हैं, इसलिए इन्हें बोते समय विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। बीज बोने से पहले उन्हें रेत या मिट्टी के साथ मिला लें ताकि बीज एक समान रूप से बिखर सकें। बीज बोने के लिए कतारों में लाइनें बनाएं और प्रत्येक कतार के बीच लगभग 20-25 सेमी की दूरी रखें। बीज को लगभग 1-2 सेमी की गहराई में बोएं और हल्के से मिट्टी से ढक दें।

सिंचाई

चौलाई साग की खेती में सिंचाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए। बीज बोने के तुरंत बाद हल्की सिंचाई करें ताकि मिट्टी में नमी बनी रहे। पौधों के अंकुरण के बाद नियमित रूप से सिंचाई करते रहें। ध्यान रखें कि खेत में पानी का जमाव न हो, क्योंकि इससे पौधों की जड़ें सड़ सकती हैं।

खरपतवार नियंत्रण और रोग का उपाय

चौलाई साग की खेती में खरपतवार नियंत्रण बहुत जरूरी है। खरपतवार पौधों के विकास को रोकते हैं और पोषक तत्वों को अवशोषित कर लेते हैं। इसलिए, नियमित रूप से खेत की निराई-गुड़ाई करते रहें। खरपतवार को हाथ से निकालना सबसे अच्छा तरीका है, क्योंकि इससे पौधों को नुकसान नहीं पहुंचता।

चौलाई साग की खेती (Chaulai Sag Ki Kheti) में कीट और रोगों का प्रकोप कम होता है, लेकिन फिर भी कुछ सामान्य कीट जैसे एफिड्स और कैटरपिलर पौधों को नुकसान पहुंचा सकते हैं। इन कीटों को नियंत्रित करने के लिए नीम के तेल या अन्य जैविक कीटनाशकों का उपयोग कर सकते हैं। रोगों से बचाव के लिए पौधों को अच्छी तरह से हवा और धूप मिलनी चाहिए।

फसल की कटाई

चौलाई साग की फसल लगभग 25-30 दिनों में कटाई के लिए तैयार हो जाती है। जब पौधे लगभग 15-20 सेमी की ऊंचाई तक पहुंच जाएं, तो उनकी कटाई कर सकते हैं। कटाई के लिए पौधों को जड़ से न उखाड़ें, बल्कि ऊपरी हिस्से को काट लें। इससे पौधे दोबारा उग आएंगे और आपको एक से अधिक बार फसल मिल सकती है।

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  • Dharmendra

    मै धर्मेन्द्र पिछले तिन साल से पत्रकारिता कर रहा हूँ मै ugc नेट क्वालीफाई हूँ भूगोल विषय से मै एक विषय प्रवक्ता हूँ , मुझे कृषि सम्बन्धित लेख लिखने में बहुत रूचि है मैंने सम्भावना संस्थान हिमाचल प्रदेश से कोर्स किया हुआ है |

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